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एयर इंडिया, टाटा को सौंपने के लिए फर्जीवाड़ा किया गया, सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली हाईकोर्ट में दावा किया, 6 जनवरी को फैसला सुनाएगा कोर्ट

By विशाल कुमार | Updated: January 4, 2022 12:33 IST

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अधिवक्ता सत्य सबरवाल के माध्यम से दायर याचिका में अधिकारियों की भूमिका और कार्यशैली की सीबीआई जांच कराने और इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करने का भी अनुरोध किया है।

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ठळक मुद्देसरकार ने अक्टूबर में टाटा की बोली को स्वीकार कर एयर इंडिया के अधिग्रहण को मंजूरी दी थी।दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को कल तक मामले में अपने नोट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि वह 6 जनवरी को अपना फैसला सुनाएगी।

नई दिल्ली:एयर इंडिया’ की विनिवेश प्रक्रिया  को रद्द करने और अधिकारियों द्वारा इसे दी गई मंजूरी पर रोक लगाने के भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी  के अनुरोध पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि वह 6 जनवरी को अपना फैसला सुनाएगी। टाटा संस ने इसकी बोली जीती है।

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की खंडपीठ ने कहा कि वह गुरुवार को अपना आदेश सुनाएगी और पक्षों को कल तक मामले में अपने नोट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।

आज मामले की सुनवाई के दौरान स्वामी ने तर्क दिया कि बोली प्रक्रिया असंवैधानिक, दुर्भावनापूर्ण और भ्रष्ट थी और टाटा के पक्ष में धांधली की गई थी।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अन्य बोलीदाता स्पाइसजेट के मालिक के नेतृत्व वाला एक समूह था। उन्होंने बताया कि मद्रास हाईकोर्ट में एक दिवाला प्रक्रिया चल रही थी जिसने स्पाइसजेट के खिलाफ आदेश पारित किया था और इसलिए वह बोली लगाने की हकदार नहीं थी।

स्वामी ने कहा कि स्वामी ने कहा कि इसका मतलब है कि केवल एक बोलीदाता था और बोली नहीं लग सकती थी। बोली प्रक्रिया के बाद मीडिया में एक कहानी छपी कि दूसरे बोली लगाने वाले ने कहा कि वह खुश हैं कि उसने भाग लिया क्योंकि अगर वह नहीं होता, तो बोली प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकती थी।

मामले की सुनवाई के बाद स्वामी ने ट्वीट कर कहा कि आज दिल्ली हाईकोर्ट में सॉलिसिटर जनरल और टाटा के वकील हरीश साल्वे के साथ मजेदार दिन रहा। चीफ जस्टिस ने बेहद तीखे सवाल पूछे। मैं भाग्यशाली हूं कि मेरे साथ सत्य सभरवाल थे जिन्होंने गहरी रिसर्च की थी जिसने मुझे हर सवाल का जवाब देने में मदद की. 6 जनवरी को फैसला आएगा।

केंद्र ने कहा, सौदे पर अदालत विचार नहीं कर सकता है

केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि राष्ट्रीय विमानन को घाटे में देखते हुए विनिवेश सरकार द्वारा लिया गया एक नीतिगत निर्णय था।

उन्होंने कहा कि सौदे के बारे में कुछ भी गुप्त नहीं था और इस मुद्दे पर अनुच्छेद 226 के तहत न्यायालय द्वारा विचार नहीं किया जा सकता है।

टाटा ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोप निराधार

टाटा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि सफल बोली लगाने वाली 100 फीसदी भारतीय कंपनी है और भ्रष्टाचार के आरोप बिना किसी आधार के हैं।

उन्होंने कहा कि साल 2017 से ही सरकार को एयरलाइन को बेचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस याचिका में कुछ भी नहीं है। कोई जानकारी नहीं दी गई है। वे बस दोहरा सकते हैं कि भ्रष्टाचार है लेकिन कोई जानकारी नहीं दी गई है।

याचिका में क्या कहा गया है?

बता दें कि, राज्यसभा सांसद स्वामी ने मौजूदा एयर इंडिया विनिवेश प्रक्रिया के संबंध में अधिकारियों द्वारा किसी भी अग्रिम कार्रवाई या निर्णय या अनुमोदन अथवा अनुमति को रद्द करने का अनुरोध किया है।

स्वामी ने अधिवक्ता सत्य सबरवाल के माध्यम से दायर याचिका में अधिकारियों की भूमिका और कार्यशैली की सीबीआई जांच कराने और इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करने का भी अनुरोध किया है।

अक्टूबर में सरकार ने स्वीकार की थी टाटा की बोली

सरकार ने गत अक्टूबर में टाटा संस की एक कंपनी की तरफ से लगाई गई बोली को स्वीकार कर एयर इंडिया के अधिग्रहण को मंजूरी दी थी। एयर इंडिया के साथ उसकी सस्ती विमान सेवा एयर इंडिया एक्सप्रेस की भी शत-प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री की जाएगी।

साथ ही उसकी ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी एआईएसएटीएस की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी टाटा समूह को दी जाएगी। उस समय सरकार की तरफ से कहा गया था कि इस अधिग्रहण से जुड़ी औपचारिकताओं को दिसंबर के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा।

सरकार ने 25 अक्टूबर को 18,000 करोड़ रुपये में एयर इंडिया की बिक्री के लिए टाटा संस के साथ खरीद समझौता किया था। टाटा सौदे के एवज में सरकार को 2,700 करोड़ रुपये नकद देगी और एयरलाइन पर बकाया 15,300 करोड़ रुपये के कर्ज की देनदारी लेगी।

एयर इंडिया वर्ष 2007-08 में इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय के बाद से ही लगातार घाटे में चल रही थी. पिछले 31 अगस्त को उस पर कुल 61,562 करोड़ रुपये का बकाया था।

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