शराबबंदीः कांग्रेस नेता अजीत शर्मा ने उठाए सवाल, कहा- महाराष्ट्र की तुलना में बिहार के पुरुष ज्यादा पीते हैं शराब
By एस पी सिन्हा | Updated: December 16, 2020 20:59 IST2020-12-16T17:55:13+5:302020-12-16T20:59:26+5:30
अप्रैल 2016 को बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है. हाईकोर्ट ने मुज़फ़्फरपुर में एक होटल को शराब मिलने पर सरकारी संपत्ति घोषित करने के मामले में राज्य सरकार से ज़वाब तलब किया था.

बिहार में शराबबंदी कानून लागू है, इसके बावजूद धड़ल्ले से शराब का सेवन किया जा रहा है. (file photo)
पटनाः बिहार में पूर्ण शराबबंदी को लेकर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा है. उसके पीछे कारण यह है कि एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें यह बताया गया है कि पहले जिस परिवार का शराब पर एक हजार रुपये का खर्च होता था, अब उसे उसी शराब के लिए दो-ढाई हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं.
इससे परिवार की आर्थिक स्थिति चरमरा गयी है. ऐसे में कांग्रेस नेता ने यह मांग की है कि लिहाजा बिहार में शराबबंदी को तत्काल खत्म कर देना चाहिये. बिहार में कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर ऐसे ही तर्कों के साथ शराबबंदी समाप्त करने की मांग की है.
यहां उल्लेखनीय है कि बिहार में शराबबंदी लागू हुए अब पांच साल होने जा रहे हैं. शराबबंदी का फैसला एक अप्रैल 2016 से पूरे बिहार में लागू हुआ था. नीतीश सरकार के इस फैसले को लेकर खूब खेमेबंदी हुई. ढेर सारे लोग शराबबंदी के समर्थन में आये तो सरकार को खूब आलोचना भी झेलनी पड़ी.
खुद सरकार में शामिल दलों के कई राजनेताओं ने गाहे-बगाहे शराबबंदी कानून (बिहार मद्य निषेद अधिनियम) में बदलाव के लिए जरूरत जताई, लेकिन नए आंकड़ों के मुताबिक ड्राइ स्टेट होने के बावजूद बिहार में सबसे अधिक लोग शराब पीते हैं. देश में शराब की खपत को लेकर नए आंकडे़ के अनुसार, महाराष्ट्र की तुलना में बिहार के पुरुष ज्यादा शराब पीते हैं.
दिलचस्प है कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू है
दिलचस्प है कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू है, इसके बावजूद धड़ल्ले से शराब का सेवन किया जा रहा है. आंकड़ों के मुताबिक, तेलंगाना में पहले की तुलना में लोगों में शराब के सेवन का अनुपात बढ़ा है. तम्बाकू सेवन में पूर्वोत्तर राज्य सूची में सबसे ऊपर हैं. रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात और जम्मू-कश्मीर के पुरुषों में शराब की खपत कम से कम है.
रिपोर्ट के मुताबिक, यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि पिछले सर्वेक्षण के बाद से शराब या तंबाकू की खपत में कोई बदलाव हुआ है या नहीं, क्योंकि दोनों डेटा सेट तुलनीय नहीं हैं. 2015-16 के सर्वेक्षण में, डेटा 15-49 वर्ष आयु वर्ग से संबंधित था, जबकि नए सर्वेक्षण में यह सभी 15 साल से अधिक के लिए है.
कांग्रेस ने बिहार में शराबबंदी को खत्म करने की मांग उठाई है
ऐसे में अब कांग्रेस ने बिहार में शराबबंदी को खत्म करने की मांग उठाई है. पार्टी ने इसके पीछे बिहार सरकार को राजस्व के नुकसान का हवाला दिया है. अजीत शर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर कहा है कि अब वक्त है इस शराबबंदी की समीक्षा करने की क्योंकि शराबबंदी सिर्फ कहने को है.
पत्र में कहा गया है कि बिहार में 2016 से शराबबंदी कानून लागू है. उस वक्त कांग्रेस पार्टी भी आपके साथ थी. तब पार्टी ने अच्छा काम समझकर आपका भरपूर समर्थन किया था, लेकिन साढ़े 4 वर्षों में देखने में आया है कि शराबबंदी सिर्फ कहने को है, हकीकत में ये बिहार में लागू ही नहीं है. बल्कि यह अवैध धन अर्जन का एक साधन हो गया है.
अजीत शर्मा ने अपने पत्र में लिखा है कि शराबबंदी का हाल तो ये है कि नये उम्र के लड़के-लड़कियां पढ़ाई लिखाई छोड़ कर शराब की होम डिलेवरी कर रहे हैं. शराबबंदी के फैसले के बाद लगा था कि गरीबों का पैसा बचेगा. लेकिन गरीबों का और ज्यादा पैसा खर्च हो रहा है. जिससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है.
राज्य को करीब पांच हजार करोड़ रुपये के राजस्व की भी क्षति हो रही है
शराबबंदी से राज्य को करीब पांच हजार करोड़ रुपये के राजस्व की भी क्षति हो रही है, जबकि इसकी दोगुनी राशि शराब माफिया से जुडे लोगों तक पहुंच रही है. ऐसे में शराब की कीमत दोगुनी-तिगुनी कर शराबबंदी समाप्त करें और इससे प्राप्त राशि से कारखाने खोलें. राजकोष में धन आने पर इसका इस्तेमाल युवाओं को रोजगार देने में किया जा सकेगा.
अजित शर्मा ने पत्र में आगे कहा है कि जिस आशा के साथ शराबबंदी लागू की गई थी वह सफल होते हुए नहीं दिख रही है. इस कानून से अब तो गरीब परिवार और भी आर्थिक बोझ तले दब गया है, क्योंकि अब 2-3 गुना अधिक कीमत पर शराब खरीदकर लोग पी रहे. इतना ही नहीं लाइसेंसी दुकानों में शराब नहीं बिकने के कारण नकली- जहरीली शराब की होम डिलीवरी की आशंका बढ़ गई है.
दर्जनों लोग जहरीली शराब से मौत के मुंह में चले गए हैं.
अब तक दर्जनों लोग जहरीली शराब से मौत के मुंह में चले गए हैं. आगे और ज्यादा लोगों की मौत की आशंका है. कांग्रेस विधायक दल के नेता ने अपने पत्र में कहा है कि नीतीश कुमार ने जब शराबबंदी का फैसला लिया था तो कांग्रेस ने उसका समर्थन किया था. लेकिन शराबबंदी बिहार में लागू ही नहीं हो पाई.
दो-ढाई गुणे ज्यादा पैसा पर शराब हर जगह उपलब्ध है. अवैध शराब से माफिया ही नहीं बल्कि पुलिस, प्रशासन और राजनेता भी मोटा पैसा कमा रहे हैं. अजीत शर्मा ने कहा है कि नीतीश कुमार बिहार में शराबबंदी का फैसला वापस लें. शराब की बिक्री से जो पैसा आये उसे बिहार के विकास में खर्च करें.
उससे उद्योग लगाकर बिहार के युवाओं को रोजगार दें. यहां बता दें कि इसे लेकर पहले भी कांग्रेस और राजद दोनों शराबबंदी को फेल बता चुके हैं. लेकिन उन्होंने कभी खत्म करने की बात नहीं की थी. लेकिन अब कांग्रेस के तरफ से उठी यह मांग बता रही है कि वे इस शराबबंदी के खिलाफ हैं.



