अमरनाथ यात्रा में इस बार बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने की संभावना, सुरक्षा में तैनात किए जाएंगे 1 लाख से अधिक सुरक्षाकर्मी
By सुरेश एस डुग्गर | Published: March 29, 2022 12:10 PM2022-03-29T12:10:38+5:302022-03-29T12:13:55+5:30
अमरनाथ यात्रा इस बार दो साल के अंतराल के बाद होने जा रही है। ऐसे में सुरक्षा को लेकर भी इंतजाम पुख्ता किए जा रहे हैं। 250 के करीब सुरक्षाबलों की कंपनियां यात्रा की सुरक्षा के लिए केंद्र से मांगी गई हैं।
जम्मू: कश्मीर की स्थिति में आने वाले सुधार के दावों के बावजूद सुरक्षाधिकारी अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के प्रति कोई ढील देकर खतरा मोल लेने के पक्ष में नहीं हैं। यही कारण है कि अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की खातिर एक लाख के करीब सुरक्षाकर्मियों को जुटाने की कवायद अभी से आरंभ हो गई है।
आधिकारिक तौर पर 250 के करीब सुरक्षाबलों की कंपनियां यात्रा की सुरक्षा के लिए केंद्र से मांगी गई हैं। इनमें सीमा सुरक्षाबल और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान होंगे जबकि सेना तथा राज्य पुलिस के जवानों को अतिरिक्त तौर पर तैनात किया जाएगा।
अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार इस बार अमरनाथ यात्रा में जबरदस्त भीड़ की उम्मीद है। 30 जून से आरंभ होने वाली अमरनाथ यात्रा 11 अगस्त श्रावण पूर्णिमा के दिन तक चलेगी। शामिल होने वालों की कोई संख्या निर्धारित नहीं की गई है। भाग लेने वालों के लिए कोई शर्त भी नहीं है। गैर सरकारी अनुमान के तौर पर 10 लाख से अधिक लोग इसमें शामिल हो सकते हैं।
अधिकारी यात्रा की सुरक्षा को लेकर इसलिए चिंतित हैं क्योंकि पिछले कई सालों से यात्रा घटनारहित चल रही थी जो आईएसआई की आंख की किरकिरी बन चुकी है। दूसरा यह चर्चा आम है कि जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद आतंकी कुछ अधिक कर पाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में दो सालों के उपरांत आरंभ होने वाली अमरनाथ यात्रा आतंकियों के लिए आसान निशाना हो सकती है।
ऐसे में सुरक्षा का सबसे अधिक भार CRPF के कंधों पर होगा। पहले ही जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे की सुरक्षा की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर है। सेना भी अपनी अहम भूमिका निभाएगी। जम्मू-पठानकोट तथा जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर CRPF के जवानों का साथ जम्मू कश्मीर पुलिस देगी तो जम्मू-पठानकोट राजमार्ग के पाकिस्तानी सीमा से सटे इलाकों में बीएसएफ की मदद ली जाएगी। इसी प्रकार अमरनाथ यात्रा के पड़ावस्थलों के आसपास के पहाड़ों की सुरक्षा का जिम्मा सेना के हवाले कर दिया जाएगा।