रेलवे में एक कैडरः 13 जोन और 60 डिविजन के अफसरों ने किया विरोध, 250 पन्नों का ज्ञापन सरकार को सौंपा, एकतरफा कहा

By भाषा | Published: January 10, 2020 06:14 PM2020-01-10T18:14:47+5:302020-01-10T18:14:47+5:30

रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘ भारतीय रेलवे के पदोन्नत अधिकारियों के परिसंघ ने पहले ही विलय का पुरजोर तरीके से समर्थन कर दिया है। इस परिसंघ में रेलवे के प्रथम श्रेणी के कुल 8,400 अधिकारियों में से 3,700 अधिकारी शामिल हैं।’’

A cadre in Railways: Officers from 13 zones and 60 divisions protested, submitted 250-page memorandum to the government, unilaterally said | रेलवे में एक कैडरः 13 जोन और 60 डिविजन के अफसरों ने किया विरोध, 250 पन्नों का ज्ञापन सरकार को सौंपा, एकतरफा कहा

ई-मेल के जरिये सुझाव आमंत्रित करना अंतिम फैसला लेने से पहले विचार-विमर्श की वृहद प्रक्रिया है।

Highlightsज्ञापन में कहा गया, ‘‘जब असहमति और अलग विचारों को व्यक्त करने की अनुमति ही नहीं दी जाएगी।इस आरोप का सभी जोन एवं डिविजन के ज्ञापनों में समर्थन किया गया।

रेलवे के 13 जोन और 60 डिविजन के सिविल सेवा के अधिकारियों ने रेलवे सेवा के विभिन्न काडर के विलय के फैसले का विरोध करते हुए इसे एकतरफा फैसला करार दिया और 250 पन्नों का ज्ञापन सरकार को सौंपा।

उन्होंने दावा किया कि इससे रेल परिचालन की सुरक्षा पर असर होगा। आठ सेवाओं का विलय कर भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) बनाने के प्रस्ताव के खिलाफ बड़े भूरे रंग के लिफाफे में ज्ञापन को रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, रेलमंत्री, कार्मिक मंत्रालय के सचिव, कैबिनेट सचिव और यहां तक की प्रधानमंत्री को बुधवार और गुरुवार को भेजा गया।

उल्लेखनीय है कि रेलवे ने प्रेस विज्ञप्ति में विलय की घोषणा करते हुए कहा था, ‘सात और आठ दिसंबर 2019 को हुई दो दिवसीय ‘परिवर्तन संगोष्ठी’ में रेलवे अधिकारियों की समर्थन एवं सहमति से यह फैसला लिया गया है।’

हालांकि, सभी सेवाओं के प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि ‘परिवर्तन संगोष्ठी’ में 12 समूह बनाए गए थे और प्रत्येक का नेतृत्व महाप्रबंधक (जीएम) कर रहे थे और फैसला सिविल सेवा के मुकाबले अभियंत्रिकी सेवा के अनुकूल लिया गया।’

ज्ञापन में कहा गया कि करीब 2500 सिविल सेवा के अधिकारी हैं, जो इस विलय से प्रभावित होंगे। उत्तर रेलवे के अंबाला डिविजन के प्रतिनिधि ने आरोप लगाया, ‘‘ सभी महाप्रबंधक अभियंत्रिकी सेवा के थे। समूह के सदस्य भी संबंधित महाप्रबंधक के जोन से लिए गए। केवल महाप्रबंधक को ही बोलने की अनुमति थी। संबंधित महाप्रबंधक द्वारा विपरीत विचार रखने की अनुमति दी गई क्योंकि समूह का सदस्य उसके अधीनस्थ था। वास्तविकता यह है कि महाप्रबंधक की निजी राय को ही समूह का रुख मान लिया गया।’

इस आरोप का सभी जोन एवं डिविजन के ज्ञापनों में समर्थन किया गया। ज्ञापन में कहा गया, ‘‘जब असहमति और अलग विचारों को व्यक्त करने की अनुमति ही नहीं दी जाएगी तो कैसे परामर्श प्रक्रिया को लोकतांत्रिक माना जा सकता है जैसी की रेलमंत्री की इच्छा है।’’

सभी प्रतिनिधियों ने रेखांकित किया कि इस कदम से रेल परिचालन की सुरक्षा से समझौता होगा जबकि परिसंपत्ति में खामी से बचने के लिए विशेषज्ञों की जरूरत है। रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘ भारतीय रेलवे के पदोन्नत अधिकारियों के परिसंघ ने पहले ही विलय का पुरजोर तरीके से समर्थन कर दिया है। इस परिसंघ में रेलवे के प्रथम श्रेणी के कुल 8,400 अधिकारियों में से 3,700 अधिकारी शामिल हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मंत्रालय उच्चस्तर पर सिविल सेवा परीक्षा के जरिये आने वाले अधिकारियों को आश्वस्त कर चुका है कि उनके हितों की रक्षा की जाएगी।’’ सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों को ई-मेल के जरिये सुझाव भेजने को कहा गया है और अब तक 900 सुझाव आ चुके हैं और जहां तक ज्ञापन का मामला है तो इससे निर्णय की प्रक्रिया प्रभावित नहीं होगी।

सूत्रों ने कहा, ‘‘ ई-मेल के जरिये सुझाव आमंत्रित करना अंतिम फैसला लेने से पहले विचार-विमर्श की वृहद प्रक्रिया है। कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में गठित समूह सभी के हितों पर ध्यान देगा।’’ 

Web Title: A cadre in Railways: Officers from 13 zones and 60 divisions protested, submitted 250-page memorandum to the government, unilaterally said

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