मंगलवार (16 अक्टूबर )को इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज कर दिया गया। उत्तर प्रदेश के इस शहर को अब नए नाम प्रयागराज से जाना जाएगा। यूपी कैबिनेट ने मंगलवार को इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने को मंजूरी दी। उल्लेखनीय है कि योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही प्रयागराज मेला प्राधिकरण का गठन कर चुकी है।
योगी सरकार ने क्यों बदला नाम?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने का ऐलान कर दिया है। साधु समाज लंबे वक्त से इसकी मांग करता रहा था। राज्यपाल राम नाईक ने भी इस पर मुहर लगा दी है। सीएम योगी का तर्क है कि हमने इस धार्मिक नगरी का स्वाभाविक नाम देने का फैसला किया है। इससे शहर का गौरव बढ़ेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कई कैबिनेट मंत्रियों की मौजूदगी में नाम बदलने के लिए दिए गए प्रस्ताव पर राज्यपाल रामनाईक ने भी सहमति जता दी थी। वहीं इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने की योगी की घोषणा के साथ ही कई लोगों और संगठनों ने विरोध भी शुरू कर दिया है।
दरअसल, गोमुख से इलाहाबाद तक जहां कहीं भी कोई सहायक नदी गंगा से मिलती है उस स्थान को प्रयाग कहा गया है, जैसे- देवप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग आदि। इस तरह जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम है उसे प्रयागराज कहा जाएगा। इसे संगम नगरी, कुंभ नगरी और तीर्थराज भी कहा गया है।
इससे पहले सीएम योगी ने इलाहाबाद का नाम बदलने पर कहा था कि हिमालय से निकलने वाली दो देव तुल्य पवित्र नदियां- गंगा और यमुना का संगम इस पावन धरती पर होता है तो स्वभाविक तौर पर यह सभी प्रयागों का राजा है, इसलिए यह प्रयागराज कहलाता है। हमने उनकी इस बात का समर्थन किया है और हमारा प्रयास होगा कि बहुत जल्द हम इस नगर का नाम प्रयागराज करें।