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एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में दावा- 'भारत सरकार ने स्पाइवेयर से हाई-प्रोफाइल पत्रकारों को निशाना बनाया'

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: December 28, 2023 13:31 IST

एमनेस्टी इंटरनेशनल की सुरक्षा लैब की प्रमुख डोनाचा ओ सेरभैल के अनुसार, नवीनतम निष्कर्षों से पता चलता है कि भारत में पत्रकारों को केवल अपना काम करने के लिए गैरकानूनी निगरानी के खतरे का सामना करना पड़ता है।

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ठळक मुद्देएमनेस्टी इंटरनेशनल और द वाशिंगटन पोस्ट की एक हालिया रिपोर्ट में भारत सरकार पर गंभीर आरोप संयुक्त जांच में कहा- भारत सरकार ने हाल ही में पेगासस स्पाइवेयर का इस्तोमाल करके हाई-प्रोफाइल पत्रकारों को निशाना बनाया एमनेस्टी के अनुसार ये मामला अक्टूबर में हुआ था

नई दिल्ली:  एमनेस्टी इंटरनेशनल और द वाशिंगटन पोस्ट की एक हालिया रिपोर्ट में भारत सरकार पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।  गुरुवार, 28 दिसंबर को प्रकाशित एक संयुक्त जांच में कहा गया है कि  भारत सरकार ने हाल ही में पेगासस स्पाइवेयर का इस्तोमाल करके  हाई-प्रोफाइल पत्रकारों को निशाना बनाया है।

इज़राइली फर्म एनएसओ ग्रुप द्वारा बनाया गया और दुनिया भर की सरकारों को बेचे गए पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग फोन के संदेशों और ईमेल तक पहुंचने, फोटो देखने, कॉल पर नजर रखने, स्थानों को ट्रैक करने और यहां तक ​​कि कैमरे से यूजर की फिल्म बनाने के लिए भी किया जा सकता है।

एमनेस्टी ने कहा कि द वायर के पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन और द ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट के आनंद मंगनाले को उनके आईफोन पर स्पाइवेयर से निशाना बनाया गया था। एमनेस्टी के अनुसार ये मामला अक्टूबर में हुआ था।

एमनेस्टी इंटरनेशनल की सुरक्षा लैब की प्रमुख डोनाचा ओ सेरभैल के अनुसार, नवीनतम निष्कर्षों से पता चलता है कि भारत में पत्रकारों को केवल अपना काम करने के लिए गैरकानूनी निगरानी के खतरे का सामना करना पड़ता है। साथ ही कठोर कानूनों के तहत कारावास, बदनामी अभियान, उत्पीड़न और धमकी सहित दमन के अन्य साधनों का सामना करना पड़ता है। 

हालांकि इन आरोपों पर भारत सरकार ने कोई सीधी और तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दी है। इससे पहले भारत सरकार 2021 में इसी तरह के आरोपों से इनकार कर चुकी है। पहले भी आरोप लगे थे कि सरकार ने राजनीतिक विरोधियों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों पर निगरानी रखने के लिए पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया था। 

हाल ही में ऐप्पल आईफोन पर "राज्य प्रायोजित हमलावरों" की चेतावनी मिलने के बाद विपक्षी राजनेताओं द्वारा फोन टैपिंग के प्रयास के आरोप लगाए गए थे।  देश की साइबर सुरक्षा इकाई आरोपों की जांच कर रही है। 

बता दें कि पत्रकारों और विपक्षी नेताओं की जासूसी का मामला देश में बेहद चर्चित रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इसे लेकर काफी मुखर रहे हैं। राहुल ने दावा किया था कि  उनके और कई अन्य विपक्षी नेताओं के फोन में पेगासस स्पाइवेयर था और गुप्तचर अधिकारियों ने खुद उनसे कहा था कि बातचीत करते हुए वह सावधान रहें क्योंकि उनकी बातों को रिकॉर्ड किया जा रहा है। ब्रिटेन के मशहूर शिक्षण संस्थान कैंब्रिज विश्वविद्यालय में दिए व्याख्यान में राहुल ने यह आरोप लगाया था।

पेगासस स्पाइवेयर का मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था। इसी साल अगस्त महीने में  उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पेगासस के अनधिकृत इस्तेमाल की पड़ताल के लिए उसके द्वारा नियुक्त किये गये तकनीकी पैनल ने जांच किये गये 29 मोबाइल फोन में से पांच में कुछ ‘‘मालवेयर’’ पाया है, लेकिन यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सका कि ये (मालवेयर) इजराइली स्पाइवेयर के चलते थे। 

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