औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजी महाराज करने पर एआईएमआईएम सांसद ने जताई आपत्ति, बोले- 'नाम बदलने में 1000 करोड़ रुपये का खर्च आता है'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: July 12, 2022 18:30 IST2022-07-12T18:22:38+5:302022-07-12T18:30:17+5:30
औरंगाबाद से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद इम्तियाज अली ने जिला का नाम संभाजी महाराज करने पर विरोध करते हुए कहा कि यह फैसला केवल और केवल राजनीतिक स्वार्थ के कारण लिया गया है।

औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजी महाराज करने पर एआईएमआईएम सांसद ने जताई आपत्ति, बोले- 'नाम बदलने में 1000 करोड़ रुपये का खर्च आता है'
मुंबई: महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार से इस्तीफा देने के एक दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए औरंगाबाद का नाम बदलकर बदलकर संभाजी नगर कर दिये जाने के फैसले को गलत बताते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद इम्तियाज अली ने इसे केवल और केवल राजनीतिक स्वार्थ के कारण लिया गया है।
एकनाथ शिंदे की अगुवाई में बगावत का दंश झेल रहे शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, जो कि एनसीपी और कांग्रेस के सहयोग से मुख्यमंत्री की गद्दी पर भी सवार थे। जब सरकार गिरती हुई दिखाई दी तो आनन-फानन में उन्होंने ये फैसला लिया और उसके अगले दिन पद से त्यागपत्र दे दिया।
लेकिन ये फैसला ऐसा नहीं था कि उद्धव ठाकरे ने अचानक या बिना सोचे-समझे लिया था। शिवसेना औरंगाबाद का नाम बदले की मांग पहले भी करती रही है, लेकिन चूंकि वो एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार में थे। इसलिए इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
लेकिन जैसे ही उद्धव ठाकरे को यह लगा कि भाजपा एकनाथ शिंदे की मदद से उनकी गद्दी सरकाने वाली है तो उन्होंने भाजपा और शिंदे को फंसाने के लिए औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजी महाराज के नाम पर करने की घोषणा कर दी क्योंकि भाजपा ने सरकार गिरने से कुछ दिनों पहले कहा था कि वो उद्धव सरकार के सारे फैसलों को बदल देंगे। इस कारण ठाकरे ने औरंगाबाद का नाम बदलकर ऐसा तुरुप का इक्का चला, जिसकी काट भाजपा के लिए बेहद मुश्किल है।
अब इस मामले में विरोध दर्ज करते हुए औरंगाबाद के सांसद इम्तियाज जलील ने कहा कि औरंगाबाद की जनता के साथ एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है।
सांसद जलील ने कहा कि नाम बदलने की राजनीति में सबसे सवाल तो यह उठता है कि आखिर जिस महाविकास अघाड़ी सरकार के मुखिया उद्धव ठाकरे ने औरंगाबाद का नाम बदलने की घोषणा की, क्या उस सरकार के सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी को इस बात की जानकारी नहीं थी।
इम्तियाज जलील ने कहा, "मुझे छत्रपति संभाजी महाराज के नाम से कोई आपत्ति नहीं है, वो महान थे। शिवाजी महान थे और उनके प्रति मेरा आदर है। लेकिन शहर का नाम बदलने से कोई फायदा होता हुआ यह नजर नहीं आ रहा है। यह सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक नफे के लिए शिवसेना का फैसला था। इस फैसले से आम जनता से कोई सरोकार नहीं है।"
इसके आगे उन्होंने कहा कि जिले का नाम बदलना इतना आसान नहीं होता और इसमें लगभग 1000 करोड़ रुपये का खर्च आता है। हर जगह नाम बदलेंगे। वोटर आईडी पर नाम बदलेगा, आधार कार्ड पर नाम बदलेगा, पासपोर्ट पर नाम बदलेगा। गली, शहर और सड़कों का नाम बदलेगा। लोगों को अपनी दुकानों और पतों पर औरंगाबाद से संभाजी महाराज करना होगा। ये सरकार समझ नहीं रही है कि नाम बदलना कोई खेल नहीं कि जब मन किया खेल लिया।
सांसद जलील ने कहा कि आज बेरोजगारी किस कदर है, युवा परेशान है, महंगाई चरम पर है और सरकार को केवल नाम बदले की पड़ी है। ये गलत फैसला है और हमारी पार्टी इसका विरोध करती है।