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सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दायर करेगा 'ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड'

By भाषा | Updated: November 27, 2019 14:45 IST

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में प्रमुख मुस्लिम पक्षकार रहा उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड इस मसले पर उच्चतम न्यायालय द्वारा हाल में दिये गये फैसले को चुनौती नहीं देगा।

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ठळक मुद्देआल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने गत 17 नवम्बर को उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने और मस्जिद बनाने के लिये अयोध्या में जमीन न लेने का फैसला किया था।पर्सनल ला बोर्ड ने उम्मीद जतायी थी कि सुन्नी वक्फ बोर्ड उसके फैसलों का सम्मान करेगा।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के खिलाफ दिसंबर के पहले सप्ताह में पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय लिया है। पर्सनल लॉ बोर्ड ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। बोर्ड के सचिव और वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड के पुनर्विचार याचिका दायर करने से बोर्ड पर कोई विपरीत कानूनी प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सभी मुस्लिम संगठन पुनर्विचार याचिका दायर करने को लेकर एक राय रखते हैं। 

निर्णय को चुनौती नहीं देने के सुन्नी वक्फ बोर्ड के फैसले पर लगी आम सहमति की मुहर

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में प्रमुख मुस्लिम पक्षकार रहा उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड इस मसले पर उच्चतम न्यायालय द्वारा हाल में दिये गये फैसले को चुनौती नहीं देगा। बोर्ड की मंगलवार को हुई बैठक में आमराय से इस आशय का निर्णय किया गया है । बोर्ड अयोध्या में कहीं और मस्जिद बनाने के लिये पांच एकड़ जमीन लेने या नहीं लेने पर अभी कोई निर्णय नहीं कर सका है।

बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने बैठक के बाद 'भाषा' को बताया कि बैठक में बोर्ड के आठ में से सात सदस्यों ने हिस्सा लिया । उनमें से अब्दुल रज्जाक को छोड़कर बाकी छह सदस्यों ने अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को चुनौती न देने के प्रस्ताव का समर्थन किया। इस तरह अदालत के निर्णय को चुनौती न देने के फारूकी के पहले से ही लिये जा चुके फैसले पर आम सहमति की मुहर भी लग गयी।

फारूकी ने गत नौ नवम्बर को अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद ही कहा था कि बोर्ड उस पर पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगा। हालांकि उन्होंने बाद में कहा था कि अगर किसी सदस्य को इस पर आपत्ति है तो वह आज की बैठक में अपनी बात रख सकता है। उन्होंने बताया कि बैठक में एक सदस्य इमरान माबूद खां किन्हीं कारणों से शामिल नहीं हो सके। फारूकी ने बताया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा सरकार को दिये गये आदेश के मुताबिक अयोध्या में कहीं और मस्जिद बनाने के लिये पांच एकड़ जमीन लेने के मामले पर बैठक में कोई निर्णय नहीं हो सका। इस बारे में फैसला लेने के लिये बोर्ड के सदस्यों ने कुछ और समय मांगा।

उन्होंने बताया कि बोर्ड के सदस्यों की राय थी कि वह जमीन लेने से जुड़े तमाम शरई पहलुओं पर विचार करना चाहते हैं, लिहाजा उन्हें कुछ और समय दिया जाए। बैठक में यह भी तय किया गया कि बोर्ड की तरफ से अयोध्या मामले में मीडिया में बात करने का अधिकार सिर्फ बोर्ड अध्यक्ष फारूकी को ही होगा।

हालांकि अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष का संरक्षण कर रहे आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने गत 17 नवम्बर को उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने और मस्जिद बनाने के लिये अयोध्या में जमीन न लेने का फैसला किया था। पर्सनल ला बोर्ड ने उम्मीद जतायी थी कि सुन्नी वक्फ बोर्ड उसके फैसलों का सम्मान करेगा।

हालांकि कम से कम पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के मसले पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उससे अलग राह अख्तियार कर ली है। ज्ञातव्य है कि उच्चतम न्यायालय ने गत नौ नवम्बर को अयोध्या मामले में अपने निर्णय में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण कराने और मस्जिद बनाने के लिये सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन उपलब्ध कराने का सरकार को आदेश दिया था।

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