किसानों के प्रदर्शन की एक और रात, दिल्ली के बॉर्डर पर ही जमे हुए हैं अधिकतर किसान

By भाषा | Published: November 28, 2020 11:02 PM2020-11-28T23:02:36+5:302020-11-28T23:02:36+5:30

Another night of farmers' demonstration, most farmers are frozen on the border of Delhi | किसानों के प्रदर्शन की एक और रात, दिल्ली के बॉर्डर पर ही जमे हुए हैं अधिकतर किसान

किसानों के प्रदर्शन की एक और रात, दिल्ली के बॉर्डर पर ही जमे हुए हैं अधिकतर किसान

नयी दिल्ली/चंडीगढ़, 28 नवंबर दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान जमे रहे, शनिवार दिन में उनकी संख्या बढ़ती गई क्योंकि काफी संख्या में किसान यहां और पहुंच गए और सैकड़ों किसान महानगर के बुराड़ी मैदान में इकट्ठे हुए और नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया।

‘दिल्ली चलो’ मार्च के तहत शुक्रवार को जहां किसानों और पुलिस के बीच जोरदार संघर्ष हुआ जिसमें पुलिस ने किसानों पर पानी की बौछारें और आंसू गैस के गोले दागे वहीं किसानों ने अवरोधकों को तोड़ डाला और पथराव किया, वहीं शनिवार को शांति बनी रही।

लेकिन महानगर के बाहर हजारों की संख्या में किसानों के जमे होने के कारण तनाव बना रहा।

स्पष्ट रूपरेखा नहीं होने के बावजूद पंजाब के 30 संगठनों सहित कई समूहों के किसानों का संकल्प स्पष्ट है और उनमें से कुछ का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं लिया जाता है तब तक वे यहां से नहीं हटेंगे और कुछ किसानों का कहना है कि वे सुनिश्चित करेंगे कि उनकी आवाज सुनी जाए। ये मुख्यत: पंजाब और हरियाणा के किसान हैं लेकिन मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के किसान भी यहां आए हुए हैं।

सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान ट्रकों, ट्रैक्टरों और अन्य वाहनों में पहुंचे हैं और पानी की बौछारों तथा आंसू गैस के गोले का सामना करते हुए तीन दिनों से वहां जमे हुए हैं। काफी संख्या में पुलिसकर्मियों के पहुंचने के बावजूद कई किसानों का कहना है कि वे बुराड़ी के संत निरंकारी मैदान में नहीं जाएंगे जहां उन्हें शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अनुमति दी गई है।

सड़क पर एक और रात बिताने के लिए तैयार कुछ किसानों का कहना है कि वे रविवार को होने वाली महत्वपूर्ण बैठक का इंतजार करेंगे जिसमें आगे की रूपरेखा तय होगी।

भारतीय किसान यूनियन काडिया के जालंधर इकाई के अध्यक्ष बलजीत सिंह महल ने कहा, ‘‘कल सुबह 11 बजे एक और बैठक होगी। तब तक हम सिंघू पर ही रहेंगे।’’

भारतीय किसान यूनियन (राजेवाला) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाला ने ‘पीटीआई-भाषा’ को फोन पर बताया, ‘‘हमने अभी तक बुराड़ी मैदान में जाने का निर्णय नहीं किया है। शाम में हम बैठक करेंगे जिसमें आगे की रूपरेखा तय की जाएगी।’’

पंजाब के सबसे बड़े किसान संगठनों में एक भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां) भी बुराड़ी नहीं जाने पर सहमत हो गया। धड़े के नेताओं ने दावा किया कि एक लाख से अधिक किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों, बसों और अन्य वाहनों में राष्ट्रीय राजधानी की तरफ मार्च कर रहे हैं।

पंजाब से राजधानी में प्रवेश करने के मुख्य बिंदु सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर किसानों की संख्या काफी बढ़ गई है।

टिकरी बॉर्डर पर शुक्रवार की शाम से ही धरना दे रहे सुखविंदर सिंह ने कहा, ‘‘हम यहां प्रदर्शन करना जारी रखेंगे। हम यहां से नहीं हटेंगे। हरियाणा के कई अन्य किसान भी हमारे साथ आने वाले हैं। वे रास्ते में हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम जंतर-मंतर पर जाना चाहते हैं और वहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना चाहते हैं। बैठकें हो रही हैं और अगला निर्णय होने तक हम यहां बॉर्डर पर शांतिपूर्ण तरीके से प्रशर्दन करना जारी रखेंगे।’’

टिकरी पर एक अन्य किसान जगतार सिंह भागीवंदर ने कहा कि समूहों को अलग-थलग करने का प्रयास किया जा रहा है।

किसान लंबे समय तक जमे रहने के लिए तैयार होकर आए हैं, उनके वाहनों में राशन, बर्तन, कंबल लदे हुए हैं और उन्होंने फोन चार्ज करने के लिए चार्जर भी साथ रखा हुआ है।

एक प्रदर्शनकारी किसान ने कहा, ‘‘केंद्र जब तक नए कृषि कानूनों को समाप्त नहीं करता है तब तक हम नहीं लौटेंगे।’’

उत्तरप्रदेश के कुछ किसान गाजीपुर बॉर्डर पर इकट्ठा हुए हैं और वे भी प्रदर्शन में शामिल होने के लिए तैयार हैं। उत्तरप्रदेश के अन्य स्थानों पर भी किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। झांसी-मिर्जापुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुलपहाड़ में 500 से अधिक किसान धरने पर बैठे हैं और कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

हालांकि कई समूहों ने बुराड़ी जाने से इंकार कर दिया है लेकिन सैकड़ों किसान वहां पहुंचे हैं। सरकार ने उन्हें बुराड़ी में प्रदर्शन करने की अनुमति दी है।

संयुक्त पुलिस आयुक्त (उत्तरी रेंज) सुरेंद्र सिंह यादव ने संवाददाताओं से कहा कि करीब 600 से 700 किसान बुराड़ी पहुंचे हैं।

बुराड़ी में भुवन सिंह यादव ग्वालियर से आए हैं जो राजस्थान और उत्तरप्रदेश के रास्ते यहां ऑल इंडिया कृषक खेत मजदूर संगठन के अन्य सदस्यों के साथ पहुंचे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘राजस्थान-उत्तरप्रदेश की सीमा पर एक पुल के पास हमें यूपी पुलिस ने रोका लेकिन हम वापस नहीं गए। हम पुल पर ही प्रदर्शन जारी रखे। ठंड में बारिश होने के बावजूद हम वहीं जमे रहे। अंतत: पुलिस ने हमें जाने दिया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम सवाल लेकर आए हैं और जवाब लेकर जाएंगे।’’

बुराड़ी पहुंची सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर ने एक समाचार चैनल से कहा कि किसानों की अभूतपूर्व एकता से सरकार पर किसान विरोधी तीनों कानूनों को वापस लेने का दबाव बनेगा।

हरियाणा पुलिस ने बीकेयू के प्रमुख गुरनाम सिंह चरूनी और कई अन्य किसानों पर ‘‘दिल्ली चलो’’ मार्च के दौरान हत्या का प्रयास, दंगा, सरकारी काम में बाधा पहुंचाना और अन्य आरोपों में मामला दर्ज किया है। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दावा किया कि जो कोई भी मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगा उसे ‘‘आतंकवादी माना जाएगा।’’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक तस्वीर का जिक्र किया जिसमें एक सैनिक एक बुजुर्ग सिख पर डंडा उठाए हुए है और उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘यह काफी दुख पहुंचाने वाला फोटो है। हमारा नारा था ‘जय जवान, जय किसान’ लेकिन आज प्रधानमंत्री मोदी के अहंकार की वजह से एक सैनिक किसानों के खिलाफ खड़ा है । यह काफी खतरनाक है।

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