सात महीने में इन पांच मौकों पर दिखी विपक्षी एकता, क्या 'ताबूत की आखिरी कील' साबित होगी कोलकाता रैली?
By स्वाति सिंह | Updated: January 19, 2019 14:57 IST
रैली से पहले ममता बनर्जी ने दावा किया था कि यह विशाल रैली लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए 'ताबूत की कील' साबित होगी और चुनाव में क्षेत्रीय दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
सात महीने में इन पांच मौकों पर दिखी विपक्षी एकता, क्या 'ताबूत की आखिरी कील' साबित होगी कोलकाता रैली?
कोलकाता में शनिवार (19 जनवरी) को तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एक विशाल रैली का आवाहन किया है। ममता बनर्जी की अगुवाई वाली इस रैली में लगभग 20 विरोधी पार्टियां मंच साझा कर रही हैं।
रैली से पहले ममता बनर्जी ने दावा किया था कि यह विशाल रैली लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए 'ताबूत की कील' साबित होगी और चुनाव में क्षेत्रीय दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इसके साथ ही ममता ने आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के 125 सीटों पर सिमटने का दावा भी किया है।
इस रैली में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, आरएलडी नेता अजीत सिंह, बसपा महासचिव सतीश मिश्रा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एवं जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू शामिल हुए हैं।
इनके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला के भी शामिल होने की उम्मीद है। कांग्रेस से खड़गे और पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी इस रैली में शामिल हुए हैं।
मई 2018- कुमारस्वामी के शपथग्रहण के दौरान बेंगलुरु में दिखी थी विपक्षी एकता
केंद में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद सबसे पहले 23 मई 2018 को बेंगलुरु में विपक्षी एकता देखी गई थी। यह नजारा था कर्नाटक की जेडीएस-कांग्रेस सरकार के शपथ ग्रहण समारोह का। कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण पर सबसे पहले विपक्षी एकता की झलक दिखाई दी। इस दौरान सभी क्षेत्रीय पार्टियों के नेता और यहां तक की एक दूसरे के विरोधी नेता भी बड़ी ही गर्मजोशी के साथ मिले थे।
इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, आरजेडी के तेजस्वी यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी राजा, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव सहित विपक्ष के कई नेताओं ने एक साथ मंच साझा किया कर अपनी एकजुटता दिखाई थी।
4 अगस्त 2018- दिल्ली में मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के खिलाफ हुआ था धरना-प्रदर्शन
इसके बाद 4 अगस्त, 2018 को राजद नेता तेजस्वी यादव ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन का आह्वान किया था।जिसमें तमाम विपक्षी दल के नेताओं ने हिस्सा लिया था।
सभी विपक्षी दलों ने बिहार के विभिन्न शेल्टर होम में यौन शोषण के मामलों के खिलाफ नीतीश कुमार से इस्तीफे की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना और कैंडिल मार्च निकाला था।
इस मार्च में राहुल गांधी, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी तमाम विपक्षी नेताओं सहित सिविल सोसाइटी के तमाम प्रतिनीधि शामिल हुए थे।हालांकि, राजद ने इस धरने को गैर-राजनीतिक करार दिया था।
9 सितंबर 2018-पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ कांग्रेस ने किया था भारत बंद का आह्वान
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती महंगाई के खिलाफ 9 सितंबर 2018 को कांग्रेस ने भारत बंद का आह्वान किया था।इस दौरान विपक्षी दलों का मिला जुला असर दिखा था,लगभग 21 विपक्षी पार्टियों के समर्थन के साथ इस बंद के दौरान हुए भारी विरोध प्रदर्शन हुआ था।
इस वजह से कई राज्यों में जनजीवन प्रभावित हुआ था। कांग्रेस के इस बंद को 21 पार्टियों का समर्थन मिला था लेकिन मात्र 16 पार्टियों के नेता ही इस प्रदर्शन में शामिल हुए थे।इस विरोध प्रदर्शन में दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी भी शामिल हुई थी।
जबकि समाजवादी पार्टी और बसपा के नेता रामलीला मैदान के मंच पर तो नहीं आए मगर उत्तरप्रदेश में अपना अलग-अलग विरोध प्रदर्शन कर बंद का समर्थन किया था। वहीं, तृणमूल कांग्रेस भी सीधे तौर से बंद में शामिल नहीं हुई थी लेकिन इसमें ममता ने अपने नेता सुखेंदु शेखर राय को भेजा था।
इसके सलवा वामपंथी दलों ने भी कांग्रेस के इस बंद का समर्थन किया था हालांकि कांग्रेस के मंच की बजाय वह जंतर-मंतर पर सरकार के खिलाफ धरना कर रहे थे।
लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, राजद के मनोज झा, जेडीएस के दानिश अली, आप के संजय सिंह सरीखे विपक्षी चेहरे कांग्रेस के बंद मार्च में शामिल हुए थे।
नवंबर 2018- किसान मुक्ति मार्च के दौरान दिल्ली में दिखी थी विपक्षी एकजुटता
नवंबर 2018 में कांग्रेस द्वारा आयोजित किसान मुक्ति मार्च आंदोलन के दौरान दिल्ली के जंतर मंतर पर विपक्ष का जमावड़ा दिखा था।इस दौरान लगभग 21 राजनीतिक पार्टियां किसानों के मुद्दे पर एकजुट दिखे थे।
इस विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस, लेफ्ट, सपा, आम आदमी पार्टी समेत युवा नेता कन्हैया और जिग्नेश भी किसानों के लिए शामिल हुए थे। केवल विपक्षी पार्टियां ही नहीं बल्कि बीजीपी के सहयोगी दलों ने भी किसानों के इस आंदोलन को समर्थन किया था।