बिहार में कोरोना के कहर और ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाइट फंगस का आतंक! पटना में मिले चार मरीज, मचा हड़कंप

By एस पी सिन्हा | Updated: May 20, 2021 15:33 IST2021-05-20T15:26:04+5:302021-05-20T15:33:40+5:30

कोरोना महामारी और ब्लैक फंगस के खतरे के बीच अब व्हाइट फंगल से लोगों के संक्रमित होने की भी जानकारी सामने आई है। पटना में इसके चार मरीज मिले हैं।

Amid coornavirus and black gungus cases in Bihar 4 new white fungus cases also detected | बिहार में कोरोना के कहर और ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाइट फंगस का आतंक! पटना में मिले चार मरीज, मचा हड़कंप

बिहार में व्हाइट फंगस के चार मरीज मिले (फाइल फोटो)

Highlightsजानकारों के अनुसार व्हाइट फंगस ब्लैक फंगस की तुलना में कई गुणा ज्यादा खतरनाकव्हाइट फंगस को कैंडिडोसिस भी कहा जाता है, पटना में पिछले कुछ दिनों में मिले चार मरीजफेफड़ों के अलावा, स्किन, नाखून, मुंह के अंदरूनी भाग, आमाशय और आंत, किडनी तक पर असर डालता है व्हाइट फंगस

पटना: बिहार में जारी कोरोना की भीषण महामारी के बीच अब नई आफत सामने आ गई है. ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) ने तो आतंक मचा ही रखा था और अब व्हाइट फंगस नाम की बीमारी से अफरा तफरी मच गई है. राज्य में ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाइट फंगस के मरीज मिलने लगे हैं. 

ये व्हाइट फंगस ब्लैक फंगस की तुलना में कई गुणा ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है. व्हाइट फंगस को कैंडिडोसिस भी कहा जाता है. पटना में इस बिमारी के चार मरीज पिछले कुछ दिनों में मिले हैं. इस नई बीमारी की दस्तक के बाद से ही पटना में अफरा तफरी मची हुई है. 

कोरोना जैसे लक्षण पर कोरोना नहीं

पीएमसीएच में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एसएन सिंह के अनुसार अब तक ऐसे चार मरीज मिले हैं, जिनमें कोरोना जैसे लक्षण थे. हालांकि वह कोरोना नहीं बल्कि व्हाइट फंगस से संक्रमित थे. व्हाइट फंगस को मेडिकल टर्म में कैंडिडोसिस भी कहते हैं. ये बेहद खतरनाक है. 

व्हाइट फंगस (कैंडिडोसिस) फेफड़ों के संक्रमण का मुख्य कारण है. फेफड़ों के अलावा, स्किन, नाखून, मुंह के अंदरूनी भाग, आमाशय और आंत, किडनी, गुप्तांग और ब्रेन आदि को भी संक्रमित करता है. इलाज में देर हुई तो फिर मरीजों की जान पर गंभीर संकट खडा हो जाता है. 

उन्होंने बताया कि उनके संस्थान में ऐसे चार मरीज मिल चुके हैं जो व्हाइट फंगस के शिकार थे. उनमें कोरोना जैसे लक्षण थे लेकिन वे कोरोना पॉजिटिव नहीं थे. इन मरीजों का रैपिड एंटीजेन टेस्ट, आर्टी-पीसीआर और एंटीबॉडी टेस्ट किया गया तो वे कोरोना निगेटिव पाये गये. लेकिन फेफड़ा संक्रमित था. जांच पड़ताल के बाद उन्हें जब एंटी फंगल दवा दी गई तो वे ठीक हो गये. 

व्हाइट फंगल का शिकार बनने वालों में पटना के एक बड़े सर्जन भी शामिल हैं. उन्हें कोरोना जैसे लक्षण के बाद एक निजी अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया था. उनका ऑक्सीजन लेवल कम हो गया था. लेकिन जब जांच हुई और उन्हें एंटी फंगल दवा दी गई तो ऑक्सीजन लेवल सुधर कर 95 हो गया. 

डॉ. एस.एन सिंह ने बताया कि व्हाइट फंगस द्वारा फेफड़ों के संक्रमण के लक्षण एचआरसीटी में कोरोना के लक्षणों जैसे ही दिखते हैं. जिसमें अंतर करना मुश्किल हो जाता है. इसलिए वैसे मरीजों में रैपिड एंटीजन और आरटी-पीसीआर नेगेटिव है. 

कमजोर इम्यूनिटी वालों पर हमला करता है व्हाइट फंगस 

कोरोना मरीज जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं उनमें यह फेफडों को संक्रमित कर सकता है. साथ ही व्हाइट फंगस के भी वहीं कारण हैं जो ब्लैक फंगस के हैं- जैसे प्रतिरोधक क्षमता की कमी. डायबिटीज, एंटीबायोटिक का सेवन या फिर स्टेरॉयड का लंबा सेवन. 

अस्पतालों में भर्ती होने वाले जिन मरीजों के कोरोना टेस्ट निगेटिव हों लेकिन फेफडों में इंफेक्शन हो यानि एचआरसीटी में कोरोना जैसे लक्षण मिले उनकी सही से जांच की जानी चाहिये. उनके बलगम का फंगस कल्चर होना चाहिये ताकि शरीर में फंगस का पता चल पाये. 

ऐसी हालत वाले मरीज अगर ऑक्सीजन या वेंटीलेटर सपोर्ट पर हैं तो उनके ऑक्सीजन या वेंटीलेटर मशीन को जीवाणु मुक्त होना चाहिये. आक्सीजन सिलेंडर ह्मूडिफायर में स्ट्रेलाइज वाटर का उपयोग करना चाहिये. मरीजों को जो ऑक्सीजन सिलेंडर लगाया जाये वह जीवाणु मुक्त हो.

Web Title: Amid coornavirus and black gungus cases in Bihar 4 new white fungus cases also detected

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