वायुसेना ने बताया राफेल क्यों बना राजनीतिक विवाद का विषय?

By भाषा | Updated: September 5, 2018 19:25 IST2018-09-05T19:25:43+5:302018-09-05T19:25:43+5:30

राफेल सौदे से जुड़े विवाद के बारे में पूछे जाने एयर मार्शल एस बी देव ने कहा- ‘‘हम विमान के आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह एक बेहतरीन विमान है। यह बहुत सक्षम विमान है। हमें यह क्षमता जल्दी चाहिए।’’ 

Air force says Rafale jets will give India unprecedented combat | वायुसेना ने बताया राफेल क्यों बना राजनीतिक विवाद का विषय?

वायुसेना ने बताया राफेल क्यों बना राजनीतिक विवाद का विषय?

नई दिल्ली, पांच सितंबर: राफेल जेट विमानों की खरीद को लेकर चल रहे राजनीतिक विवाद के बीच वायुसेना के उप प्रमुख (वाइस चीफ ऑफ एयर स्टाफ) एयर मार्शल एस बी देव ने बुधवार को कहा कि इस ‘‘बेहतरीन’’ विमान से भारत को "अभूतपूर्व" युद्धक क्षमता मिलेगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग इस सौदे की आलोचना कर रहे हैं, उन्हें खरीद मानदंडों को समझना चाहिए।

उन्होंने हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लि. (एचएएल) द्वारा देश में विकसित हल्के युद्धक विमान तेजस की आपूर्ति में देरी को लेकर अप्रसन्नता जतायी और कहा कि इसके उत्पादन में निजी क्षेत्र को शामिल किया जाना चाहिए।

लड़ाकू विमानों की कमी का सामना कर रहा वायुसेना

वायुसेना लड़ाकू विमानों की कमी का सामना कर रहा है। अभी इसके पास 31 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं जबकि अधिकृत क्षमता 42 स्क्वाड्रन की है। हर स्क्वाड्रन में 16-18 विमान होते हैं। राफेल विमानों के बारे में उन्होंने कहा कि "सौदे के बारे में काफी चर्चाएं" हो रही हैं क्योंकि लोगों को खरीद प्रक्रिया के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है।

विमान के आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं वायुसेना

राफेल सौदे से जुड़े विवाद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा ‘‘हम विमान के आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह एक बेहतरीन विमान है। यह बहुत सक्षम विमान है। हमें यह क्षमता जल्दी चाहिए।’’ 

इसलिए हो रही हैं चर्चाए

उनसे एक कार्यक्रम से इतर सवाल किए गए थे। उन्होंने 58,000 करोड़ रुपये के राफेल सौदे से जुड़े आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि सभी चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि लोगों को जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें डीपीपी (रक्षा खरीद प्रकिया) और ‘ऑफसेट’ नीति के बारे में पढ़ना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि जेट विमानों से भारत को अभूतपूर्व बढ़त प्राप्त होगी।

भारत ने 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए 58,000 करोड़ रुपये की लागत से सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ अंतर-सरकारी समझौता किया था। इन विमानों की आपूर्ति सितंबर 2019 से शुरू होने वाली है।

कांग्रेस ने इस सौदे को लेकर कई सवाल उठाए हैं जिनमें विमान की कीमतें शामिल हैं। कांग्रेस का आरोप है कि इस सौदे में भारी गड़बड़ी हुयी है। पार्टी ने दावा किया कि सरकार हर विमान 1600 करोड़ रूपए से ज्यादा में खरीद रही है जबकि संप्रग सरकार ने 526 करोड़ रूपए की कीमत को अंतिम रूप दिया था। हालांकि सरकार ने आरोपों को खारिज कर दिया है।

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