'राम मंदिर मुद्दे पर समझौता और सुलह संभव ही नहीं है, सिर्फ एक ही समाधान है'

By IANS | Published: December 16, 2017 11:09 AM2017-12-16T11:09:53+5:302017-12-16T11:14:37+5:30

अयोध्या विवाद के मुकदमे में पक्षकार आचार्य किशोर कुणाल का कहना है कि श्रीराम मंदिर विवाद पूरी तरह धार्मिक मामला है, राजनेताओं ने इसे जटिल बना दिया है। उनके साक्षात्कार पर आधारित एक रिपोर्ट...

Acharya Kishore Kunal Interview: Compromise and reconciliation is not possible on the Ram temple issue | 'राम मंदिर मुद्दे पर समझौता और सुलह संभव ही नहीं है, सिर्फ एक ही समाधान है'

'राम मंदिर मुद्दे पर समझौता और सुलह संभव ही नहीं है, सिर्फ एक ही समाधान है'

बिहार राज्य धार्मिक न्याय परिषद के अध्यक्ष रहे और श्रीरामजन्म भूमि पुनरोद्धार समिति की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे अयोध्या विवाद के मुकदमे में पक्षकार आचार्य किशोर कुणाल इसके राजनीतिक रंग दिए जाने से आहत हैं। उनका कहना है कि श्रीराम मंदिर विवाद पूरी तरह धार्मिक मामला है, इसे राजनेताओं ने जटिल बना दिया। उन्होंने कहा कि यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में है उम्मीद है कि इस पर अक्टूबर के पूर्व फैसला आ जाएगा। 

भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे कुणाल ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले को लेकर सुलह की बात को पूरी तरह नकारते हुए कहा कि जितने भी लोग इस मुद्दे को लेकर सुलह की कोशिश कर रहे हैं, वह सिर्फ खुद 'पब्लिसिटी' के लिए कर रहे हैं। 

बिहार में सैकड़ों प्रमुख मंदिरों का जीर्णोद्धारा कराने वाले कुणाल कहते हैं, "इस मुद्दे को लेकर समझौता और सुलह संभव ही नहीं है, इस पर विचार करना सार्थक नहीं है।" इस मामले में एक अक्टूबर तक फैसला आने की उम्मीद जताते हुए उन्होंने आईएएनएस से कहा, "सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा जी अक्टूबर में सेवानिवृत्त होने वाले हैं, इस कारण मुझे उम्मीद है कि एक अक्टूबर तक इस मामले में फैसला आ जाएगा।"

कांग्रेस के नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा इस मामले की सुनवाई को वर्ष 2019 के संभावित चुनाव के बाद करने की बात को असंगत बताते हुए कुणाल ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। इस मामले की सुनवाई फरवरी से प्रारंभ होगी और उम्मीद है फैसला अक्टूबर के पहले आ जाए। 

अयोध्या मंदिर को लेकर शोध कर चुके कुणाल ने अगले साल श्रीराम मंदिर निर्माण प्रारंभ होने के प्रश्न पर कहा कि हम लोगों के क्षेत्र में एक कहावत है 'जल में मछली और अभी से बंटवारा।' अभी इस पर कहना कुछ भी जल्दबाजी है। आगे फैसला तो आने दीजिए।

एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, "इस मसले को लेकर टेलीविजन पर किए जाने वाली बहस के दौरान ज्यादा लोग बकवास ही करते हैं। बहुत कम लोग हैं, जो ज्ञान की बात करते हैं। किसी के कहने और विरोध करने से कुछ नहीं होने वाला है, अब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में है, फैसले का इंतजार कीजिए। मैने तो पांच महीने से टेलीविजन देखना तक छोड़ दिया है।"

मनसा-वाचा-कर्मणां में विश्वास करनेवाले आचार्य किशोर कुणाल को बिहार के मंदिरों, मठों और अन्य धार्मिक स्थलों के उद्धारक के रूप में देखा जाता है। 

श्रीराममंदिर के पक्ष में फैसला आने का दावा करते हुए 'महावीर पुरस्कार' सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किए गए कुणाल कहते हैं, "यह मामला जब 1990 में प्रारंभ हुआ था तो काफी कम प्रमाण थे। वर्ष 2010 में जब हम लोगों ने उसमें अदालत में बहस कराई थी, तब काफी प्रमाण जुटाए गए थे, जब बराबरी का फैसला हुआ। आज 2017 में मंदिर के पक्ष में काफी प्रमाण जुटाए गए हैं, मुझे लगता है कि मंदिर के पक्ष में पलड़ा भारी रहेगा।"

सरकार द्वारा कानून बनाकर फैसले करने के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जब समय था, तब सरकार यह पहल नहीं कर सकी। अब तो सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई प्रारंभ हो गई है। 

मंदिरों में दलित पुरोहितों की नियुक्ति को लेकर चर्चा में रहे कुणाल ने हालांकि यह भी कहा कि सरकार कभी भी कानून बनाकर इस मामले को निपटा सकती है, इसमें रोक नहीं है, परंतु अब इस स्थिति में सरकार ऐसा नहीं करेगी। 

अमेरिकी भूगर्भ वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा रामसेतु के अस्तित्व पर मुहर लगाने के संदर्भ में समाजसेवी कुणाल कहते हैं कि प्रारंभ से ही रामसेतु की प्रमाणिकता स्पष्ट है। इस पर कई लोग भ्रम फैलाते रहते हैं।

Web Title: Acharya Kishore Kunal Interview: Compromise and reconciliation is not possible on the Ram temple issue

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