Aadhaar Card Supreme Court: जन्मतिथि का प्रमाण नहीं आधार कार्ड?, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को किया रद्द

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 24, 2024 22:21 IST2024-10-24T22:21:11+5:302024-10-24T22:21:41+5:30

Aadhaar Card Supreme Court: न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि मृतक की उम्र किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 94 के तहत विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र में उल्लिखित जन्मतिथि से निर्धारित की जानी चाहिए।

Aadhaar Card Not Suitable As Proof Of Date Of Birth Supreme Court High Court's decision accept date of birth mentioned victim motor accident compensation case | Aadhaar Card Supreme Court: जन्मतिथि का प्रमाण नहीं आधार कार्ड?, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को किया रद्द

सांकेतिक फोटो

Highlightsशीर्ष अदालत ने दावेदार-अपीलकर्ताओं के तर्क को स्वीकार कर लिया।दुर्घटना में मारे गए एक व्यक्ति के परिजनों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी।

Aadhaar Card Supreme Court: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें मुआवजा देने के लिए सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले व्यक्ति की आयु निर्धारित करने के लिए आधार कार्ड को स्वीकार कर लिया गया था। न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि मृतक की उम्र किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 94 के तहत विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र में उल्लिखित जन्मतिथि से निर्धारित की जानी चाहिए।

पीठ ने उल्लेख किया, ‘‘हमने पाया कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने अपने परिपत्र संख्या 8/2023 के माध्यम से, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा 20 दिसंबर, 2018 को जारी एक कार्यालय ज्ञापन के संदर्भ में कहा है कि एक आधार कार्ड पहचान स्थापित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन यह जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है।’’

शीर्ष अदालत ने दावेदार-अपीलकर्ताओं के तर्क को स्वीकार कर लिया और मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) के फैसले को बरकरार रखा, जिसने मृतक की उम्र की गणना उसके विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र के आधार पर की थी। शीर्ष अदालत 2015 में एक सड़क दुर्घटना में मारे गए एक व्यक्ति के परिजनों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी।

एमएसीटी, रोहतक ने 19.35 लाख रुपये के मुआवजे का आदेश दिया था जिसे उच्च न्यायालय ने यह देखने के बाद घटाकर 9.22 लाख रुपये कर दिया कि एमएसीटी ने मुआवजे का निर्धारण करते समय आयु गुणक को गलत तरीके से लागू किया था। उच्च न्यायालय ने मृतक के आधार कार्ड पर भरोसा करते हुए उसकी उम्र 47 वर्ष आंकी थी।

परिवार ने दलील दी कि उच्च न्यायालय ने आधार कार्ड के आधार पर मृतक की उम्र निर्धारित करने में गलती की है क्योंकि यदि उसके विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र के अनुसार उसकी उम्र की गणना की जाती है तो मृत्यु के समय उसकी उम्र 45 वर्ष थी।

Web Title: Aadhaar Card Not Suitable As Proof Of Date Of Birth Supreme Court High Court's decision accept date of birth mentioned victim motor accident compensation case

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