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Kheer Bhawani Temple: आपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार मेला क्षीर भवानी में लगेगा हजारों का जमघट

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: June 1, 2025 14:38 IST

Kheer Bhawani Temple: श्रद्धालुओं ने भरोसा जताया है कि वे केवल माता भवानी में ही नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर भी पूर्ण विश्वास रखते हैं।

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Kheer Bhawani Temple: देशभर से श्रद्धालु माता की भवानी के दर्शन के लिए पहुंचे हैं। यह मेला 3 जून को संपन्न होना है। आपरेशन सिंदूर के उपरांत प्रशासन ने इतने बड़े आयोजन की इजाजत भी दी है और तैयारियां भी कर दी हैं। आज सुबह जम्मू से भी कड़ी सुरक्षा के बीच जत्था कश्मीर के लिए रवाना हुआ। यह मेला सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि विस्थापित समुदाय के लिए अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर भी है।

क्षीर भवानी पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि यह एक ऐसा मौका होता है जब वे अपनी आराध्य देवी के चरणों में श्रद्धा अर्पित कर सकते हैं। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद कश्मीर में पर्यटन पर असर पड़ा है, लेकिन इस यात्रा से उम्मीद की जा रही है कि हालात सामान्य होंगे और श्रद्धा के साथ-साथ पर्यटन भी फिर से रफ्तार पकड़ेगा।

यह सच है कि आपरेशन सिंदूर के बाद कश्मीर में इतना बड़ा धार्मिक मेला हो रहा है। 1990 के दशक में आतंकवाद के कारण अपने घरों से विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों के लिए यह यात्रा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक पुनर्संयोजन का प्रतीक बन गई है।

श्रद्धालुओं ने भरोसा जताया है कि वे केवल माता भवानी में ही नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर भी पूर्ण विश्वास रखते हैं। उनका कहना है कि मुश्किल हालात के बावजूद कश्मीरी पंडितों की आस्था डगमगाई नहीं है। माता के प्रति उनका समर्पण पहले की तरह मजबूत है। साथ ही वे मानते हैं कि सरकार और सुरक्षा बलों ने यात्रा की सुरक्षा के लिए पर्याप्त प्रबंध किए हैं जिससे उन्हें किसी प्रकार का डर नहीं है।

जम्मू में रिलीफ कमिश्नर माइग्रेंट्स ने बताया कि इस यात्रा के लिए सभी आवश्यक इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि यात्रियों के रहने, खाने और सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था की गई है। हजारों सालों से चल रही इस धार्मिक परंपरा के लिए इस बार भी श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया। यह मेला न केवल धार्मिक भावना का प्रतीक है, बल्कि कश्मीरी पंडितों की सांस्कृतिक पहचान और पुनर्स्थापन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।

हालांकि डर के कारण जो कश्मीरी पंडित इस बार तुलमुला स्थित क्षीर भवानी के मंदिर में पूजा अर्चना के लिए नहीं जा सके वे जम्मू में बनाए गए माता राघेन्या के मंदिर में पूजा अर्चना करेंगें। क्षीर भवानी में तीन जून को हजारों कश्मीरी पंडित और मुस्लिम जुटेंगें।

जानकारी के लिए ज्येष्ठ अष्टमी पर जम्मू के भवानी नगर स्थित माता राघेन्या के मंदिर में भी क्षीर भवानी मेला लगता है। जो लोग कश्मीर नहीं जा पाते, वे यहां पर आकर हाजिरी लगाते हैं। यहां पर मेले की तैयारियां शुरू हो गई हैं। पूरे मंदिर परिसर को सजाया गया है।

जहां पर जलाए जाने के लिए सैकड़ों दीप का बंदोबस्त किया गया है। पनुन कश्मीर के प्रधान विरेंद्र रैना ने कहा कि 1990 में जब वादी से विस्थापित होकर कश्मीरी पंडित जम्मू में आए तो उन्होंने ही भवानी नगर में माता क्षीर भवानी का मंदिर बनाया और अब हर साल यहां मेला लगता है।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरआतंकवादीभारतTemple
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