मैक्सिको से प्रत्यर्पित होकर 311 भारतीय दिल्ली पहुंचे, नौकरी की उम्मीदों पर फिर गया पानी

By भाषा | Published: October 19, 2019 06:11 AM2019-10-19T06:11:44+5:302019-10-19T06:11:44+5:30

प्रत्यर्पित होकर लौटे जश्नप्रीत सिंह ने कहा, ‘‘हम सुबह पांच बजे पहुंचे और औपचारिकताएं पूरी करने में कई घंटे लग गए। हम दोपहर करीब एक बजे हवाई अड्डे से बाहर निकल सके।’’ प्रत्यर्पित होकर लौटने वालों में अधिकतर पंजाब और हरियाणा के रहने वाले हैं।

american dream shattered, 311 Indians land in Delhi after deportation from Mexico | मैक्सिको से प्रत्यर्पित होकर 311 भारतीय दिल्ली पहुंचे, नौकरी की उम्मीदों पर फिर गया पानी

File Photo

Highlightsअमेरिका में चोरी छिपे प्रवेश करने के लिए अवैध रूप से मैक्सिको पहुंचे 300 से अधिक भारतीय नागरिक वहां से प्रत्यर्पित होकर शुक्रवार की सुबह दिल्ली पहुंचे। अमेरिका में बेहतर जीवन और नौकरी की आशा को लेकर वहां पहुंचे लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।

अमेरिका में चोरी छिपे प्रवेश करने के लिए अवैध रूप से मैक्सिको पहुंचे 300 से अधिक भारतीय नागरिक वहां से प्रत्यर्पित होकर शुक्रवार की सुबह दिल्ली पहुंचे। इसके साथ ही अमेरिका में बेहतर जीवन और नौकरी की आशा को लेकर वहां पहुंचे लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। अधिकारियों ने कहा कि चार्टर्ड विमान से एक महिला सहित 311 भारतीयों को वापस भेजा गया और उनके साथ मैक्सिको के 74 अधिकारी भी आए हैं। अपने सपने को पूरा करने के लिए जंगलों में भटकने और लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद वे लौट आए हैं।

प्रत्यर्पित होकर लौटे जश्नप्रीत सिंह ने कहा, ‘‘हम सुबह पांच बजे पहुंचे और औपचारिकताएं पूरी करने में कई घंटे लग गए। हम दोपहर करीब एक बजे हवाई अड्डे से बाहर निकल सके।’’ प्रत्यर्पित होकर लौटने वालों में अधिकतर पंजाब और हरियाणा के रहने वाले हैं। मैक्सिको नेशनल माइग्रेशन इंस्टीट्यूट (आईएनएम) की तरफ से बुधवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक भारतीय नागरिकों को तोलुका सिटी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से बोइंग 747 विमान से नयी दिल्ली भेजा गया। इन भारतीयों के पास स्थायी निवास की व्यवस्था नहीं थी।

बयान में कहा गया है कि प्रत्यर्पित लोगों के साथ फेडरल माइग्रेशन के एजेंट और नेशनल गार्ड के सदस्य भी थे। वे वेराक्रूज में अकायुकान माइग्रेशन स्टेशन पर इकट्ठा हुए और फिर उन्हें स्थानांतरित किया गया। इन लोगों को ओक्साका, बाजा कैलिफोर्निया, वेराक्रूज, चियापास, सोनोरा, मैक्सिको सिटी, डुरांगो और टबासको राज्यों में आव्रजन अधिकारियों के समक्ष पेश किया गया। लौटने वालों में 19 वर्षीय मनदीप सिंह भी है जिसने सेना प्रवेश परीक्षा में विफल रहने के बाद जून में ही पटियाला छोड़ दिया था।

स्कूल पास करने के बाद अमेरिका जाने के सपने के साथ घर छोड़ने वाले मनदीप ने कहा कि वह सात देशों से गुजरा। वह सबसे पहले इक्वाडोर पहुंचा और अंतिम बार मैक्सिको। उसने दावा किया कि उसने अपने राज्य में एजेंट को 20 लाख रुपये का भुगतान किया। अपने बुरे अनुभव बताते हुए मनदीप ने कहा कि वह नौ मई को भारत से रवाना हुआ और इक्वाडोर पहुंचा।

उसने कहा, ‘‘वहां से मैं कोलंबिया पहुंचा और फिर पनामा। हमने पनामा में सात दिन गुजारे जहां घने जंगलों और अन्य क्षेत्रों में भटकते रहे। निकारागुआ में हम तीन घंटे जंगल से गुजरे जहां कांटे ही कांटे थे। जंगलों से गुजरने के बाद पुलिस ने हमें पकड़ लिया और एक बस में होंडुरास भेज दिया।’’

मनदीप ने कहा कि पनामा के जंगलों से गुजरते हुए उसने कई लाशें देखीं जो संभवत: उसके जैसे लोगों की थी जो वहां जाना चाहते थे। उसने कहा कि 12 सितम्बर को वे मैक्सिको पहुंचे और भारत प्रत्यर्पित होने से पहले वहां करीब 34 दिन रहे। उसने कहा, ‘‘इक्वाडोर से मैक्सिको तक की यात्रा ज्यादा कठिन नहीं थी लेकिन जब हम मैक्सिको पहुंचे तो पूरा परिदृश्य ही बदल गया। शिविरों के बाहर की जिंदगी अंदर की तुलना में ज्यादा आसान थी।’’

उसने कहा, ‘‘हम अमेरिका की सीमा से महज 800 किलोमीटर दूर थे जब मैक्सिको के अधिकारियों ने हमें पकड़ लिया और प्रत्यर्पित कर दिया। यात्रा भयावह थी और मैं कभी वापस नहीं जाऊंगा।’’ हरियाणा के साहिल मलिक (22) ने कहा कि वह पांच जून को दिल्ली से इक्वाडोर के लिए रवाना हुआ था। उसने कहा कि वे अलग-अलग परिवहन साधनों से मैक्सिको पहुंचे और अक्सर बसों से सीमाएं पार कीं।

जालंधर की रहने वाली एकमात्र प्रत्यर्पित महिला कमलजीत कौर (34) ने कहा कि पति और बेटे के साथ अमेरिका पहुंचने के लिए उसने 53 लाख रुपये खर्च कर दिए। सोमबीर सैनी ने भी मैक्सिको के तपाचुला शरणार्थी शिविर में बदतर रहन-सहन की शिकायत की। 30 वर्षीय सुरेन्द्र ने कहा कि यात्रा ज्यादा कठिन नहीं थी बल्कि शरणार्थी शिविर में रहना ज्यादा कठिन था।

उन्होंने कहा, ‘‘शिविर में विभिन्न देशों के करीब छह हजार से सात हजार लोग थे। शिविर की हालत दयनीय थी। दिन में केवल एक बार पानी की आपूर्ति होती थी और चिकित्सा की पर्याप्त सुविधा नहीं थी। वे हर रोगी को एक ही दवा देते थे चाहे जो भी बीमारी हो।’’

मनदीप ने बताया कि शिविर में काफी कम मात्रा में शाकाहारी भोजन दिया जाता था और मुख्यत: गोमांस परोसा जाता था। मनदीप ने कहा, ‘‘बाद में 25 सितम्बर को हमने दो दिनों तक विरोध किया जिसके बाद उन्होंने चावल और राजमा देना शुरू किया लेकिन काफी कम मात्रा में।’’

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जून में चेतावनी दी थी कि अगर मैक्सिको की सीमा से अमेरिका में अवैध रूप से घुसने वालों पर रोक नहीं लगाई गई तो वह मैक्सिको से होने वाले सभी आयातों पर कर लगा देंगे। मैक्सिको ने सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने पर सहमति जताई थी। 

 

Web Title: american dream shattered, 311 Indians land in Delhi after deportation from Mexico

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे