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केंद्र से आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे केजरीवाल, अध्यादेश के खिलाफ 11 जून को दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली करेगी आप

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: May 23, 2023 10:15 IST

उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था। सर्वोच्च न्यायलय के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए केंद्र सरकार 19 मई की रात को एक अध्यादेश लेकर आई।

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ठळक मुद्देट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार को लेकर जारी विवाद अब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा हैआम आदमी पार्टी केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ 11 जून को दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली करेगीकेजरीवाल और आम आदमी पार्टी की कोशिश ताकत दिखाने की है

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार को लेकर जारी विवाद अब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। अरविंद केजरीवाल विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशों में जुटे हैं। साथ ही केजरीवाल की कोशिश है कि इस मुद्दे को इतना बड़ा बना दिया जाए ताकि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एक ठोस आधार तैयार किया जा सके।

इसी क्रम में आम आदमी पार्टी ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ 11 जून को दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली करने का फैसला किया है। इस रैली के माध्यम से केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की कोशिश ताकत दिखाने की है। फिलहाल दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटें बीजेपी के पास हैं। आप की कोशिश है कि अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार को इतना बड़ा मुद्दा बना दिया जाए ताकि लोकसभा चुनाव भी इसी पर लड़ा जाए। 

बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था। इसे केजरीवाल सरकार ने अपनी जीत के रूप में लिया था। बाद में सर्वोच्च न्यायलय के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए केंद्र सरकार 19 मई की रात को एक अध्यादेश लेकर आई।

केंद्र सरकार ने ‘दानिक्स’ काडर के ‘ग्रुप-ए’ अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए ‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण’ गठित करने के उद्देश्य से शुक्रवार को एक अध्यादेश जारी किया। अध्यादेश तीन सदस्यों वाले राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के गठन की बात करता है, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे और मुख्य सचिव एवं प्रमुख गृह सचिव इसके सदस्यों के रूप में काम करेंगे।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला दिल्ली सरकार के पक्ष में आया था लेकिन केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायलय के इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर संविधान बेंच के फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध किया है। दूसरी तरफ दिल्ली सरकार भी जल्द ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ जाकर लाए गए केंद्र के अध्यादेश को फिर से सुप्रीम कोर्ट में चुनैती देने वाली है।

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