दिल्ली चुनाव: शाहीन बाग, केंद्र की योजनाएं और मोदी की लोकप्रियता के बावजूद दिल्ली में नहीं खिल सका 'कमल'

By स्वाति सिंह | Published: February 12, 2020 09:03 AM2020-02-12T09:03:12+5:302020-02-12T09:04:21+5:30

भाजपा के लिए इस चुनाव में राहत की बात सिर्फ यह रही कि वर्ष-2015 में तीन सीटों पर सिमटने वाली भाजपा के प्रदर्शन में सुधार जरूर हुआ. पिछले चुनाव के मुकाबले उसे 38% से ज्यादा वोट मिले जो कि 2015 में मिले वोट से लगभग 7% ज्यादा है. हालांकि उसकी यह बढ़त उम्मीद के अनुसार सीटों में तब्दील नहीं हुई.

AAP wons Delhi assembly elections: Delhi Assembly elections results: Shaheen Bagh,Center plans and Modi popularity Did not help Lotus | दिल्ली चुनाव: शाहीन बाग, केंद्र की योजनाएं और मोदी की लोकप्रियता के बावजूद दिल्ली में नहीं खिल सका 'कमल'

दिल्ली चुनाव 2020: साल 2015 में तीन सीटों पर सिमटने वाली भाजपा के प्रदर्शन में सुधार जरूर हुआ.

Highlightsशाहीन बाग का मुद्दा भी दिल्ली की सत्ता से भाजपा का 22 वर्ष का वनवास खत्म नहीं कर सका. दिल्ली में न PM मोदी की लोकप्रियता काम आई और न ही अमित शाह की रणनीति चली.

शाहीन बाग का मुद्दा भी दिल्ली की सत्ता से भाजपा का 22 वर्ष का वनवास खत्म नहीं कर सका. दिल्ली में न प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता काम आई और न ही अमित शाह की रणनीति चली. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अनधिकृत कॉलोनियों के 40 लाख लोगों को मकान का मालिकाना हक देने का केंद्र सरकार के फैसले ने भाजपा को कुछ बढ़त तो दिलाई लेकिन जनता ने सत्ता की बागडोर फिर से केजरीवाल के हाथ सौंप दी.

आम आदमी पार्टी (आप) की सीटें जरूर कम हुईं लेकिन उसके वोट प्रतिशत पर कोई फर्क नहीं पड़ा. उसे इस बार भी लगभग 54% वोट हासिल हुए. वर्ष-2015 में उसने 54.59% वोट हासिल कर धमाकेदार जीत के साथ 67 सीटों की ताकत की बदौलत सत्ता की बागडोर संभाली. हालांकि 2013 में पहली बार चुनावी राजनीति में उतरे केजरीवाल को दिल्ली की जनता ने लगभग 30% वोट देकर 28 सीटों पर जीत दिलाई थी.

भाजपा के लिए इस चुनाव में राहत की बात सिर्फ यह रही कि वर्ष-2015 में तीन सीटों पर सिमटने वाली भाजपा के प्रदर्शन में सुधार जरूर हुआ. पिछले चुनाव के मुकाबले उसे 38% से ज्यादा वोट मिले जो कि 2015 में मिले वोट से लगभग 7% ज्यादा है. हालांकि उसकी यह बढ़त उम्मीद के अनुसार सीटों में तब्दील नहीं हुई.

पार्टी ने 2013 में 68 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. तब भाजपा को सबसे अधिक 34.12% वोट मिला था और 31 सीटों पर कमल खिला था. उम्मीद के मुताबिक कांग्रेस का प्रदर्शन बदतर ही रहा. पिछले चुनाव की तरह वह खाता खोलने में नाकाम भी रही साथ ही उसका वोट प्रतिशत भी आधा से भी कम हो गया. उसे 4% से कुछ ही ज्यादा वोट मिले. शीला दीक्षित के नेतृत्व में लगातार 15 साल तक दिल्ली की सत्ता संभालने वाली कांग्रेस को 2013 में 24.67% वोट के साथ 70 में से केवल 8 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

केवल दो साल बाद हुए वर्ष-2015 के चुनाव में उसका वोट घटकर 9.8% रह गया लेकिन एक भी सीट पर उसे जीत नहीं मिली. उसे दो वर्ष में ही 15% वोटों का नुकसान हुआ. स्वाभाविक रूप से कांग्रेस के 15% वोटर आम आदमी पार्टी के साथ चले गए थे.

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 का मत प्रतिशत राजनीतिक दल 2020 2015 2013 आप 53.56 54.59 29.64 भाजपा 38.49 32.78 34.12 कांग्रेस 4.27 9.70 24.67

Web Title: AAP wons Delhi assembly elections: Delhi Assembly elections results: Shaheen Bagh,Center plans and Modi popularity Did not help Lotus

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