एक साल तक 81 करोड़ लोगों को मिलेगा मुफ्त राशन, केंद्र सरकार खर्च करेगी करीब 2 लाख करोड़, जानें
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 24, 2022 02:48 PM2022-12-24T14:48:21+5:302022-12-24T14:53:36+5:30
सरकार का यह फैसला उस समय आया है जब प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) की अवधि 31 दिसंबर को खत्म होने वाली है। कोविड-19 महामारी के दौरान गरीबों को मुफ्त अनाज बांटने की शुरुआत अप्रैल 2020 में की गई थी।
नयी दिल्लीः केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत 81.35 करोड़ गरीबों को एक साल तक मुफ्त अनाज वितरित करने का फैसला किया है। खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि इस पर करीब दो लाख करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।
बता दें कि यह फैसला केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में किया गया। इसमें यह तय किया गया कि 81.35 करोड़ गरीबों को एक साल तक खाद्यान्न उपलब्ध कराने पर पड़ने वाले करीब दो लाख करोड़ रुपये के आर्थिक बोझ को केंद्र सरकार खुद उठाएगी।
खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एनएफएसए के तहत गरीबों को मुफ्त में अनाज मुहैया कराया जाएगा। फिलहाल इस कानून के तहत लाभ पाने वाले लोगों को अनाज के लिए एक से तीन रुपये प्रति किलो का भुगतान करना पड़ता है।
सरकार का यह फैसला उस समय आया है जब प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) की अवधि 31 दिसंबर को खत्म होने वाली है। कोविड-19 महामारी के दौरान गरीबों को मुफ्त अनाज बांटने की शुरुआत अप्रैल 2020 में की गई थी।
गोयल ने कहा, "प्रधानमंत्री ने गरीबों को मुफ्त में अनाज देने का ऐतिहासिक फैसला किया है। इस फैसले से कुल 81.35 करोड़ लोग लाभांवित होंगे।" पीएमजीकेएवाई को अब खत्म किए जाने के बारे में पूछे जाने पर गोयल ने कहा, "सरकार ने इस योजना के तहत 28 महीनों तक मुफ्त अनाज मुहैया कराया है। अब इसे एनएफएसए के साथ ही समाहित कर दिया गया है और अतिरिक्त अनाज देने की जरूरत नहीं रह गई है।"
खाद्य सुरक्षा की गारंटी देने वाले एनएफएसए कानून के तहत सरकार की तरफ से हरेक पात्र व्यक्ति को हर महीने तीन रुपये प्रति किलो की दर पर चावल और दो रुपये प्रति किलो की दर पर गेहूं मुहैया कराया जाता है। इसके अलावा एक रुपये प्रति किलो की दर पर मोटा अनाज भी दिया जाता है।
एनएफएसए कानून को जुलाई 2013 में लागू किया था जिसमें देश की 67 प्रतिशत आबादी को अत्यधिक सस्ती दर पर खाद्यान्न पाने का कानूनी अधिकार दिया गया था।
सरकारी अधिकारियों ने एनएफएसए के तहत 81 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन देने के इस फैसले को देश के गरीबों के लिए 'नए साल का उपहार' बताते हुए कहा कि लाभार्थियों को अब खाद्यान्न के लिए एक भी रुपया नहीं देना होगा। इस पर आने वाले करीब दो लाख करोड़ रुपये के समूचे बोझ को खुद सरकार ही उठाएगी।
भाषा इनपुट