600 मुसलमान मछुआरों ने गुजरात सरकार पर लगाया धार्मिक उत्पीड़न का आरोप, हाईकोर्ट से की इच्छामृत्यु की मांग

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 8, 2022 04:57 PM2022-05-08T16:57:03+5:302022-05-08T17:03:42+5:30

पोरबंद में करीब 600 मुस्लिम मछुआरे अपनी जीवन लीला को समाप्त करने के लिए गुजरात हाईकोर्ट की शरण में गये हैं। मछुआरों का आरोप है कि उन्हें राज्य के मस्तय विभाग से मछली मारने का लाइसेंस मिला हुआ है लेकिन उसके बाद भी उन्हें मछली मारने से रोका जा रहा है।

600 Muslim fishermen accuse Gujarat government of religious persecution, demanding euthanasia from the High Court | 600 मुसलमान मछुआरों ने गुजरात सरकार पर लगाया धार्मिक उत्पीड़न का आरोप, हाईकोर्ट से की इच्छामृत्यु की मांग

सांकेतिक तस्वीर

Highlightsपोरबंद में करीब 600 मुस्लिम मछुआरे इच्छामृत्यु की मांग करते हुए गुजरात हाईकोर्ट की शरण में गयेमछुआरों ने कथिततौर पर आरोप लगाया कि गुजरात सरकार उनके साथ धार्मिक पक्षपात कर रही हैमछुआरों का आरोप है कि उन्हें सरकारी अधिकारी इसलिए परेशान कर रहे हैं क्योंकि वो मुसलमान हैं

पोरबंदर: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जन्मस्थली पोरबंद में करीब 600 मुस्लिम मछुआरे अपनी जीवन लीला को समाप्त करने के लिए गुजरात हाईकोर्ट की शरण में गये हैं।

हाईकोर्ट से इच्छामृत्यु की मांग करते हुए मछुआरों ने कथिततौर पर आरोप लगाया कि गुजरात सरकार उनके साथ धार्मिक पक्षपात कर रही है।

समाचार वेबसाइट 'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक पोरबंदर के करीब 600 मछुआरों की ओर से अल्लारखा इस्माइलभाई थिम्मर गुरुवार को गुजरात हाईकोर्ट पहुंचे और याचिका दाखिल करते हुए अपने सहित करीब 600 लोगों के लिए इच्छामृत्यु की मांग की।

अल्लारखा इस्माइल भाई ने अपनी याचिका में इच्छामृत्यु के लिए बिगड़ते आर्थिक हालात को जिम्मेदार ठहराया। इसके अलावा गोसबारा मुस्लिम फिशरमेन सोसाइटी ने भी एक आवेदन कोर्ट में दायर करते हुए आरोप लगाया है कि गुजरात सरकार समुदाय विशेष के लोगों को सुविधाएं लेने से वंचित कर रही है।"

पीड़ितों की याचिका में कहा गया है कि उनका परिवार बीते एक सदी से मछली पकड़ने का काम कर रहा है और इसके लिए राज्य के मत्स्य विभाग से उन्हें बाकायदा लाइसेंस भी मिला हुआ है।

इस्माइल भाई के वकील धर्मेश गुर्जर ने इस मामले में जानकारी देते हुए कहा कि पीड़ित याचिकाकर्ताओं का सरकार की ओर से राजनीतिक उत्पीड़न किया जा रहा है। इस मामले में गुजरात के राज्यपाल के पास उनकी कई एप्लिकेशन लंबित पड़े हैं।

उन्होंने बताया कि स्थानीय मुस्लिम मछुआरा समुदाय के मुताबिक साल 2016 से गोसाबारा बंदरगाह पर मत्य विभाग की ओर से नौकाओं के लंगर डालने पर पाबंदी लगी है, जबकि सभी मछुआरों के पास वैध लाइसेंस भी है, लेकिन उसके बावजूद विभाग उन्हें मछली मारने की इजाजत नहीं दे रहा है। जिसके कारण मछुआरों के सामने भारी आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

वहीं  इस्माइल भाई की ओर से इस मामले में आरोप लगाया गया है कि मत्य विभाग के अधिकारी धर्म के आधार पर उनके परिवारों को बिना किसी कारण परेशान कर रहे हैं। इस्माइल ने इसके साथ ही यह भी कहा कि विभाग की ओर से हिंदू मछुआरों को नियमित सुविधाएं दी जाती हैं। जबकि उन्हें मुसलमान होने के कारण मछली मारने की इजाजत नहीं दी जाती है। 

इसके साथ हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम समुदाय हमेशा "देश के प्रति वफादार" रहा है और कभी भी तस्करी जैसी "राष्ट्र विरोधी गतिविधियों" में शामिल नहीं रहा है। इसके साथ ही वो हमेशा "पाकिस्तान और अन्य दुश्मन देशों द्वारा प्रायोजित" अवैध गतिविधियों की जानकारी "सुरक्षा एजेंसियों को देते रहते हैं। 

Web Title: 600 Muslim fishermen accuse Gujarat government of religious persecution, demanding euthanasia from the High Court

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