नई दिल्ली: समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर देश में बहस जारी है। बीजेपी जिस जोर-शोर से इस मुद्दे को उठा रही है उसे देखते हुए कहा जा रहा है कि साल 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी के लिए समान नागरिक संहिता बड़ा मुद्दा होगा। कुछ लोगों का कहना है कि समान नागरिक संहिता से सबसे ज्यादा प्रभावित मुसलमान होंगे। हालांकि इसके सबसे बड़े विरोधियों में से एक आल इंडिया मजलिए-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि यूसीसी लागू हुआ तो सबसे ज्यादा प्रभावित हिंदू समुदाय होगा।
नांदेड़ में एआईएमआईएम नेता ने समान नागरिक संहिता पर बोलते हुए कहा, "प्रधानमंत्री कहते हैं कि एक घर में दो क़ानून कैसे रहेंगे? यह गलत है। सीआरपीसी उत्तरपूर्व के राज्यों में अभी तक लागू नहीं है। हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली के तहत दूसरे समुदाय के लोगों को कर में छूट क्यों नहीं मिलता? समान नागरिक संहिता आने से सबसे अधिक हमारे हिंदू भाई-बहन परेशान होंगे। हिंदू मैरिज एक्ट, हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम सब चला जाएगा। हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली के तहत हिंदू भाई-बहनों को मिलना वाला कर में छूट का लाभ भी चला जाएगा।"
ओवैसी ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 का हवाला देते हुए कहा, "इस एक्ट में हिंदू भाई बहनों के लिए कहा गया है कि पिता की सात पीढ़ियों और मां की 5 पीढ़ियों तक शादी नहीं हो सकती है लेकिन इसका अपवाद दे दिया गया है। अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड आया तो एक अपवाद खत्म हो जाएगा।"
बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा, "अगर आरएसएस ये सोच रही है कि इससे सिर्फ मुल्ला जी लोगों को निशाना बनाएंगे तो आप हमारे नाम पर किसी और का नुकसान कर रहे हैं।"
बता दें कि समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर सिर्फ ओवैसी ही नहीं बल्कि बाकी नेता भी लगातार बयान दे रहे हैं। अहमदाबाद में केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने बुधवार को कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) मुसलमानों या आदिवासी समुदाय के हितों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि डॉ. भीम राव आंबेडकर यूसीसी के समर्थन में थे, और धार्मिक सद्भाव के लिए इसकी आवश्यकता है।
रामदास अठावले ने कहा, मैं मुसलमानों से यह कहना चाहता हूं कि यूसीसी आपके खिलाफ नहीं है। इसपर राजनीति करने के बजाय सभी दलों को इसका समर्थन करना चाहिए। यह कानून आदिवासियों, दलितों, हिंदुओं या मुसलमानों के खिलाफ नहीं है।