कोविड-19 के उपचार में प्लाज्मा थेरेपी के क्लीनिकल परीक्षण की योजना बना रहा एम्स, विशेषज्ञों की मिलीजुली राय

By भाषा | Published: April 29, 2020 05:20 AM2020-04-29T05:20:35+5:302020-04-29T05:20:35+5:30

फोर्टिस अस्पताल, दिल्ली में फेफड़ा रोग विभाग के प्रमुख डॉ विवेक नांगिया ने कहा कि जहां तक कोविड-19 की बात है तो स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्लाज्मा थेरेपी से जुड़ी किसी भी धारणा को समाप्त करने के संबंध में अच्छा कदम उठाया है और अभी तक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है।

AIIMS plans clinical trial of plasma therapy in the treatment of Kovid-19, mixed opinion of experts | कोविड-19 के उपचार में प्लाज्मा थेरेपी के क्लीनिकल परीक्षण की योजना बना रहा एम्स, विशेषज्ञों की मिलीजुली राय

कोविड-19 के उपचार में प्लाज्मा थेरेपी के क्लीनिकल परीक्षण की योजना बना रहा एम्स, विशेषज्ञों की मिलीजुली राय

Highlights बायकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ ने कहा कि मंत्रालय का बयान सही नहीं है।यूएसएफडीए भी मानता है कि यह कारगर उपचार पद्धति है और उसने ठीक हो चुके रोगियों से प्लाज्मा दान करने की अपील की है।

नयी दिल्ली: एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने मंगलवार को कहा कि संस्थान कोविड-19 के रोगियों के उपचार में प्लाज्मा थेरेपी के क्लीनिकल ट्रायल की योजना बना रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से मंजूरी लेने के तौर-तरीकों पर काम हो रहा है। गुलेरिया ने कहा कि कोविड-19 के उपचार के लिए यह पद्धति अभी प्रायोगिक स्तर पर है और कोरोना वायरस के रोगियों में नियमित इस्तेमाल के लिहाज से प्लाज्मा थेरेपी की सिफारिश के लिए अनुसंधान और परीक्षण अच्छी तरह करना जरूरी है।

उन्होंने कहा, ‘‘एम्स कोविड-19 के रोगियों में प्लाज्मा थेरेपी के प्रभाव का क्लीनिकल ट्रायल करने के लिए आईसीएमआर के साथ मिलकर काम कर रहा है।’’ उन्होंने कहा कि सभी संस्थानों के लिए प्लाज्मा थेरेपी के लिए आईसीएमआर और डीसीजीआई से आवश्यक स्वीकृति लेना जरूरी है और उन्हें इस अनुसंधान के लिए उचित क्लीनिकल दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए। एम्स के निदेशक ने कहा, ‘‘दुनियाभर में बहुत सीमित अध्ययनों में ठीक हो चुके रोगी का प्लाज्मा अन्य सहयोगी थैरेपी तथा उपचारों का सहायक है जिनसे कोविड-19 के गंभीर रोगियों के प्रबंधन में कुछ फायदे मिले हैं।’’

गुलेरिया ने यह भी कहा कि प्लाज्मा की सुरक्षा लिहाज से जांच होनी चाहिए और इसमें पर्याप्त एंटीबॉडी होने चाहिए जो कोविड-19 के रोगियों के लिए उपयोगी हों। स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि फिलहाल प्लाज्मा थेरेपी प्रायोगिक स्तर पर है और अभी तक इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि कोविड-19 के उपचार में यह कारगर है।

उसने बताया कि आईसीएमआर ने इस बारे में जानकारी जुटाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन शुरू किया है और अध्ययन पूरा होने तथा पुख्ता वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं मिलने तक प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल केवल अनुसंधान या प्रायोगिक परीक्षण के लिए होना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने मंगलवार को प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ‘‘अगर प्लाज्मा थेरेपी का उचित दिशानिर्देशों का पालन करते हुए सही से इस्तेमाल नहीं किया गया तो इसके परिणाम घातक भी हो सकते हैं।’’

फोर्टिस अस्पताल, दिल्ली में फेफड़ा रोग विभाग के प्रमुख डॉ विवेक नांगिया ने कहा कि जहां तक कोविड-19 की बात है तो स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्लाज्मा थेरेपी से जुड़ी किसी भी धारणा को समाप्त करने के संबंध में अच्छा कदम उठाया है और अभी तक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘रोगियों को झूठी दिलासा नहीं दी जानी चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नया वायरस है और इसका कोई उपचार नहीं है। फिर चाहे हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन हो या प्लाज्मा थेरेपी। ये सारी अनुमान आधारित या प्रयोग आधारित पद्धतियां हैं।’’

एम्स में मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ नीरज निश्चल ने कहा कि कोविड-19 के उपचार के लिए कोई विशेष एंटीवायरल चिकित्सा नहीं होने की स्थिति में स्वस्थ हो चुके रोगी से प्लाज्मा लेकर दूसरे मरीज में चढ़ाने की थेरेपी को फायदेमंद माना जा रहा है। लेकिन प्लाज्मा थेरेपी के प्रभावशाली होने के लिए प्लाज्मा में संक्रमण के विरुद्ध पर्याप्त संख्या में एंटीबॉडी होने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह थेरेपी पूरी तरह पुख्ता नहीं है और इसके जोखिम भी हैं। इसमें रोगी की हालत बिगड़ भी सकती है।

हालांकि बायकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ ने कहा कि मंत्रालय का बयान सही नहीं है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘कोविड-19 के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी के समर्थन के लिए कोई प्रमाण नहीं है: सरकार-प्लाज्मा थेरेपी से लोगों की जिंदगियां बचने की इसकी क्षमता को लेकर उपलब्ध वैश्विक आंकड़ों को देखते हुए यह बयान पूरी तरह गलत है। कृपया इसे मत रोकिए।’’ किरण ने कहा, ‘‘यूएसएफडीए भी मानता है कि यह कारगर उपचार पद्धति है और उसने ठीक हो चुके रोगियों से प्लाज्मा दान करने की अपील की है। मायो क्लीनिक एक हजार रोगियों पर परीक्षण कर रहा है।’’

Web Title: AIIMS plans clinical trial of plasma therapy in the treatment of Kovid-19, mixed opinion of experts

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