लखनऊ: बसपा सुप्रीमों मायावती ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के उन आरोपों पर पलटवार किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि बसपा, भाजपा की बी टीम है। अखिलेश यादव के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मायावती ने कहा कि सपा द्वारा आरोप लगाना गलत और विद्वेष पूर्ण है।
बसपा सुप्रीमो ने कहा, "बीजेपी, सपा और कांग्रेस सभी घोर जातिवादी व बहुजन विरोधी पार्टियां हैं। कोई कम तो कोई ज्यादा है। इसके अलावा, सपा द्वारा विद्वेषपूर्ण आरोप लगा देने से काम नहीं चलेगा। बल्कि यूपी और देश भी यह देख रहा है कि कौन किसकी बी टीम रही है और अभी भी उसी रुप में सक्रिय है। सपा प्रमुख खुद बीजेपी की 'बी टीम' हैं। सपा बीजेपी के साथ मिलकर काम कर रही है और अखिलेश यादव खुद बीजेपी की 'बी' टीम हैं। 2017 में सरकार बनते ही बीजेपी ने अखिलेश यादव के कई कामों की जांच शुरू कराई, लेकिन आज तक एक भी जांच में निर्णय सामने नहीं आया।"
बता दें कि अखिलेश यादव ने पिछले दिनों कहा था कि बसपा ने भाजपा के साथ सांठगांठ की है और उसकी बी-टीम के रूप में काम करती है। अखिलेश ने कहा था, "पिछले विधानसभा चुनावों में, बीजेपी दफ्तर ने बसपा के उम्मीदवारों को अंतिम रूप दिया। बसपा के उम्मीदवार जीत के लिए नहीं, बल्कि सपा के उम्मीदवारों को जीतने से रोकने के लिए मैदान में उतारे गए थे। बसपा बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर और उसके संस्थापक कांशीराम के रास्ते से भटक गई है। बसपा ने भाजपा के साथ सांठगांठ की है और उसकी बी-टीम के रूप में काम करती है।"
अखिलेश के बयान की प्रतिक्रिया में बसपा द्वारा एक वक्तव्य जारी किया गया और कहा गया, "देश पहले की तरह ही आज भी जातिवादी सरकार व उन जैसे तत्वों से जकड़ा हुआ है तथा इसके अभिशाप से छुटकारा तभी मिल सकता है जब इसके सताये हुए लोग अपने वोट के जबरदस्त संवैधानिक हक के जरिए राज्य व देश की सत्ता पर काबिज होंगे, जिसके लिए ही अन्ततः यहाँ बी.एस.पी. की स्थापना की गई है। देश व खासकर यूपी ने बीजेपी, कांग्रेस व सपा आदि घोर जातिवादी व आरक्षण विरोधी रवैये के साथ-साथ एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम व धार्मिक अल्पसंख्यकों को उनके कानूनी हक व इंसाफ से वंचित रखने के खेल तथा इन पार्टियों की कथनी और करनी में अन्तर को भी देख लिया है। इससे साबित है कि ये सभी पार्टियों एक ही थैली के चट्ट-बट्टे हैं और इनसे एससी, एसटी, ओबीसी व मुस्लिम समाज को अपने वास्तविक भले की उम्मीद करके रेगिस्तान में पानी तलाशने जैसी ही गलती कतई नहीं करनी चाहिए। जब तक सभी लगभग सवा सौ करोड़ लोग गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, पिछड़ेपन, जातिवादी द्वेष / शोषण व साम्प्रदायिक नफरत / घृणा आदि से जब तक मुक्त नही होंगे तब तक देश जुगाड़ व जुमलेबाजी से आगे निकलकर वास्तविक विकास की सीढ़ी तय नहीं कर पाएगा।"