उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में अलग-अलग सड़क हादसे में आठ की मौत, आठ घायल
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: February 12, 2018 06:58 PM2018-02-12T18:58:08+5:302018-02-12T19:30:02+5:30
नई दिल्ली, 12 फरवरी। उत्तर प्रदेश के उन्नाव और हिमाचल प्रदेश में दर्दनाक सड़क हादसा हुआ है।...
नई दिल्ली, 12 फरवरी। उत्तर प्रदेश के उन्नाव और हिमाचल प्रदेश में दर्दनाक सड़क हादसा हुआ है। यूपी के उन्नाव के मोरवां में बाइक और गाड़ी के बीच भीषण टक्कर हुई है। इस टक्कर में पांच लोगों की मौत हो गई है, वहीं चार लोगों गंभीर रूप से घायल हैं।
Unnao: 5 killed, 4 injured after a vehicle turned turtle while trying to avoid hitting a bike-borne man in Maurawan. pic.twitter.com/eoXPEoYodT
— ANI UP (@ANINewsUP) February 12, 2018
वहीं हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में ट्रक और गाड़ी की टक्कर में तीन लोगों की जान चली गई है। जबकि चार गंभीर रूप से घायल हैं।
Himachal Pradesh: 3 killed, 4 injured in a road accident in Kangra. pic.twitter.com/84HEjUfsoD
— ANI (@ANI) February 12, 2018
सड़क हादसों के आंकड़े क्या कहते हैं
Himachal Pradesh: 3 killed, 4 injured in a road accident in Kangra. pic.twitter.com/84HEjUfsoD
— ANI (@ANI) February 12, 2018क्या कहते हैं आकड़ें- प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक साल 2014-15 में बीमा कंपनियों ने करीब 11480 करोड़ का मुआवजा दिया है लेकिन आधे पीड़ितों को ये सुविधा अभी तक नहीं मिल पाई है। क्योंकि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। जबकि कुछ समय पहले केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि भारत में हर साल करीब पांच लाख रोड हादसे होते हैं जिनमें से करीब डेढ लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं। एनसीआरबी ने साल 2015 में जो डाटा दिए थे उसके मुताबिक हर एक घंटे में करीब 53 सड़क दुर्घटना के मामले सामने आते हैं। जबकि उनमें से करीब 17 लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। साल 2014 में सड़क दुर्घटना के 1,41,526 मामले सामने आए थो जोकि साल 2015 में बढ़कर 4,64,674 हो गए थे। ऐसे में से आंकड़ा साल दर साल तेजी से बढ़ता जा रहा है और इस पर अभी तक कोई कमी नहीं आई है।
यहां होते सबसे ज्यादा सड़क हादसे- प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक तमिलनाडु (69,059) में, इसके बाद कर्नाटक में (44,011), महाराष्ट्र (42,250) मध्य प्रदेश (40,859) और केरल में (39,014) दुर्घटनाएं हुईं। इस सूची में तमिनाडु से पहले उत्तर प्रदेश का नाम भी शामिल है। ध्यान देने वाली बात ये है कि इन हादसों का सबसे ज्यादा शिकार दो पहियां वाहन वाले होते हैं।
क्यों होते हैं हादसे- दिनों दिन बढ़ते हादसों को देखकर ये बड़ा सवाल उठता है कि आखिर ये हादसे होते क्यों हैं। वजह साफ है, सड़क-परिवहन का हाल बहुत बुरा है, न कायदे की सड़कें हैं न उन पर ट्रैफिक के नियम लागू होते है। सड़कों पर पर्याप्त डिवाइडर नहीं हैं, पूरी रोशनी नहीं है, रेड लाइट की उचित व्यवस्था नहीं है, ड्राइवरों के समुचित प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं है, ड्राइविंग लाइसेंस लेने के लिए नियम बड़ी आसानी से तोड़े जाते हैं, ट्रक ड्राइवरों को बहुत ही लंबी और थका देने वाली ड्यूटी करनी पड़ती है और वे कभी नींद में और कभी हड़बड़ी होते हैं। ऐसे में इस छोटे लेकिन अहम सवालों को अभी तक अनदेखा किया गया है।
दूसरे देशों में क्यों नहीं होते ये हादसे - भारत की तरह और भी देशों में लोगों के पास वाहन हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि वहां ये हादसे क्यों नहीं होते हैं। वहीं, अगर विकास को देखते हुए बात की जाए तो और देशों में भारत से कम सड़क हादसे होते हैं। क्योंकि अन्य देशों की सरकारें अपने यहां के लोगों की हिफाजत का खयाल स्वयं रखती हैं। वहीं, ब्रिटेन में साल 2014 में 1775 मौतें हुईं। जबकि वहां 2005 में सड़क पर तीन हजार से ज्यादा लोग मरे गए थे। अमेरिका ब्रिटेन के मुकाबले बहुत बड़ा है और वहां गाड़ियों की तादाद भी ज्यादा है- लेकिन वहां भी साल में करीब 30,000 लोगों की ही मौत सड़क हादसों में होती है। भारत के मुकाबला चीन कर सकते है हालांकि चीन से आधिकारिक आंकड़े बहुत साफ नहीं हैं। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन का आरोप है कि वहां भी सड़कों पर डेढ़ से दो लाख लोग मारे जाते हैं।
WHO का दावा- जब देश में हर रोज इतने सड़क हासदे हो रहे हैं तो इसको कोई भी पार्टी या नेता राजनीतिक मुद्दा आखिर क्यों नहीं बना रहा है। ये एक बड़ा और चिंताजनक मुद्दा है लेकिन फिर भी ले राजनीतिक पार्टियों की नजर से अब तक अधूता ही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े दर्शाते हैं कि 2020 तक भारत में होने वाली अकाल मौतों में सड़क दुर्घटना एक बड़ी वजह होगी। अनुमान के मुताबिक तब प्रति वर्ष पांच लाख 46 हजार लोग सड़क दुर्घटना में अपनी जान गवां सकते हैं। परिवहन मंत्री गडकरी ने कहा है कि सरकार का यही प्रयास होगा कि अगले दो साल में सड़क हादसों में हताहतों की संख्या में पचास फीसद की कमी लाई जा सके। इसके अलावा इस साल एक रिपोर्ट भी जारी की गई है जिसमें कहा गया था कि सबसे ज्यादा सड़क हादसे मोबाइल पर बात करने से होते है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि सरकार सड़क परिवहन सुरक्षा कानून बनाएगी तथा दुर्घटना के पीड़ितों को बिना पैसा चुकाए तुरंत चिकित्सा-सुविधा भी उपलब्ध कराएगी जाएगी।