पिछले साल जनवरी से सितंबर के बीच रेल पटरियों पर 6,290 लोगों की मौत हुई : आरटीआई

By भाषा | Updated: February 5, 2021 12:16 IST2021-02-05T12:16:39+5:302021-02-05T12:16:39+5:30

6,290 people died on railway tracks between January and September last year: RTI | पिछले साल जनवरी से सितंबर के बीच रेल पटरियों पर 6,290 लोगों की मौत हुई : आरटीआई

पिछले साल जनवरी से सितंबर के बीच रेल पटरियों पर 6,290 लोगों की मौत हुई : आरटीआई

इंदौर (मध्यप्रदेश) पांच फरवरी सूचना के अधिकार (आरटीआई) से पता चला है कि देश में पिछले साल जनवरी से सितंबर के बीच अनधिकृत तौर पर रेल पटरियां पार करने के दौरान हुए अलग-अलग हादसों में 6,290 लोगों की मौत हुई, जबकि 606 अन्य घायल भी हुए।

गौर करने लायक बात यह है कि नौ महीनों की इस अवधि में पटरियों पर हादसों में इतनी बड़ी तादाद में लोगों की जान तब गई, जब कोविड-19 के प्रकोप के कारण सीमित संख्या में ट्रेनें चल रही थीं।

नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि पटरियां पार करने से जुड़े हादसों में हताहत हुए लोगों के बारे में उन्हें रेल मंत्रालय से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मिली है। गौड़ के मुताबिक यह ब्योरा संबंधित राज्यों की शासकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) और रेलवे बोर्ड के सुरक्षा निदेशालय के आंकड़ों के हवाले से दिया गया है।

गौड़ ने कहा, "मुझे आरटीआई के तहत भेजे गए जवाब में स्पष्ट नहीं किया गया है कि संबंधित हताहतों में उन लोगों के आंकड़े भी शामिल हैं या नहीं, जो खुदकुशी के इरादे से रेल पटरियों पर पहुंचे थे।"

गौरतलब है कि रेल पटरियों को अनधिकृत तौर पर पार करना रेलवे अधिनियम की धारा 147 के तहत कानूनन अपराध है। इसके तहत छह महीने तक के कारावास और 1,000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

आरटीआई के तहत गौड़ को यह भी बताया गया कि बीते साल 2020 में जनवरी से नवंबर के बीच चलती ट्रेनों और रेल परिसरों में हत्या के 83 और हत्या के प्रयास के 34 मामले दर्ज किए गए।

आरटीआई से मिले आंकड़ों के मुताबिक 11 महीनों की इस अवधि के दौरान चलती ट्रेनों और रेल परिसरों में बलात्कार के 18 मामले दर्ज किए गए, जबकि महिलाओं के खिलाफ अन्य अपराधों के 103 प्रकरण पंजीबद्ध हुए।

पिछले साल जनवरी से नवंबर के बीच चलती ट्रेनों और रेल परिसरों में डकैती के 10, लूट के 551 और यात्रियों का सामान चुराने के कुल 14,344 मामले दर्ज किए गए।

रेल मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इन आंकड़ों में पश्चिम बंगाल में चलती ट्रेनों और रेल परिसरों में हुए अपराधों का ब्योरा शामिल नहीं है।

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