आंगनवाड़ी: पात्रता पर विचार के लिये विवाहित और अविवाहित बेटी में भेद नहीं कर सकते: न्यायालय

By भाषा | Updated: November 15, 2021 21:04 IST2021-11-15T21:04:28+5:302021-11-15T21:04:28+5:30

Anganwadi: Cannot discriminate between married and unmarried daughter for consideration of eligibility: Court | आंगनवाड़ी: पात्रता पर विचार के लिये विवाहित और अविवाहित बेटी में भेद नहीं कर सकते: न्यायालय

आंगनवाड़ी: पात्रता पर विचार के लिये विवाहित और अविवाहित बेटी में भेद नहीं कर सकते: न्यायालय

नयी दिल्ली, 15 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि बिहार में आंगनवाड़ी सेविका के पद पर चयन के लिए दिशानिर्देशों के अनुसार पात्रता पर विचार के लिए विवाहित और अविवाहित बेटी के बीच कोई अंतर नहीं किया जा सकता।

न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने मुजफ्फरपुर जिले के ब्लॉक मुरौल में पंचायत केंद्र में आंगनवाड़ी सेविका की नियुक्ति के मुद्दे पर विचार करते हुए यह बात कही।

पीठ ने कहा, "दिशानिर्देशों के अनुसार पात्रता पर विचार करने के उद्देश्य से विवाहित बेटी और अविवाहित बेटी के बीच कोई भेद नहीं किया जा सकता है। ग्रामीण इलाकों में यह काफी आम है कि पैतृक घर और मातृ गृह कभी-कभी एक ही गांव में हो सकते हैं।’’

संबंधित मामले में 2006 में मुखिया/पंचायत सचिव, ग्राम पंचायत मीरापुर (कुमरपाकर) पंचायत द्वारा एक विज्ञापन जारी कर ग्राम पंचायत मीरापुर, ब्लॉक मुरौल, जिला मुजफ्फरपुर के एक पंचायत केंद्र में आंगनवाड़ी सेविका की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए थे।

वाद के पहले दौर में, जब याचिकाकर्ता कुमारी रेखा भारती की नियुक्ति हुई, तो एक शिकायत में सवाल उठाए गए। शिकायत के आधार पर जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा अपीलकर्ता (भारती) की नियुक्ति निरस्त कर दी गई।

जब नियुक्ति निरस्त करने के फैसले को चुनौती दी गई तो पटना उच्च न्यायालय ने अपीलकर्ता (भारती) की बर्खास्तगी को खारिज करते हुए जिलाधिकारी को दोनों पक्षों को सुनने के बाद उचित आदेश पारित करने का निर्देश जारी किया।

उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, जिलाधिकारी, मुजफ्फरपुर ने दिशानिर्देशों के आधार पर आदेश पारित किया कि शिकायतकर्ता नियुक्ति के लिए इस आधार पर अपात्र थी कि उसके पिता उस समय वैशाली में सरकारी शिक्षक थे।

अपीलीय प्राधिकारी अर्थात आयुक्त द्वारा जिलाधिकारी मुजफ्फरपुर के आदेश की पुष्टि की गयी।

नियुक्ति रद्द करने (जिसकी पुष्टि अपीलीय प्राधिकारी ने की थी) के आदेश के खिलाफ शिकायतकर्ता ने उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की, जिसकी खंडपीठ ने पुष्टि की।

उच्च न्यायालय ने कहा कि शिकायतकर्ता का पैतृक घर वैशाली में है, जहां उसके पिता शिक्षक के रूप में कार्यरत थे, लेकिन वह मुजफ्फरपुर जिले में नियुक्ति के लिए पात्र है, जहां उसकी शादी हुई थी।

वहीं, शीर्ष अदालत ने कहा कि दिशानिर्देशों के खंड-3 को पढ़ने से यह स्पष्ट है कि सरकारी कर्मचारी की बेटी/पत्नी/बहू जैसे रिश्तेदार आंगनवाड़ी सेविका के रूप में नियुक्ति के लिए अपात्र हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि खंडपीठ ने दिशानिर्देशों पर उचित परिप्रेक्ष्य में विचार नहीं किया और इसने एकल न्यायाधीश के फैसले की पुष्टि की।

इसने अधिकारियों को नए सिरे से अधिसूचना जारी करने, केंद्र के लिए आंगनवाड़ी सेविका के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित करने और वर्तमान में लागू दिशानिर्देशों के अनुसार नए सिरे से चयन करने का निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत ने कहा, "यह स्पष्ट किया जाता है कि अपीलकर्ता (भारती) और 9वें प्रतिवादी (शिकायतकर्ता) को नई अधिसूचना के अनुसार आवेदन करने से रोका नहीं गया है। यदि वे आवेदन करते हैं, तो उनके दावों पर भी अन्य उम्मीदवारों के साथ विचार किया जाएगा। इस तरह की नई अधिसूचना जारी होने और चयन होने तक 9वीं प्रतिवादी आंगनवाड़ी सेविका के रूप में बने रहने की हकदार है।

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Web Title: Anganwadi: Cannot discriminate between married and unmarried daughter for consideration of eligibility: Court

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