नई दिल्ली: राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत पहली बार एनसीआरटी ने पाठ्यपुस्तकों में भारत के संविधान के विभिन्न पहलुओं- प्रस्तावना, मौलिक कर्तव्य, मौलिक अधिकार, राष्ट्रगान को उचित महत्व और सम्मान देने का काम किया है। बच्चों के समग्र विकास के लिए एनईपी (NEP) के दृष्टिकोण का पालन करते हुए इन सभी पहलुओं को age-appropriate विभिन्न चरणों की पाठ्यपुस्तकों में रखा जा रहा है।
लेकिन, शिक्षा जैसे विषय को भी अपने झूठ की राजनीति के लिए इस्तेमाल करना और इसके लिए बच्चों का सहारा लेना कांग्रेस पार्टी की घृणित मानसिकता को दिखाता है। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले और भारतीय शिक्षा व्यवस्था को बकवास बताने वालों को झूठ फैलाने से पहले सच जानने की कोशिश करनी चाहिए।
मैकाले की विचारधारा से प्रेरित कांग्रेस शुरू से ही भारत के विकास और शिक्षा व्यवस्था से घृणा रखती है। यह तर्क कि केवल संविधान की प्रस्तावना ही संवैधानिक मूल्यों का प्रतिबिंब है, कांग्रेस की संविधान की समझ को उजागर करता है। कांग्रेस का पाप का घड़ा भर चुका है और आजकल जो 'झूठे संविधान प्रेमी' बनकर घूम रहे हैं और संविधान की प्रति लहरा रहे हैं, इनके पूर्वजों ने ही बार-बार संविधान की मूल भावना की हत्या करने का काम किया था।
कांग्रेस पार्टी में अगर थोड़ी सी भी शर्म और आत्मग्लानि बची हो तो पहले संविधान, संवैधानिक मूल्यों और एनईपी को समझे और देश के बच्चों के नाम पर अपनी क्षुद्र राजनीति करना बंद करे।