गुवाहाटीः प्रख्यात असमिया कवि नीलमणि फूकन को सोमवार 56वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। गौरतलब बात है कि 88 वर्षीय कवि के स्वास्थ्य को देखते हुए पहली बार ज्ञानपीठ पुरस्कार समारोह का आयोजन असम में किया गया।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और ज्ञानपीठ चयन बोर्ड की अध्यक्ष प्रतिभा रे ने जन-पक्षधर लेखन के लिए जाने जाने वाले प्रसिद्ध कवि फूकन को ट्रॉफी, चेक और स्मृति चिन्ह सौंपे। मुख्यमंत्री हिमंता ने कहा कि फूकन को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ने असम वासियों को गौरवान्वित किया है। फूकन तीसरे असमी हैं, जिन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है।
साहित्य अकादमी और पद्म श्री पुरस्कार से नवाजे जा चुके फूकन की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों पर विचार करते हुए असम में पहली बार साहित्यिक पुरस्कार समारोह आयोजित किया गया। उन्होंने कविता की 13 पुस्तकें लिखी हैं जिनमें सूर्य हेनो नामि अहे एई नादियेदी, मानस-प्रतिमा और फुली ठका, सूर्यमुखी फुल्तोर फाले आदि उनकी कुछ प्रमुख कृतियां हैं।
प्रसिद्ध कथाकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार प्रतिभा रे की अध्यक्षता में हुई चयन समिति की बैठक में वर्ष 2021 के लिए 56वां ज्ञानपीठ पुरस्कार नीलमणि फूकन कोदेने का निर्णय लिया गया था। चयन समिति में माधव कौशिक, सैय्यद मोहम्मद अशरफ, प्रो. हरीश त्रिवेदी, प्रो. सुरंजन दास, प्रो. पुरुषोत्तम बिल्माले, चंद्रकांत पाटिल, डॉ. एस मणिवालन, प्रभा वर्मा, प्रो. असगर वजाहत और मधुसुदन आनन्द शामिल थे।
भाषा इनपुट के साथ