इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने अपनी जेब से भरी दलित छात्रा की फीस, आईआईटी में पढ़ने का सपना होगा पूरा

By विशाल कुमार | Updated: November 30, 2021 14:45 IST2021-11-30T14:45:05+5:302021-11-30T14:45:05+5:30

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि अदालत ने स्वेच्छा से छात्रा के लिए 15,000 रुपये का योगदान दिया ताकि याचिकाकर्ता संस्कृति रंजन आईआईटी में पढ़ने के अपने सपने को पूरा कर सके।

allahabad high court judge dalit student iit bhu fees | इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने अपनी जेब से भरी दलित छात्रा की फीस, आईआईटी में पढ़ने का सपना होगा पूरा

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने अपनी जेब से भरी दलित छात्रा की फीस, आईआईटी में पढ़ने का सपना होगा पूरा

Highlightsजज ने आईआईटी, बीएचयू में मिली सीट के लिए 15 हजार रुपये अपनी जेब से भरे।पिता के बीमार होने के कारण छात्रा के पास पर्याप्त धनराशि नहीं थी।जज ने अधिकारियों को याचिकाकर्ता के लिए एक अतिरिक्त सीट बनाने का निर्देश दिया।

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज ने एक दलित छात्रा को आईआईटी, बीएचयू में मिली सीट के लिए निर्धारित 15 हजार रुपये की राशि अपनी जेब से भर दी क्योंकि पिता के बीमार होने के कारण छात्रा के पास पर्याप्त धनराशि नहीं थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि अदालत ने स्वेच्छा से छात्रा के लिए 15,000 रुपये का योगदान दिया ताकि वह आईआईटी में पढ़ने के अपने सपने को पूरा कर सके।

जज ने सोमवार को आईआईटी, बीएचयू के अधिकारियों को याचिकाकर्ता के लिए एक अतिरिक्त सीट बनाने का निर्देश दिया और कहा कि उसे पाठ्यक्रम जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए।

दरअसल, याचिकाकर्ता संस्कृति रंजन को मैथमेटिक्स एंड कंप्यूटिंग (पांच साल के बैचलर एवं मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी- दोहरी डिग्री) कोर्स में सीट मिली थी. उन्होंने हाईस्कूल में 95.6 फीसदी अंक और इंटरमीडिएट में 94 फीसदी अंक हासिल किए थे।

रंजन ने आईआईटी में चयन के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा में भाग लिया था और परीक्षा में 92.77 प्रतिशत अंक और अनुसूचित जाति श्रेणी के उम्मीदवार के रूप में 2,062 रैंक हासिल किया था। इसके बाद उन्होंने इस साल जेईई एडवांस के लिए आवेदन किया और अनुसूचित जाति वर्ग में 1,469 रैंक हासिल की।

हालांकि, पिता के खराब स्वास्थ्य पर इलाज के खर्च और कोविड-19 के पैदा हुई आर्थिक स्थिति के कारण रंजन सीट हासिल करने के लिए निर्धारित 15 हजार रुपये का भुगतान नहीं कर सकीं।

रंजन की सहायता करने वाले वकीलों ने 22 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बारे में अदालत को सूचित किया जिसमें शीर्ष अदालत ने आईआईटी बॉम्बे को एक दलित छात्र, प्रिंस जयबीर सिंह को एक अतिरिक्त सीट बनाकर प्रवेश देने का निर्देश दिया था, क्योंकि वह समय पर तकनीकी खामियों के कारण फीस का भुगतान नहीं कर सका था।

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