इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रंगनाथ पांडेय की पीएम नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी की खूब चर्चा है और अब वह सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट http://www.allahabadhighcourt.in से जानकारी मिलती है कि जस्टिस रंगनाथ पांडेय 4 जुलाई 2019 को रिटायर हो रहे हैं। बता दें कि जस्टिस रंगनाथ पांडेय द्वारा पीएम मोदी को लिखी गई चिट्ठी को समाचार एजेंसी एएनआई ने बुधवार (3 जुलाई) को सुबह 9 बजकर 48 मिनट पर ट्वीट किया। एएनआई के ट्वीट और हाईकोर्ट की वेबसाइट पर जस्टिस रंगनाथ पांडेय के रिटायमेंट की तारीख से अंदाजा लगता है कि उन्होंने रिटायर होने से कुछ घंटों पहले ही न्यायपालिका की नियुक्तियों में भ्रष्टाचार संबंधी चिट्ठी पीएम मोदी को लिखी।
नेशनल हेराल्ड ने समाचार एजेंसी आईएएनएस के हवाले से लिखा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के एक सीनियर जस्टिस ने कहा, ''न्यायपालिका में खराबी के बारे में सभी जानते हैं। न्यायमूर्ति रंगनाथ पांडे सेवानिवृत्त होने वाले हैं और इसलिए वह अपनी भावनाओं को बाहर निकलने दे सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि उनके पत्र को वांछित ध्यान मिलेगा।”
वहीं, बार काउंसिल के प्रमुख हरि शंकर सिंह ने कहा कि जस्टिस रंगनाथ पांडेय की पत्र को जनहित दस्तावेज माना जाना चाहिए और सरकार को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वकीलों ने पत्र के कंटेट का समर्थन किया।
बता दें कि जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने पत्र में लिखा है, ''भारतीय न्याय व्यवस्था में 34 वर्षों के अपने निजी अनुभव तथा उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश होने के नाते उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय में व्याप्त विसंगतियों की तरफ ध्यान आकृष्ट कराने के उद्देश्य से बेहद भारी मन से यह पत्र लिखना प्रासंगिक और अपना कर्तव्य समझता हूं।''
न्यायमूर्ति रंगनाथ ने पत्र में आगे लिखते हैं, ''भारतीय संविधान भारत को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र घोषित करता है तथा इसके तीन में से एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण न्यायपालिका (उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय) दुर्भाग्यवश वंशवाद और जातिवाद से बुरी तरह ग्रस्त हैं। यहां न्यायाधीशों के परिवार का सदस्य होना ही अगला न्यायाधीश होना सुनिश्चित करता है। राजनीतिक-कार्यकर्ता का मूल्यांकन अपने कार्य के आधार पर ही चुनाव में जनता के द्वारा किया जाता है। प्रशासनिक अधिकारी को सेवा में आने हेतु प्रतियोगी परीक्षाओं की कसौटी पर खरा उतरना होता है। अधीनस्थ न्यायालय के न्यायाधीशों को भी अपनी प्रतियोगी परीक्षाओं में योग्यता सिद्ध कर ही चयनित होने का अवसर प्राप्त होचा है परंतु उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति का हमारे पास कोई निश्चित मापदंड नहीं है। प्रचलित कसौटी है तो केवल परिवारवाद और जातिवाद।''
इसके अलावा और भी कई जरूरी बातों की तरफ जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने पीएम मोदी का ध्यान पत्र के जरिये खींचने की कोशिश की है।