बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी के अंदर एक बार फिर शुरू हो गया है 'एकला चलो' की रणनीति पर गंभीर मंथन

By एस पी सिन्हा | Updated: December 2, 2025 16:53 IST2025-12-02T16:53:06+5:302025-12-02T16:53:06+5:30

सोमवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में जहां नेताओं ने स्वतंत्र पहचान पर बल दिया, वहीं संगठन की मजबूती के लिए प्रदेश स्तर पर सघन दौरों का निर्णय भी लिया गया।

After the crushing defeat in the Bihar Assembly elections, serious brainstorming has once again begun within the party on the 'Ekla Chalo' strategy | बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी के अंदर एक बार फिर शुरू हो गया है 'एकला चलो' की रणनीति पर गंभीर मंथन

बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी के अंदर एक बार फिर शुरू हो गया है 'एकला चलो' की रणनीति पर गंभीर मंथन

पटना:बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से विपक्षी दलों के महागठबंधन (इंडिया) के भीतर सिर फुटौवल की स्थिति पैदा हो गई है। कांग्रेस अलग समीक्षा बैठक कर रही है तो राजद अलग। अभी तक महागठबंधन की सभी पार्टियां एक साथ बैठक कर यह पता लगाने की कोशिश से बचती रही हैं कि महागठबंधन की ऐसी दुर्गति क्यों हुई? कांग्रेस ने दिल्ली में बैठक की तो राजद ने प्रमंडलवार बैठकों का सिलसिला शुरू किया है। इसबीच विधानसभा चुनाव में बड़ी पराजय के बाद बिहार कांग्रेस एक बार फिर स्वतंत्र राह पर चलने की तैयारी में है। 15 वर्षों के बाद पार्टी के अंदर एक बार फिर 'एकला चलो' की रणनीति पर गंभीर मंथन शुरू हो गया है।

सोमवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में जहां नेताओं ने स्वतंत्र पहचान पर बल दिया, वहीं संगठन की मजबूती के लिए प्रदेश स्तर पर सघन दौरों का निर्णय भी लिया गया। दिल्ली में पार्टी की बिहार में पराजय के बाद पटना में प्रदेश नेतृत्व के स्तर पर बैठक बुलाई गई थी। इस समीक्षा बैठक में कई वरिष्ठ नेताओं ने दो टूक कहा कि लगातार राजद के साथ चलने से कांग्रेस की वैचारिक और संगठनात्मक पहचान धूमिल हुई है। जनता में कांग्रेस की अलग छवि तभी बनेगी, जब पार्टी अपनी राजनीतिक लड़ाई खुद लड़ेगी और मजबूत प्रत्याशी तैयार करेगी।

बैठक में नेताओं ने यह भी कहा कि गठबंधन की राजनीति ने कांग्रेस को सीट-शेयरिंग से आगे सोचने ही नहीं दिया, जिससे स्थानीय नेतृत्व कमजोर पड़ा। कई नेताओं ने सुझाव दिया कि पार्टी को राजद पर निर्भरता कम कर संगठन को जिला स्तर तक फिर से खड़ा करने की स्पष्ट रोडमैप बनाना चाहिए। इसबीच कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने भी संकेतों में कहा कि गठबंधन चुनावी होते हैं, और जब चुनाव आएंगे, तब आगे की रणनीति तय की जाएगी। 

समीक्षा बैठकों के दौरान कांग्रेस इस नतीजे पर पहुंची है कि उसे सहयोगी दलों पर निर्भरता घटानी होगी। उसे अपने बूते और जरूरत पड़ने पर एकला चलने की आदत डालनी होगी। वैसे भी कांग्रेस के खिलाफ जिस तरह इंडिया ब्लाक की पार्टियां तेवर दिखाती रही हैं, उसमें कांग्रेस की अकेले चलने में ही भलाई है। बिहार में राजद हमेशा कांग्रेस पर हावी हो जाता है।

उधर, राजद ने 300 भितरघातियों का पता लगाया है। उनके खिलाफ एक्शन लेने की तैयारी है। कांग्रेस और राजद में अनबन की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। चुनावी हार के बाद गठबंधन में दरारें साफ दिख रही हैं। विधानसभा चुनाव 2025 में कुल 243 में एनडीए की 202 सीटों पर भारी जीत हुई है। महागठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया है। 

महागठबंधन की पार्टियों में राजद को 25, कांग्रेस को 6 और वामपंथी दलों को 3 सीटें मिली हैं। तेजस्वी यादव इस हार को पचा नहीं पा रहे हैं। उन्हें अब भी लगता है कि एनडीए ने महिलाओं को 10 हजार रुपए देकर उनके वोट खरीद लिए। ईवीएम और वोट चोरी का आरोप तो विपक्ष का शाश्वत कार्य है।

Web Title: After the crushing defeat in the Bihar Assembly elections, serious brainstorming has once again begun within the party on the 'Ekla Chalo' strategy

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