अमरनाथ यात्रा: हर साल औसतन 100 श्रद्धालु प्राकृतिक हादसों में गंवा रहे जान
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 27, 2019 07:08 PM2019-06-27T19:08:50+5:302019-06-27T19:08:50+5:30
अमरनाथ यात्रा कब आरंभ हुई थी कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है। पर हादसों ने इसे कब से अपने चपेट में लिया है, वर्ष 1969 में बादल फटने के कारण 100 के करीब श्रद्धालुओं की मौत की जानकारी जरूर दस्तावेजों में दर्ज है। यह शायद पहला बड़ा प्राकृतिक हादसा था इसमें शामिल होने वालों के साथ।
अगर यह कहा जाए कि अमरनाथ यात्रा और प्रकृति के कहर का साथ जन्म-जन्म का है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। हर साल औसतन 100 के करीब श्रद्धालु प्राकृतिक हादसों में जानें कई सालों से गंवा रहे हैं। अमरनाथ यात्रा के अभी तक के ज्ञात इतिहास में दो बड़े हादसों में 400 श्रद्धालु प्रकृति के कोप का शिकार हो चुके हैं। यह बात अलग है कि अब प्रकृति का एक रूप ग्लोबल वार्मिंग के रूप में भी कई बार सामने आ रहा है जिसका शिकार पिछले कई सालों से हिमलिंग भी हो रहा है।
अमरनाथ यात्रा कब आरंभ हुई थी कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है। पर हादसों ने इसे कब से अपने चपेट में लिया है, वर्ष 1969 में बादल फटने के कारण 100 के करीब श्रद्धालुओं की मौत की जानकारी जरूर दस्तावेजों में दर्ज है। यह शायद पहला बड़ा प्राकृतिक हादसा था इसमें शामिल होने वालों के साथ।
दूसरा हादसा था तो प्राकृतिक लेकिन इसके लिए इंसानों को अधिक जिम्मेदार इसलिए ठहराया जा सकता है क्योंकि यात्रा मार्ग के हालात और रास्ते के नाकाबिल इंतजामों के बावजूद एक लाख लोगों को जब वर्ष 1996 में यात्रा में इसलिए धकेला गया क्योंकि आतंकी ढांचे को ‘राष्ट्रीय एकता’ के रूप में एक जवाब देना था तो 300 श्रद्धालु मौत का ग्रास बन गए।
प्रत्यक्ष तौर पर इस हादसे के लिए प्रकृति जिम्मेदार थी मगर अप्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेदार राज्य सरकार थी जिसने अधनंगे लोगों को यात्रा में शामिल होने के लिए न्यौता दिया तो बर्फबारी ने उन्हें मौत का ग्रास बना दिया।
अगर देखा जाए तो प्राकृतिक तौर पर मरने वालों का आंकड़ा यात्रा के दौरान प्रतिवर्ष 70 से 100 के बीच रहा है। इसमें प्रतिदिन बढ़ौतरी इसलिए हो रही है क्यांेकि अब यात्रा में शामिल होने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। पहले ये संख्या इसलिए कम थी क्योंकि यात्रा में इतने लोग शामिल नहीं होते थे जितने अब हो रहे हैं।
अगर मौजूद दस्तावेजी रिकार्ड देखें तो वर्ष 1987 में 50 हजार के करीब श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा में शामिल हुए थे और आतंकवाद के चरमोत्कर्ष के दिनों में वर्ष 1990 में यह संख्या 48 सौ तक सिमट गई थी। लेकिन उसके बाद जब इसे एकता और अखंडता की यात्रा के रूप में प्रचारित किया जाने लगा तो इसमें अब 4 से 5 लाख के करीब श्रद्धालु शामिल होने लगे हैं।