इंडियन 'एयर स्ट्राइक' के बाद प्रत्यक्षदर्शियों ने देखी दर्जनों आतंकियों की लाशें, पाक आर्मी ने छीन लिए मोबाइल!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 2, 2019 03:24 PM2019-03-02T15:24:56+5:302019-03-02T15:24:56+5:30
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एयर स्ट्राइक वाले इलाके को आर्मी ने पहले ही खाली करा लिया था। यहां तक कि पुलिस वालों को भी प्रवेश की अनुमति नहीं थी। आर्मी ने एम्बुलेंस के मेडिकल स्टॉफ के मोबाइल फोन तक छीन लिए थे।
26 फरवरी को भारत ने पाकिस्तान में आतंकियों के कई ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। आतंकियों पर इस बड़ी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान किसी भी आतंकी के हताहत होने की बात से इनकार करता रहा है। लेकिन एक ताजा मीडिया रिपोर्ट ने पाकिस्तान के झूठ को एकबार फिर बेनकाब करने का दावा किया है। फर्स्टपोस्ट वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में चश्मदीदों के हवाले से लिखा है कि जिस दिन भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर बमवर्षा की उसके बाद वहां से करीब 35 आतंकियों के शव को एम्बुलेंस से ले जाया गया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत की बमबारी के फौरन बाद स्थानीय प्रशासन मौके पर पहुंच गया। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, 'लेकिन इलाके को आर्मी ने पहले ही खाली करा लिया था। यहां तक कि पुलिस वालों को भी प्रवेश की अनुमति नहीं थी। आर्मी ने एम्बुलेंस के मेडिकल स्टॉफ के मोबाइल फोन तक छीन लिए थे।'
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी इंटर स्टेट इंटेलिजेंस (आईएसआई) का एक पूर्व अधिकारी जिसे 'कर्नल सलीम' के नाम से जाना जाता था, वो भी मारा गया। इसके अलावा 'कर्नल जरार जाकरी' और जैश ए मोहम्मद का आतंकी मुफ्ती मोइन भी मारा गया।
भारत की एयर स्ट्राइक के बाद इलाके में प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों में भिन्नता पाई गई है। कई लोगों का मानना है कि जाबा टॉप में जैश-ए-मुहम्मद का कोई लड़ाका नहीं था। कई का मानना है कि जाबा टॉप में जैश ए मोहम्मद का एक अस्थायी कैम्प था जिसमें 12 फिदायीन रहते थे। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कुछ लोगों के घायल होने की बात सामने आई थी। हालांकि कई मीडिया संस्थानों ने रिपोर्ट किया कि उन्हें जाबा के सभी इलाकों में बिना अनुमति जाने की अनुमति नहीं दी गई।
इसके अलावा इंडियन एक्सप्रेस ने भी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि 26 फरवरी को हुई एयर स्ट्राइक में भारतीय मिराजों ने जैश-ए-मोहम्मद की चार इमारतें तबाह कर दी थी। यह इमारतें मदरसा तलीम अल कुरान के कैंपस में बनी हुई थी।