उत्तर प्रदेश शहरी स्थानीय निकाय चुनावः ओबीसी आरक्षण रद्द, चुनाव कराने का निर्देश, उच्च न्यायालय का बड़ा फैसला

By भाषा | Published: December 27, 2022 01:29 PM2022-12-27T13:29:52+5:302022-12-27T14:36:29+5:30

न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की पीठ ने यह आदेश दिया। फैसले से उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्‍ता साफ हो गया है।

Allahabad High Court orders conduct  urban local body elections in Uttar Pradesh without OBC reservation | उत्तर प्रदेश शहरी स्थानीय निकाय चुनावः ओबीसी आरक्षण रद्द, चुनाव कराने का निर्देश, उच्च न्यायालय का बड़ा फैसला

नगरीय निकाय चुनाव बिना ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण के कराने का आदेश दिया।

Highlights निकाय चुनावों को बिना ओबीसी आरक्षण के कराने के आदेश दिए हैं। जनहित याचिकाओं पर उच्च न्यायालय का यह फैसला आया।नगरीय निकाय चुनाव बिना ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण के कराने का आदेश दिया।

लखनऊः इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को राज्य सरकार के नगरीय निकाय चुनाव संबंधी मसौदा अधिसूचना को रद्द करते हुए उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव बिना ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण के कराने का आदेश दिया।

न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की पीठ ने यह आदेश दिया। इस फैसले से राज्य में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्‍ता साफ हो गया है। पीठ ने उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा पांच दिसंबर को तैयार मसौदा अधिसूचना को रद्द करते हुए निकाय चुनावों को बिना ओबीसी आरक्षण के कराने के आदेश दिए हैं।

उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार ‘ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले’ के बिना सरकार द्वारा तैयार किए गए ओबीसी आरक्षण के मसौदे को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर उच्च न्यायालय का यह फैसला आया। पीठ ने एक पखवाड़े से रुके नगरीय निकाय चुनाव के मुद्दे पर शनिवार को सुनवाई पूरी कर ली थी और कहा था कि वह 27 दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगी।

अदालत ने मुकदमे की प्रकृति के कारण शीतकालीन अवकाश के बावजूद मामले में सुनवाई की। राज्य सरकार ने इस महीने की शुरुआत में त्रिस्तरीय नगरीय निकाय चुनाव में 17 नगर निगमों के महापौर, 200 नगर पालिका परिषदों के अध्यक्षों और 545 नगर पंचायतों के लिए आरक्षित सीटों की अनंतिम सूची जारी करते हुए सात दिनों के भीतर सुझाव/आपत्तियां मांगी थी और कहा था कि सुझाव/आपत्तियां मिलने के दो दिन बाद अंतिम सूची जारी की जाएगी।

राज्य सरकार ने पांच दिसंबर के अपने मसौदे में नगर निगमों की चार महापौर सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित की थीं, जिसमें अलीगढ़ और मथुरा-वृंदावन ओबीसी महिलाओं के लिए और मेरठ व प्रयागराज ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थे। दो सौ नगर पालिका परिषदों में अध्यक्ष पद पर पिछड़ा वर्ग के लिए कुल 54 सीटें आरक्षित की गयी थीं जिसमें पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए 18 सीटें आरक्षित थीं।

राज्य की 545 नगर पंचायतों में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गयी 147 सीटों में इस वर्ग की महिलाओं के लिए अध्यक्ष की 49 सीटें आरक्षित की गयी थीं। उच्‍च न्‍यायालय के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने कहा, ‘‘यह पिछड़े वर्गों को आरक्षण से वंचित करने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार की साजिश है।’’

Web Title: Allahabad High Court orders conduct  urban local body elections in Uttar Pradesh without OBC reservation

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