लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय के बाद बढ़ी आतंरिक कलह, भविष्य की रणनीति में जुटी प्रियंका

By शीलेष शर्मा | Published: June 7, 2019 05:59 AM2019-06-07T05:59:19+5:302019-06-07T05:59:19+5:30

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने मोर्चा खोल दिया है और उन्हें मुख्यमंत्री के पद से हटाने की मुहिम में जुट गये हैं.

after the defeat of Congress in Lok Sabha elections party shattering | लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय के बाद बढ़ी आतंरिक कलह, भविष्य की रणनीति में जुटी प्रियंका

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय के बाद बढ़ी आतंरिक कलह, भविष्य की रणनीति में जुटी प्रियंका

Highlightsपार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी मोर्चा संभालने की तैयारी में है.पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी, इस्तीफे की पेशकश करने के बाद पार्टी के आतंरिक मामलों में सक्रिय नहीं है. 

कांग्रेस लोकसभा का चुनाव क्या हारी, चुनाव परिणामों के बाद पार्टी में आतंरिक कलह को लेकर हा-हा कार मचा हुआ है. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने मोर्चा खोल दिया है और उन्हें मुख्यमंत्री के पद से हटाने की मुहिम में जुट गये हैं. सचिन पायलट के समर्थक विधायकों ने तो खुले आम यह कहना शुरु कर दिया है कि अशोक गहलोत के पास अब किसी समुदाय का समर्थन नहीं है अत: उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाकर सचिन को मुख्यमंत्री बना देना चाहिए. 

यह विवाद उस समय ओर बढ़ गया जब एक टीवी चैनल को दिये साक्षात्कार में अपने बेटे की पराजय के लिए सचिन को जिम्मेदार ठहारते हुए यहां तक कह डाला कि प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते हार की जिम्मेदारी उन्हें स्वीकार  करनी चाहिए. 

यही हाल पंजाब का है जहां नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के खिलाफ सीधा मोर्चा खोलकर बगावत का बिगुल बजा दिया है. 

तेलांगाना में पार्टी के 15 विधायक कांग्रेस से बगावत कर टीआरएस में शामिल होने की कोशिश में जुटे है. कर्नाटक में कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली गठबंधन की सरकार पर भी कांग्रेस की आतंरिक कलह के कारण खतरे का संकेत मंडरा रहा है.

हैरानी की बात तो यह है कि मुखर होते बगावत के स्वरों पर अंकुश लगाने की अब तक कोई पहल कांग्रेस की शीर्ष नेतृत्व की ओर से नहीं हो पाई है क्योंकि पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी, इस्तीफे की पेशकश करने के बाद पार्टी के आतंरिक मामलों में सक्रिय नहीं है. 

लेकिन पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी मोर्चा संभालने की तैयारी में है. उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार इस सप्ताह के अंत तक  प्रियंका पूर्वी उत्तर प्रदेश में डेरा डालकर पार्टी की हार की समीक्षा करेगीं.  सूत्रों से मिली खबरों में कहा गया है कि प्रियंका एक-दो दिन में इलाहाबाद पहुंचेगी और स्वराज भवन में निचले स्तर से लेकर जिला स्तर के नेताओं से अलग-अलग मुलाकात कर यह पता लगाने की कोशिश करेगीं कि लोकसभा चुनाव में पार्टी क्यों हारी और अब ब्लॉक  स्तर से लेकर जिला स्तर पर कैसे मजबूत बनाया जाए.  

इलाहाबाद जाने से पहले प्रियंका ने अपने स्तर पर जानकारियां एकत्रित की है जिनकी पुष्टि वह पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से सीधे संवाद कर करेगीं. दरअसल प्रियंका की निगाह 2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों पर है और वे इससे पहले ब्लॉक स्तर से लेकर ऊपरी स्तर तक पार्टी के संगठन को मजबूत बनाना चाहती है.

गौरतलब है कि राहुल ने प्रियंका को महासचिव बनाते समय यह साफ कर दिया था कि उनको यह जिम्मेदारी केवल लोकसभा चुनाव के लिए नहीं बल्कि भविष्य की राजनीति की दृष्टि से सौंपी जा रही है. 

Web Title: after the defeat of Congress in Lok Sabha elections party shattering