दिल्ली में वायु गुणवत्ता फिर 'गंभीर' श्रेणी में, 393 दर्ज किया गया AQI, छाई है धुंध
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: November 26, 2023 08:59 AM2023-11-26T08:59:27+5:302023-11-26T09:02:35+5:30
वायु गुणवत्ता सूचकांक 0 से 100 तक 'अच्छा', 100 से 200 तक 'मध्यम', 200 से 300 तक 'खराब', 300 से 400 तक 'बहुत खराब' और 400 से 500 या इससे ऊपर को 'गंभीर' माना जाता है।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में रहने वाले लोगों को प्रदूषण के प्रकोप से राहत मिलती नहीं दिख रही है। दिल्ली में वायु प्रदूषण 393 की समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) रिकॉर्डिंग के साथ 'बहुत खराब' श्रेणी में बना हुआ है। रविवार, 26 नवंबर सुबह 7:00 बजे दर्ज किए गए आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, आनंद विहार में 433 और अशोक विहार में 434 एक्यूआई दर्ज किया गया। इसी तरह, बवाना में AQI 437 रहा, जबकि जहांगीरपुरी में AQI 450 दर्ज किया गया, जो सभी गंभीर श्रेणी में आते हैं।
#WATCH केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 'गंभीर' श्रेणी में है।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 26, 2023
(ड्रोन वीडियो आनंद विहार से सुबह 7:40 बजे शूट किया गया है) pic.twitter.com/6N6nnx8Cnb
दिल्ली में ITO पर AQI 382 (बहुत खराब) दर्ज किया गया, जबकि IGI हवाई अड्डे पर AQI 360 (बहुत खराब) दर्ज किया गया। बता दें कि वायु गुणवत्ता सूचकांक 0 से 100 तक 'अच्छा', 100 से 200 तक 'मध्यम', 200 से 300 तक 'खराब', 300 से 400 तक 'बहुत खराब' और 400 से 500 या इससे ऊपर को 'गंभीर' माना जाता है।
पिछले सप्ताह राष्ट्रीय राजधानी में AQI में महत्वपूर्ण सुधार के बाद, CAQM (वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) ने GRAP 4 के तहत लगाए गए प्रतिबंधों को रद्द कर दिया था जिसमें BS-3 और BS-4 पेट्रोल और डीजल को छोड़कर ट्रकों और बसों को अनुमति दी गई थी।
#WATCH केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 'गंभीर' श्रेणी में है।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 26, 2023
(वीडियो कर्तव्य पथ से सुबह 7:10 बजे शूट किया गया है) pic.twitter.com/H8efP7jv7u
बता दें कि चिकित्सकों का कहना है कि दिल्ली की प्रदूषित हवा में सांस लेना एक दिन में लगभग 10 सिगरेट पीने के हानिकारक प्रभावों के बराबर है। लंबे समय तक उच्च स्तर के प्रदूषण के संपर्क में रहने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और श्वसन संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं या बढ़ सकती हैं और हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि फिर भी राजधानी में रहने वाले लोगों को इसका सामना करना ही पड़ता है।
राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण में वाहनों के उत्सर्जन, पराली जलाने की घटनाओं, माध्यमिक अकार्बनिक एयरोसोल- सल्फेट और नाइट्रेट जैसे कण जो बिजली संयंत्रों, रिफाइनरियों और वाहनों जैसे स्रोतों से गैसों और कण प्रदूषकों की परस्पर क्रिया के कारण वायुमंडल में बनते हैं का प्रमुख योगदान होता है।