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युद्धग्रस्त यूक्रेन से 800 से ज्यादा छात्रों को भारत ला चुकी हैं महाश्वेता चक्रवर्ती, जानिए कौन है ये पायलट

By मनाली रस्तोगी | Updated: March 14, 2022 12:42 IST

रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है, जिसपर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। इस बीच पायलट महाश्वेता चक्रवर्ती चर्चा का विषय बनी हुई हैं। दरअसल, महाश्वेता अब तक यूक्रेन में फंसे 800 छात्रों की सकुशल वतन वापसी करवा चुकी हैं।

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ठळक मुद्देऑपरेशन गंगा की 24 वर्षीय सदस्य महाश्वेता ने अब तक यूक्रेन में फंसे 800 छात्रों की सकुशल वतन वापसी कराई है। 27 फरवरी से 7 मार्च के बीच महाश्वेता ने छह निकासी उड़ानें भरी हैं।

नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है, जिसपर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। ऐसे में भारत सरकार भी लगातार यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों व नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा के तहत कई उड़ानों के जरिए भारतीयों की सकुशल वापसी करा रही है। ऐसे में छात्रों को वापस देश लाने में कोलकाता के न्यू टाउन की रहने वाली पायलट महाश्वेता चक्रवर्ती (Mahashweta Chakraborty) ने अहम भूमिका निभाई है, जिसकी वजह से वो बीते कुछ दिनों से चर्चा का विषय बनी हुई हैं। 

दरअसल, ऑपरेशन गंगा की 24 वर्षीय सदस्य महाश्वेता ने अब तक यूक्रेन में फंसे 800 छात्रों की सकुशल वतन वापसी कराई है। 27 फरवरी से 7 मार्च के बीच महाश्वेता ने छह निकासी उड़ानें भरी हैं। यही कारण है कि वो सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रही हैं। भाजपा महिला मोर्चा ने महाश्वेता चक्रवर्ती को लेकर एक ट्वीट किया है, जिसमें लिखा गया है, "कोलकाता की 24 वर्षीय पायलट महाश्वेता चक्रवर्ती ने यूक्रेन, पोलैंड और हंगरी की सीमा से 800 से अधिक भारतीय छात्रों को बचाया। उनके लिए बड़ा सम्मान।"

इसके साथ ही उनकी कुछ तस्वीरें भाजपा निकाय ने शेयर की हैं। वहीं, भारतीय जनता युवा मोर्चा की उपाध्यक्ष प्रियंका शर्मा ने अपने ट्वीट में कहा कि 24 वर्षीया महाश्वेता बंगाल भाजपा महिला मोर्चा की प्रमुख की बेटी हैं। ऐसे में उन्होंने ट्वीट कर लिखा, "वह तनुजा चक्रवर्ती (पश्चिम बंगाल राज्य भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष) की बेटी महाश्वेता चक्रवर्ती हैं।" बता दें कि अब तक भारत 80 से अधिक विशेष निकासी उड़ानों में लगभग 20,000 फंसे हुए नागरिकों को बचाने में सफल रहा है। 

अपने ऑपरेशन गंगा के माध्यम से भारत बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों के कई नागरिकों को बचाने में भी सक्षम रहा है। ऑपरेशन के दौरान बसों और ट्रेनों ने भारतीयों को यूक्रेन की पश्चिमी सीमाओं तक पहुँचाया और उन्हें बुखारेस्ट, बुडापेस्ट, सुसेवा और वारसॉ जैसे स्थानों के माध्यम से भारत वापस भेज दिया गया।

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