गुजरात पुलिस ने गोधरा दंगे मामले में तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व डीजी आरबी श्रीकुमार के बाद अब आईपीएस संजीव भट्ट को किया गिरफ्तार
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 13, 2022 10:45 PM2022-07-13T22:45:46+5:302022-07-13T22:50:49+5:30
साल 2002 के गोधरा दंगे के मामले में अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को बनासकांठा जिले के पालनपुर जेल से मंगलवार को गिरफ्तार किया और ट्रांसफर वारंट के जरिये अहमदाबाद ले आयी। इस मामले में तीस्ता सीतलवाड़ और राज्य के पूर्व पुलिस प्रमुख आरबी कुमार पहले से सलाखों के पीछे हैं।
अहमदाबाद: साल 2002 के गोधरा सांप्रदायिक दंगों के मामले में गुजरात पुलिस ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को ट्रांसफर वारंट के जरिए अरेस्ट किया है। तीस्ता सीतलवाड़ और राज्य के पूर्व पुलिस प्रमुख आरबी कुमार के बाद आईपीएस संजीव भट्ट की यह तीसरी गिरफ्तारी है।
भट्ट को अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा दर्ज मामले में बनासकांठा जिले के पालनपुर जेल से मंगलवार को गिरफ्तार किया गया था और ट्रांसफर वारंट पर अहमदाबाद लाया गया था। बुधवार को क्राइम ब्रांच ने संजीव भट्ट को मेट्रोपॉलिटन कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 20 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
गोधरा दंगे में निर्दोष लोगों को फंसाने के आरोप में पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट के अलावा तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार पहले ही सलाखों के पीछे हैं। इस सभी पर आरोप है कि इन्होंने 2002 के दंगों की जांच में गलत जानकारी देने और निर्दोष लोगों को झूठे केस में फंसाने की साजिश रची।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के दंगों के मामले में एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी के मामले में सुनवाई करते हुए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को एसआईटी द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखा और साथ ही टिप्पणी की थी कुछ लोगों ने झूठे तथ्यों के आधार पर जांच के प्रभावित करने का प्रयास किया
अहमदाबाद क्राइम ब्रांच द्वारा एडिशनल मेट्रोपलिटन कोर्ट में मजिस्ट्रेट एमवी चौहान के सामने पेश किया। मामले में सरकारी पक्ष की ओर से पेश हुए वकील अमित पटेल ने कहा कि हमने कोर्ट से संजीव भट्ट की 14 दिनों की रिमांड मांगी थी लेकिन कोर्ट ने पूछताछ के लिए सात दिनों की रिमांड मंजूर की है।
इस मामले में पुलिस जांच अधिकारी ने रिमांड आवेदन में कोर्ट से कहा कि 27 फरवरी 2002 को कथित तौर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग लेने के बारे में झूठे दावे करने के पीछे संजीव भट्ट के मकसद को जानने के लिए 14 दिनों की हिरासत चाहिए।
इसके साथ ही जांच अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि वह आरोपी संजीव भट्ट से इस बाबत भी पूछताछ करना चाहते हैं कि वो इस मामले में शामिल दो अन्य आरोपियों (सीतलवाड़ और श्रीकुमार) के संपर्क में कब और कैसे आये और उन्होंने निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए आपराधिक साजिश के तहत झूठे दस्तावेज कैसे और कहां तैयार किए।
मालूम हो कि संजीव भट्ट 27 साल पुराने एक मामले में साल 2018 से बनासकांठा जिले के पालनपुर जेल में बंद थे। संजीव पर आरोप है कि उन्होंने राजस्थान के एक वकील को फंसाने के लिए उसे नशीले पदार्थ के साथ फंसाने की कोशिश की। उस मुकदमे के दौरान उन्हें जामनगर में पोस्टिंग के दौरान हिरासत हुई एक शख्स की मौत के मामले में उम्रकैद की सजा भी सुनाई जा चुकी है।
अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट के खिलाफ आईपीसी की धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जालसाजी), 194 (पूंजीगत अपराध की सजा हासिल करने के इरादे से झूठे सबूत देना या गढ़ना) के तहत सह आरोपी तीस्ता सीतलवाड़, आरबी श्रीकुमार के साथ मामला दर्ज किया गया है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)