एजीआर मामला: न्यायालय ने संचार कंपनियों के स्पेक्ट्रम साझा मामले में दूरसंचार विभाग से जानकारी मांगी

By भाषा | Published: August 22, 2020 12:03 AM2020-08-22T00:03:49+5:302020-08-22T00:03:49+5:30

केन्द्र ने इससे पहले न्यायालय से कहा था कि दिवाला कार्यवाही के दौरान स्पेक्ट्रम की बिक्री के सवाल पर उसके दो मंत्रालयों-(दूरसंचार विभाग और कार्पोरेट मामले) में मतभेद है। शीर्ष अदालत ने दूरसंचचार कंपनियों की लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल शुल्क जैसी देनदारियों के बारे में सरकार की गणना के लिये अक्टूबर 2019 में एजीआर बकाया राशि के मुद्दे पर अपना फैसला सुनाया था।

AGR case: Court seeks information from telecom department in spectrum sharing case of communication companies | एजीआर मामला: न्यायालय ने संचार कंपनियों के स्पेक्ट्रम साझा मामले में दूरसंचार विभाग से जानकारी मांगी

न्यायालय ने आश्चर्य व्यक्त किया कि क्या एजीआर से संबंधित बकाया जैसी देनदारी दिवाला और ऋण अक्षमता संहिता के तहत स्पेक्ट्रम बेचने की आड़ में परिसमाप्त हो जायेगी।

Highlightsशीर्ष अदालत ने दूरसंचार विभाग के सचिव को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया पीठ ने कहा कि दूरसंचार विभाग के सचिव को लाइसेंस देने की तारीख से चार्ट के रूप में स्पष्ट हलफनामा देना होगा।

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दूरसंचार विभाग को निर्देश दिया कि निजी संचार कंपनियों द्वारा स्पेक्ट्रम साझा करने के आधार और इस साझेदारी की जिम्मेदारी के बारे में उसे शनिवार तक अवगत कराया जाये। शीर्ष अदालत ने दूरसंचार विभाग के सचिव को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें यह स्पष्ट हो कि लाइसेंस दिये जाने की तारीख से स्पेक्ट्रम का कौन इस्तेमाल कर रहा था और किस तारीख से स्पेक्ट्रम साझा किया गया।

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने मामले को 24 अगस्त के लिये सूचीबद्ध करते हुये दूरसंचार विभाग से जानना चाहा कि आरकाम के स्पेक्ट्रम का 23 फीसदी इस्तेमाल करने के लिये रिलायंस जिओ ने कितनी धनराशि का भुगतान किया।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘दूरसंचार को, विशेष रूप से , कल तक यानि 22 अगस्त, 2020 तक हलफनामा दाखिल करना है जिसमें साझा करने की व्यवस्था के आधार, इसे साझा करने की तारीख से साझा करने वालों की जिम्मेदारी कितनी है और हमारे फैसले के अनुसार इनके द्वारा किये गये भुगतान, बकाया राशि, जिसका साझा करने की व्यवस्था के आधार पर भुगतान करना हो, का विवरण हो।’

’ न्यायालय ने कहा, ‘‘दूसरी बात, हम चाहते हैं कि दूरसंचार विभाग के सचिव इस मामले में हमारे सामने कंपनियों के संबंध में हस्तांतरण की तारीख, लाइसेंस जारी करने की तारीख से हस्तांतरण होने की तारीख तक की बकाया राशि और हस्तांतरण के बाद तथा कारोबारी हस्तांतरण से पहले तथा इस मद में बकाया राशि के बारे में हलफनामा दाखिल करें।’’

पीठ ने कहा कि दूरसंचार विभाग के सचिव को लाइसेंस देने की तारीख से चार्ट के रूप में स्पष्ट हलफनामा देना होगा। हलफनामे में यह बताना होगा कि लाइसेंस का इस्तेमाल कौन कर रहा है और किस तारीख से प्रत्येक लाइसेंस को साझा किया जा रहा है और इसके हस्तांतरण/कारोबार की तारीख क्या है।

सुनवाई के दौरान जिओ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि दूरसंचार द्वारा किसी भी अतिरिक्त बकाया राशि की मांग के बारे में सरकार से कंपनी को कोई नोटिस नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि स्पेक्ट्रम बेचे नहीं जा सकने संबंधी न्यायालय की व्यवस्था समायोजित सकल राजस्व से संबंधित बकाया राशि की वसूली में मददगार नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि अगर स्पेक्ट्रम बिक्री की अनुमति नहीं दी गयी तो यह दूरसंचार विभाग के पास आ जायेगा और भावी उपयोग के लिये नीलाम किया जायेगा और यह समायोजित सकल राजस्व से संबंधित बकाया राशि की वसूली में मददगार नहीं होगा।

भारती एयरटेल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उनके मुवक्किल को किसी अतिरिक्त बकाया राशि के बारे में सरकार से कोई नोटिस नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि स्पेक्ट्रम को एक संपत्ति के रूप में माना जाता है और यह दूरसंचार कंपनियों की बेशकीमती संपदा है।

सिब्बल ने कहा कि ऋणदाता स्पेक्ट्रम को गारंटी के रूप में लेते हैं और अगर शीर्ष अदालत स्पेक्ट्रम की बिक्री को मान्यता देने से इंकार करती है तो बैंक संचार कंपनियों को कर्ज देना रोक देंगे जिससे दूरसंचार क्षेत्र को जबर्दस्त नुकसान होगा। इस मामले में शुक्रवार को भी सुनवाई अधूरी रह गयी।

इसमें अब 24 अगस्त को आगे सुनवाई होगी। न्यायालय ने 20 अगस्त को सुनवाई के दौरान दिवाला कार्यवाही का सामना कर रही दूरसंचार कंपनियों द्वारा समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) से संबंधित बकाया राशि का भुगतान नहीं करने पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा था, ‘‘घोड़े के लिए भुगतान किये बगैर ही दूरसंचार कंपनियां सवारी कर रही हैं।’’ शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह इस बात से ‘बहुत ही चिंतित है’’ कि एजीआर से संबंधित बकाया लगभग समूची राशि दिवाला और ऋण अक्षमता संहिता की कार्यवाही में ‘स्वाहा’ हो जायेगी।

न्यायालय ने आश्चर्य व्यक्त किया कि क्या एजीआर से संबंधित बकाया जैसी देनदारी दिवाला और ऋण अक्षमता संहिता के तहत स्पेक्ट्रम बेचने की आड़ में परिसमाप्त हो जायेगी। न्यायालय ने 14 अगस्त को रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस जियो के बीच स्पेक्ट्रम साझा करने के लिये हुये समझौते का विवरण मांगा और सवाल किया कि दूसरी कंपनी के स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करने वाली कंपनी से सरकार समायोजित सकल राजस्व से संबंधित बकाया राशि की मांग क्यों नहीं कर सकती है।

केन्द्र ने इससे पहले न्यायालय से कहा था कि दिवाला कार्यवाही के दौरान स्पेक्ट्रम की बिक्री के सवाल पर उसके दो मंत्रालयों-(दूरसंचार विभाग और कार्पोरेट मामले) में मतभेद है। शीर्ष अदालत ने दूरसंचचार कंपनियों की लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल शुल्क जैसी देनदारियों के बारे में सरकार की गणना के लिये अक्टूबर 2019 में एजीआर बकाया राशि के मुद्दे पर अपना फैसला सुनाया था।

इसके बाद न्यायालय ने साफ कर दिया था कि वह कंपनियों द्वारा एजीआर संबंधित बकाया देय 1.6 लाख करोड़ रूपए के मामले में पुन:आकलन के सवाल पर दूरसंचार कंपनियों की दलीलें एक सेकेण्ड भी सुनने को तैयार नहीं है। 

Web Title: AGR case: Court seeks information from telecom department in spectrum sharing case of communication companies

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