अतिक्रमण हटाने के न्यायालय के आदेश के बाद फरीदाबाद में 50 हजार लोगों पर बेघर होने का खतरा

By भाषा | Updated: June 18, 2021 21:33 IST2021-06-18T21:33:20+5:302021-06-18T21:33:20+5:30

50 thousand people in danger of becoming homeless in Faridabad after the order of the court to remove encroachment | अतिक्रमण हटाने के न्यायालय के आदेश के बाद फरीदाबाद में 50 हजार लोगों पर बेघर होने का खतरा

अतिक्रमण हटाने के न्यायालय के आदेश के बाद फरीदाबाद में 50 हजार लोगों पर बेघर होने का खतरा

फरीदाबाद, 18 जून हरियाणा के फरीदाबाद जिले के अरावली वनक्षेत्र से अवैध अतिक्रमण हटाने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के कारण विभिन्न राज्यों से आकर खोरी में बसे करीब 50,000 प्रवासी बेघर हो सकते हैं।

न्यायालय के सख्त आदेश के कारण प्रशासन के पास फरीदाबाद-सूरजकुंड रोड के पास वन क्षेत्र पर अतिक्रमण वाले खोरी इलाके में बने 10,000 से ज्यादा मकानों को गिराने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।

मकानों को गिराए जाने की खबर की पृष्ठभूमि में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने शुक्रवार को खोरी पहुंचकर वहां के निवासियों से मुलाकात की। पाटकर ने कहा, ‘‘प्रशासन अगर लोगों के आशियाने तोड़ता है तो इस तरह की कार्रवाई को किसी भी तरह जायज नहीं ठहराया जा सकता।’’

उन्होंने हरियाणा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि सरकार मानवता के खिलाफ काम कर रही है, उसे लोगों के घर तोड़ने से पहले खोरी गांव के लोगों को बसाने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने न्यायालय में लोगों के पक्ष ठीक से पैरवी नहीं की।

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने वन क्षेत्र के पास सभी अतिक्रमण को हटाने, लोगों के मकान गिराने और लोगों को वहां से हटाने संबंधी आदेश को चुनौती देने वाली हरियाणा सरकार और फरीदाबाद नगर निगम की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद खोरी के निवासियों पर बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है। वन क्षेत्र की जमीन को खाली कराने के अपने सात जून के आदेश पर समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए, पीठ ने प्रशासन को फटकार लगायी और कहा, ‘‘हम अपनी जमीन (वन क्षेत्र) खाली चाहते हैं।’’

न्यायालय के आदेश पर जिला आयुक्त यशपाल ने बताया कि लोगों को पहले ही बताया जा चुका है कि अतिक्रमण कर जमीन पर बनाये गए अवैध मकानों को गिराने के न्यायालय के आदेश को हर हाल में लागू किया जाएगा।

इसी के अनुसार, निवासियों को सूचित कर दिया गया है कि वे अपना-अपना सामान समेट लें और अपने मकान गिराए जाने के लिये खाली कर दें। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन ने उन सभी के चार-पांच दिन रहने के लिए अस्थाई शिविर बनाए हैं।

डीसी यशपाल ने कहा कि इन सभी को शिविर तक पहुंचाने के लिए नि:शुल्क परिवहन व्यवस्था की जाएगी। खोरी इलाके में रहने वाले लोगों में ज्यादातर बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल से आए प्रवासी हैं और उनमें भी ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।

खबर सुनकर परेशान मूल रूप से अयोध्या के रहने वाले 65 वर्षीय नारायण तिवारी ने कहा, ‘‘कॉलोनी के जल्द नियमित हो जाने का बिल्डर से आश्वासन मिलने के बाद हमने यहां जमीन और मकान खरीदे और यहां रहने लगे। हमारा पता यहां का है, सरकार ने हमें राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड भी (इसी पते पर) जारी किए हैं और अंतत: हमें लगने लगा था कि हमारे सिर पर छत है। और अब हमारे साथ ऐसा हो रहा है।’’

चौदह सदस्यीय परिवार के मुखिया तिवारी ने कहा कि उनके पास अयोध्या लौटने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है, जहां उनके मकान की हालत रहने लायक नहीं है, क्योंकि दशकों से उसकी मरम्मत नहीं हुई है।

पीटीआई से बातचीत के दौरान, बेघर होकर सड़कों पर आने की आशंका से कई महिलाओं की आंखों से आंसू छलक पड़े।

अपने आंसू रोकने की कोशिश करते हुए सरिता ने कहा, ‘‘हममें से कई का जन्म यहां हुआ है, कई यहां दुल्हन बनकर आयीं। लेकिन यहां हमारे मकान गिराए जाने के बाद, हमारे पास और कुछ नहीं बचेगा, हमें अपने मायके या ससुराल लौटना होना।

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