अनुच्छेद 370 समाप्त होते ही कश्मीरियों को मिलेंगे वही अधिकार जो देश के आम आदमी के पास हैं

By शीलेष शर्मा | Published: August 5, 2019 07:26 PM2019-08-05T19:26:13+5:302019-08-05T19:26:13+5:30

अनुच्छेद 370 के कारण केंद्र जम्मू कश्मीर में धारा 356 लागू नहीं कर सकता था जिसके तहत राज्य सरकारों को भंग करने का अधिकार केंद्र के पास है. यहां तक की कि राष्ट्रपति के पास भी जम्मू कश्मीर के संविधान को समाप्त करने का अधिकार तक प्राप्त नहीं था.

After Article 370 remove in Jammu Kashmir They have all rights hat the common man of india | अनुच्छेद 370 समाप्त होते ही कश्मीरियों को मिलेंगे वही अधिकार जो देश के आम आदमी के पास हैं

अनुच्छेद 370 समाप्त होते ही कश्मीरियों को मिलेंगे वही अधिकार जो देश के आम आदमी के पास हैं

Highlightsकेंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में जम्मू एवं कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019 पेश किया। जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश होगा। लद्दाख को भी अलग कर दिया गया है। जानें संसद में क्या हो रहा है।राज्यसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को पास कर दिया गया है। बिल के पक्ष में 125 वोट और 61 विपक्ष में वोट पड़े हैं।

अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के लिए मोदी सरकार ने जो शुरुआत की है उससे कश्मीर में इस अनुच्छेद के तहत जो विशेष अधिकार प्राप्त थे वे इस बदलाव के लागू होते ही समाप्त हो जाएगें.  दरअसल अनुच्छेद 370 के तहत कश्मीर को एक विशेष दर्जा प्राप्त था. हालांकि संविधान में यह व्यवस्था पूरी तरह अस्थाई रुप से लागू की गयी थी. 370 के समाप्त होेते ही अनुच्छेद 35 ए के तहत मिली सुविधाओं का भी समाप्त होना तय है. 

दरअसल 370 के तहत संसद को जम्मू कश्मीर के बारे  में रक्षा, विदेश मामले, संचार जैसे विषयों में केवल कानून बनाने का  अब तक जो अधिकार दिया गया था. उसमें भारी उलटफेर हो जाएगा. 370 के हटते ही भारत की संसद समय-समय पर जो संशोधन करेगी वह सभी जम्मू कश्मीर पर लागू होगी.  

अन्य किसी मुद्दे पर कानून बनाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार से अनुमोदन लेना पहले जरूरी होता था लेकिन अब यह बाध्यता समाप्त हो जाएगी और सरकार कानून बनाकर आसानी से जम्मू कश्मीर में लागू कर सकेगी.

नये प्रावधानों में जो व्यवस्था की है उसके तहत पांडेचेरी और दिल्ली की तर्ज पर जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश होगें जहां उपराज्यपाल की नियुक्ति होगी और उसी के अनुसार राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था चलेगी. 

धारा 370 के कारण केंद्र जम्मू कश्मीर में धारा 356 लागू नहीं कर सकता था जिसके तहत राज्य सरकारों को भंग करने का अधिकार केंद्र के पास है. यहां तक की कि राष्ट्रपति के पास भी जम्मू कश्मीर के संविधान को समाप्त करने का अधिकार तक प्राप्त नहीं था.  लेकिन नई व्यवस्था आने के बाद केंद्र के पास यह अधिकार होगा कि वह आवश्यकता पड़ने पर केंद्र द्वारा पारित कानूनों को आसानी से जम्मू कश्मीर में लागू कर सके. 

1976 का शहरी भूमि कानून जो अब तक जम्मू कश्मीर पर लागू ना होने के कारण बाहर का कोई व्यक्ति इस राज्य की भूमि पर मालिकाना हक लेने के लिए अधिकृत नहीं था.  अब इस धारा के समाप्त होते ही देश के किसी नागरिक को जम्मू कश्मीर में जमीन खरीद का मालिकाना हक प्राप्त हो जाएगा. 

संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल का जो अधिकार केंद्र को प्राप्त है वह जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होता था उसमें भी बदलाव आएगा और केंद्र के आधीन यह अधिकार होगा कि वह इसे लागू कर सके. 

370 के तहत जम्मू कश्मीर के लोगों को विशेष अधिकार भी दिये गये थे, मसलन दोहरी नागरिकता, अलग झंडा, विधानसभा का कार्यकाल छह वर्ष, राष्ट्रीय ध्वज या राष्ट्रीय प्रतीको का अपमान अपराध की श्रेणी से बाहर. उच्चतम न्यायालय के फैसलों पर जम्मू कश्मीर में मान्य नही.  जम्मू कश्मीर की कोई महिला किसी दूसरे राज्य में वैवाहिक जीवन में बंध कर जाती है तो उसके अधिकार भी उसी समय समाप्त हो जाएगें और जो सुविधा कश्मीरियों को मिली है उसकी वह पात्र नहीं होगी.  लेकिन यदि वह महिला पाकिस्तान के किसी नागरिक से शादी करती है तो उसका वहीं अधिकार प्राप्त होगे  जो एक कश्मीरी महिला को प्राप्त होगें.  धारा 370 समाप्त होते ही यह सभी व्यवस्थाएं ना केवल समाप्त होगी लेकिन इस व्यवस्था की जगह वहीं व्यवस्था लागू होगीं जो पूरे देश में लागू हैं. अब जम्मू कश्मीर में सूचना का अधिकार और सीएजी का अधिकार क्षेत्र भी प्रभवी हो जाएगा क्योंकि धारा 370 के कारण सूचना का अधिकार, और सीएजी जैसे कानून प्रभाव अब तक नहीं थे. 

Web Title: After Article 370 remove in Jammu Kashmir They have all rights hat the common man of india

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