अजित पवार: 80 के दशक में शरद पवार से सीखे राजनीति के गुर, आज दे रहे हैं उन्हीं को चुनौती
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 23, 2019 07:13 PM2019-11-23T19:13:47+5:302019-11-23T19:13:47+5:30
अजित जून 1991 में सुधाकरराव नाइक की सरकार में पहली बार राज्य मंत्री बने। वह अपने तीन दशक के राजनीतिक जीवन में अभी तक कृषि, जल संसाधन, ग्रामीण मृदा संरक्षण, सिंचाई और बिजली तथा योजना जैसे मंत्रालय संभाल चुके हैं। वह नवंबर 2010 में पहली बार राज्य के उप मुख्यमंत्री बने।
अजित पवार ने जब पिछले महीने अपने चाचा और राकांपा प्रमुख शरद पवार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई का हवाला देते हुए राजनीति से संन्यास लेने का फैसला किया था, तो कुछ लोगों ने कहा था कि वह वरिष्ठ मराठा नेता की छाया से अलग होना चाहते हैं। यह अनुमान शनिवार को उस समय सच होता दिखाई दिया, जब 60 साल के अजित पवार ने एक बार फिर महाराष्ट्र का उप मुख्यमंत्री बनने के लिए अपनी राजनीतिक दिशा बदल ली।
उनके पिता अनंतराव पवार ने जानेमाने फिल्मकार वी शांताराम के साथ काम किया था और जिस तरह अजित पवार अचानक भाजपा के देवेंद्र फड़नवीस के साथ आ गए, वह किसी बॉलीवुड थ्रिलर की तरह ही लगता है।
राकांपा सूत्रों ने बताया कि वह एक सख्त प्रशासक हैं और अपने विधानसभा क्षेत्र बारामती में बेहद लोकप्रिय हैं, लेकिन साथ ही वह अपने मन की करने के लिए भी जाने जाते हैं। यही वजह है कि पार्टी से अलग राह पकड़ने में उन्हें कोई हिचक नहीं हुई। दादा के नाम से मशहूर अजित ने 1980 के दशक में शरद पवार के सानिध्य में जमीनी राजनीति के गुर सीखे।
उन्होंने 1991 में बारामती विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़कर चुनावी राजनीति में कदम रखा और तब से वह लगातार सात बार इस पारिवारिक सीट से जीत का परचम लहरा चुके हैं। इस बार विधानसभा चुनाव में वह सबसे अधिक 1.65 लाख वोटों के अंतर से जीतने में कामयाब रहे। इस तरह उन्होंने क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ को एक बार फिर साबित किया।
अजित जून 1991 में सुधाकरराव नाइक की सरकार में पहली बार राज्य मंत्री बने। वह अपने तीन दशक के राजनीतिक जीवन में अभी तक कृषि, जल संसाधन, ग्रामीण मृदा संरक्षण, सिंचाई और बिजली तथा योजना जैसे मंत्रालय संभाल चुके हैं। वह नवंबर 2010 में पहली बार राज्य के उप मुख्यमंत्री बने। उन पर सिंचाई घोटाले में शामिल होने के आरोप भी लगे और प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन का एक मुकदमा भी दर्ज किया। अब ये देखना होगा कि स्वतंत्र सोच रखने वाले अजित पवार वैचारिक रूप से अलग दिखने वाले देवेंद्र फड़नवीस के साथ कैसे तालमेल बैठाएंगे।
अजित पवार का जन्म 22 जुलाई 1959 को अहमदनगर के देवलाली प्रवरा में एक किसान परिवार में हुआ और उनका विवाह महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री पद्मसिंह पाटिल की बहन सुनेत्रा के साथ हुआ। उनके दो बेटे पार्थ और जय हैं। पार्थ ने इस साल पुणे जिले की मवाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, हालांकि उन्हें कामयाबी नहीं मिली।
राकांपा सूत्रों का कहना है कि अजित पवार अपने बेटे की हार के लिए शरद पवार को दोषी ठहराते हैं कि उन्हें उस चुनाव में दिलचस्पी नहीं ली। अजित की चचेरी बहन एवं शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले बारामती से सांसद हैं और शरद पवार के बड़े भाई राजेन्द्र पवार के पोते रोहित पवार अहमदनगर की कर्जत-जामखेड सीट से विधायक हैं।