जम्मू-कश्मीरः सीजफायर, 25 नवम्बर को 17 साल पूरे, भारतीय सुरक्षाबल अलर्ट

By सुरेश एस डुग्गर | Published: November 18, 2020 07:45 PM2020-11-18T19:45:22+5:302020-11-18T19:48:07+5:30

जम्मू सीमा के क्षेत्रों में तारबंदी के लिए बनाए गए 12 फुट ऊंचे सुरक्षा बांध पर खड़े होकर अगर सामने पाकिस्तानी क्षेत्र में देखा जाए तो मालूम पड़ता है कि पाकिस्तान के इरादे क्या हैं। जम्मू सीमा की जीरो लाइन के साथ-साथ उसने भी बहुआयामी और बहुस्तरीय रक्षा बांध तैयार कर लिया है।

aaj ka taja samachar Jammu and Kashmir Ceasefire completed 17 years 25 November very heavy Indian security forces | जम्मू-कश्मीरः सीजफायर, 25 नवम्बर को 17 साल पूरे, भारतीय सुरक्षाबल अलर्ट

कारण है कि सबसे अधिक खतरा जम्मू से सटी 264 किमी लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर है। (file photo)

Highlightsसेनाधिकारी आप करते हैं कि सीजफायर की आड़ में पाकिस्तान ने जो सैनिक तैयारियां कर ली हैं वे चिंताजनक हैं।जीरो लाइन से इस रक्षा बांध की दूरी 100 गज से 150 गज के बीच है। यह कोई मामूली रक्षा बांध नहीं है। पाकिस्तानी किसानों को उस स्थिति में भारतीय गोलीबारी से बचाना जब वह जवाबी कार्रवाई करती है।

जम्मूः इस महीने की 25 तारीख को 17 साल पूरे करने जा रहे सीजफायर के प्रति चिंता का विषय यह है कि अगर यह टूटा तो सीमांत क्षेत्रों के लोगों के साथ-साथ भारतीय सुरक्षाबलों के लिए भी यह बहुत भारी साबित होगा। इसकी पुष्टि सेनाधिकारी आप करते हैं कि सीजफायर की आड़ में पाकिस्तान ने जो सैनिक तैयारियां कर ली हैं वे चिंताजनक हैं।

जम्मू सीमा के क्षेत्रों में तारबंदी के लिए बनाए गए 12 फुट ऊंचे सुरक्षा बांध पर खड़े होकर अगर सामने पाकिस्तानी क्षेत्र में देखा जाए तो मालूम पड़ता है कि पाकिस्तान के इरादे क्या हैं। जम्मू सीमा की जीरो लाइन के साथ-साथ उसने भी बहुआयामी और बहुस्तरीय रक्षा बांध तैयार कर लिया है।

जीरो लाइन से इस रक्षा बांध की दूरी 100 गज से 150 गज के बीच

जीरो लाइन से इस रक्षा बांध की दूरी 100 गज से 150 गज के बीच है। यह कोई मामूली रक्षा बांध नहीं है। करीब 18 फुट की ऊंचाई वाले इस रक्षा बांध पर अगर ऊपर भी सड़क है तो नीचे भी। सीमेंट से बने पक्के बंकर भी बीच में तथा बांध के ऊपर भी। मकसद इस बांध को बनाने के पीछे के कई हैं। पहला भारतीय कार्रवाई से अपने आपको बचाना और साथ ही उन पाकिस्तानी किसानों को उस स्थिति में भारतीय गोलीबारी से बचाना जब वह जवाबी कार्रवाई करती है।

यही कारण है कि सबसे अधिक खतरा जम्मू से सटी 264 किमी लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर है। सीजफायर के इन 17 सालों का लाभ पाकिस्तानी सेना ने अपने क्षेत्र में बहुस्तरीय सुरक्षा प्रबंधों को अंजाम देने में लिया है। सुरक्षा प्रबंध भी ऐसे की भारतीय सुरक्षाबल चाह कर भी न ही उन्हें रोक पा रहे हैं और न ही विरोध जता पा रहे हैं।

पाकिस्तान ने इसके पीछे होने वाली सभी फौजी तैयारियों को छुपा लिया

रक्षा सूत्र मानते हैं कि ऐसा बांध खड़ा कर पाकिस्तान ने इसके पीछे होने वाली सभी फौजी तैयारियों को छुपा लिया है। स्थिति यह है कि उसके पीछे होने वाली किसी भी कार्रवाई की खबर रख पाना या फिर सीमा पर नजर रख पाना भारतीय बलों के लिए आसान नहीं रहा है। जहां तक कि इस बांध की आड़ में चल रहे आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों पर भी कोई नजर रख पाना आसान कार्य नहीं रहा है।

सीजफायर का लाभ पाकिस्तान द्वारा सियालकोट में अपनी रक्षापंक्ति को मजबूत करने में भी लिया गया है। कारण पूरी तरह से स्पष्ट है कि सियालकोट में पाकिस्तानी रेंजर का सेक्टर हेडर्क्वाटर है तो इसी इलाके में पाक सेना का कोर हेडर्क्वाटर है जिसे वह कमजोर इसलिए मानती है क्योंकि सियालकोट इलाके की सुरक्षा व्यवस्था हमेशा ही भारतीय सेना द्वारा भेद्यी जाती रही है।

बीएसएफ ने कई बार लिखित तथा फ्लैग मीटिंगों में विरोध तो जताया

सीमा पर पाक की इस प्रकार की तैयारियों पर हालांकि बीएसएफ ने कई बार लिखित तथा फ्लैग मीटिंगों में विरोध तो जताया है लेकिन पाकिस्तान ने इतने सालों में उसकी शिकायत पर कभी कोई कान नहीं धरा है। स्थिति यह है कि सीमा की सुरक्षा को लेकर बीएसएफ भी बहुत चिंतित है। उसकी चिंता का एक कारण यह भी है कि पाकिस्तान जम्मू सीमा को अंतरराष्ट्रीय सीमा का दर्जा नहीं देता है और वह इसे वर्किंग बाउंडरी का नाम देते हुए इसे बदलने की कोशिशें भी लगातार करता रहा है।

नतीजतन भारतीय सुरक्षाबलों को चिंता इस बात की है कि अगर सीजफायर टूटा तो पाकिस्तान द्वारा इस सीजफायर की आड़ में मजबूत की गई अपन रक्षापंक्ति का भरपूर लाभ लिया जा सकता है। हालांकि भारतीय पक्ष ने भी भारतीय किसानों को पाकिस्तानी गोलीबारी से बचाने के लिए 12 फुट का रक्षा बांध बनाया है मगर वह अब किसी काम का इसलिए नहीं रह गया है क्योंकि पाकिस्तान अपने 16 फुट ऊंचे रक्षा बांध से उस पर पूरी नजर रख रहा है।

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