जानें क्या है दल बदल कानून, शरद पवार ने दी NCP विधायकों को चेतावनी, दल बदलने के लिए अजित पवार को चाहिए होंगे 36 विधायक

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 23, 2019 05:27 PM2019-11-23T17:27:13+5:302019-11-25T10:30:30+5:30

महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं और बहुमत का आंकड़ा 145 है। बीजेपी ने 105, शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत हासिल की है।

Anti-defection law Sharad Pawar warns NCP MLAs, Ajit Pawar will need 36 MLAs to change party | जानें क्या है दल बदल कानून, शरद पवार ने दी NCP विधायकों को चेतावनी, दल बदलने के लिए अजित पवार को चाहिए होंगे 36 विधायक

महाराष्ट्र में एनसीपी के 54 विधायक हैं.

Highlights अगर सभी निर्दलीय और छोटे दल भी बीजेपी का समर्थन कर दें तब भी पार्टी को 11 एनसीपी विधायकों की जरूरत पड़ेगी। कर्नाटक की तरह ही बीजेपी महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस विधायकों से इस्तीफा दिलवा सकती है।

एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को कहा कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिये बीजेपी से हाथ मिलाने का उनके भतीजे अजित पवार का फैसला अनुशासनहीनता है और यह दल-बदल विरोधी कानून के दायरे में आता है। एनसीपी सुप्रीमो पवार ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘अजित पवार का फैसला अनुशासनहीनता है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का कोई कार्यकर्ता राकांपा-भाजपा सरकार के समर्थन में नहीं है। भाजपा का समर्थन करने वाले राकांपा विधायकों को पता होना चाहिए कि उनके इस कदम पर दल -बदल विरोधी कानून के प्रावधान लागू होते हैं।’’ 

उन्होंने कहा कि इन विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में जब कभी चुनाव होंगे, तो कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना उन्हें मिलकर हराएंगी। पवार ने कहा कि एनसीपी के 54 नवनिर्वाचित विधायकों ने अंदरूनी उद्देश्यों के लिए अपने नाम और निर्वाचन क्षेत्रों के साथ एक पत्र पर हस्ताक्षर किए थे और समर्थन पत्र के लिए इन हस्ताक्षरों का दुरुपयोग किया गया होगा तथा इसे राज्यपाल को सौंपा गया होगा। उन्होंने कहा, ‘‘यदि यह सच है तो राज्यपाल को भी गुमराह किया गया है।’’

पवार ने कहा कि यह पत्र अजित पवार ने विधायक दल के नेता के तौर पर लिया होगा। उन्होंने कहा कि जिन विधायकों को शपथ ग्रहण समारोह की जानकारी दिए बिना राजभवन लाया गया, उन्होंने उनसे संपर्क किया और बताया कि उन्हें कैसे गुमराह किया गया। बुलढाणा से राजेंद्र शिंगणे और बीड से संदीप क्षीरसागर समेत ऐसे तीन विधायक संवाददाता सम्मेलन में मौजूद थे। 

शरद पवार ने कहा है कि एनसीपी विधायक दल की बैठक में अजित पवार की जगह नए नेता का चयन किया जाएगा। एनसीपी प्रमुख ने अजित पवार के खिलाफ कार्रवाई के बारे में कहा कि इस संबंध में फैसला अनुशासन समिति लेगी। वहीं शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरने कहा है कि शिवसेना कार्यकर्ता पार्टी के विधायकों का दल-बदल कराने की सभी कोशिशें नाकाम कर देंगे। 

जानें सत्ता का समीकरण

महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं और बहुमत का आंकड़ा 145 है। बीजेपी ने 105, शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत हासिल की है। देवेंद्र फड़नवीस को सरकार बचाने के लिए बीजेपी के अलावा 40 विधायकों की और जरूरत पड़ेगी। बीजेपी का दावा है कि एनसीपी के कई विधायक अजित पवार के साथ हैं और कई निर्दलीय भी फ्लोर टेस्ट में समर्थन करेंगे।

कैसे मिलेगा समर्थन

चार बड़ी पार्टियों के अलावा 29 और विधायक हैं। अगर सभी निर्दलीय और छोटे दल भी बीजेपी का समर्थन कर दें तब भी पार्टी को 11 एनसीपी विधायकों की जरूरत पड़ेगी। 

ये है दो संभावना

कर्नाटक की तरह ही बीजेपी महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस विधायकों से इस्तीफा दिलवा सकती है। जैसे ही इन विधायकों का इस्तीफा होगा सदन में बीजेपी आसानी से बहुमत साबित कर लेगी। दूसरा तरीका है कि अजित पवार एनसीपी को तोड़ते हुए अपने साथ 36 विधायक लेते आएं। हालांकि इसकी संभावना कम हैं क्योंकि कई एनसीपी विधायक शरद पवार के प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद होकर उन्हें समर्थन दिया है।

दल बदल कानून में फंस सकते हैं अजित पवार

फ्लोर टेस्ट से पहले हर पार्टी ह्विप जारी करती है और उसका उल्लंघन करने पर विधायक या सांसद की सदस्यता रद्द हो सकती है। इसके अलावा दल-बदल निरोधक कानून (एंटी डिफेक्शन लॉ) के अनुसार  सिर्फ एक व्यक्ति ही नहीं, अगर सामूहिक रूप से भी दल बदला जाता है तो उसे असंवैधानिक करार दिया जाएगा। अब दल बदलने के लिए अजित पवार को दो तिहाई यानि 36 विधायकों की जरूरत पड़ेगी। 1985 में बने दल बदल कानून के तहत पहले एक तिहाई पार्टी सदस्यों को लेकर दल बदला जा सकता था। हालांकि 2003 में हुए दल बदल कानून में संशोधन के बाद इसे दो तिहाई कर दिया गया है। तेलंगाना में इसी रास्ते पर चलकर कांग्रेस के विधायक सत्ताधारी टीआरएस से जा मिले। भारतीय राजनीति में दल बदल की शुरुआत 1967 से देखने को मिल रही है।

English summary :
NCP supremo Sharad Pawar said in a joint press conference with Shiv Sena chief Uddhav Thackeray, "Ajit Pawar's decision is indiscipline. No Nationalist Congress Party (NCP) worker is in support of NCP-BJP government.


Web Title: Anti-defection law Sharad Pawar warns NCP MLAs, Ajit Pawar will need 36 MLAs to change party

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