अलीगढ़, 12 अक्टूबरः जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में एक मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को ढेर कर दिया। इसमें आतंकी मन्नान बशीर वानी भी शामिल था। मन्नान अलीगढ़ ने इसी साल जनवरी में आतंक का रास्ता अपनाया था। उससे पहले वो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पीएचडी की पढ़ाई कर रहा था।
मन्नान की मौत की खबर एएमयू में पहुंची तो कुछ छात्रों ने जनाजे की नमाज पढ़ने का फैसला किया। इसके आयोजन के लिए बाकायदा सूचना जारी की गई और सभी से साढ़े तीन बजे कैनेडी हॉल में एकत्रित होने का आवाहन किया गया।
इसकी सूचना यूनिवर्सिटी प्रशासन को भी पहुंच गई लेकिन तबतक नियत स्थान पर करीब 150 कश्मीरी छात्र जुट चुके थे। कई सीनियर छात्रों ने इस नमाज का विरोध किया। प्रॉक्टोरियल बोर्ड के दखल के बाद छात्रों को तितर-बितर कर दिया गया।
इस मामले में दोषी पाए गए तीन छात्रों को निलंबित कर दिया गया है और मन्नान वानी को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे चार छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
यूनिवर्सिटी पीआरओ ओमर पीरज़ादा का कहना है कि जनाजे की नमाज जैसी कोई घटना नहीं हुई है और ना ही परिसर में होने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ छात्र इकट्टा हुए थे जिनके अन्य छात्रों ने विरोध किया। नमाज पढ़े जाने की बात झूठी है।
स्कॉलर ने अपनाया था आतंक का रास्ता
देश 2018 का स्वागत कर रहा था और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से एक छात्र गायब हो गया। सोशल मीडिया के जरिए खबर आई कि 5 जनवरी को उसने हिजबुल मुजाहिदीन ज्वॉइन कर लिया है। उसकी एक तस्वीर जारी की गई जिसमें वो अंडर बैरेल ग्रेनेड लॉन्चर के साथ देखा गया। परिजनों ने बताया कि मन्नान एएमयू में अप्लाइड जियोलॉजी विभाग से पीएचडी कर रहा है। आतंकी बनने के बाद उसे यूनिवर्सिटी से निष्कासित कर दिया गया था।
मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल
हिज्बुल ने उसे कुपवाड़ा का कमांडर बनाया गया था। मन्नान के हिज्बुल जॉइन करने के बाद से ही सुरक्षा एजेंसियों को उसकी तलाश थी। वहीं पिछले दिनों सेना द्वारा जारी मोस्ट वॉन्टेड टेररिस्ट की सूची में मन्नान का भी नाम शामिल किया था। मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने लगातार घोषणा कर आतंकवादियों से आत्मसमर्पण करने की अपील भी की।