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जम्मू कश्मीर में आतंकी बनने जा रहे 5 युवक गिरफ्तार, ऑप्रेशन मां से साल भर में 50 युवक आतंक की राह से वापस लौटे

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 24, 2019 04:04 IST

पिछले महीने सेना की चिनार कोर ने ऑपरेशन मां शुरू किया था। इस ऑपरेशन में चिनार कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग केजेएस ढिल्लो के निर्देश पर घरों से गायब हो चुके युवाओं का पता लगाना और उनके परिजनों से संपर्क कर उन्हें वापस घर लाना था। पुलवामा हमले के बाद सेना ने घाटी में सभी माताओं से अपने बच्चों को वापस लौटने के लिए अपील करने को कहा था।

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ठळक मुद्देसेना ने कहा था कि मां एक बड़ी भूमिका में होती है और वे अपने बच्चों को वापस बुला सकती है। इस साल करीब 50 ऐसे युवा आतंकी संगठनों को छोड़कर वापस लौटे हैं।

--सुरेश एस डुग्गर-- 

इस साल करीब 50 युवक आतंकवाद की राह को त्याग कर अपने घरों को तो वापस लौट आए पर उनकी वापसी उन पांच युवकों की मानसिकता पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकी जो आतंकी बनने की खातिर एलओसी को पार करने उड़ी सेक्टर तक पहुंच गए।

अधिकारियों ने बताया कि आतंकी बनने के लिए घर से भागे पांच किशोरों को स़ुरक्षाबलों ने समय रहते उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सटे उड़ी सेक्टर में पकड़ लिया। इन्हें उनके परिजनों को सौंपा जाएगा।

जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू करने के बाद यह पहला मौका है जब आतंकी बनने के लिए उस कश्मीर की तरफ जा रहे पांच किशोर एलओसी के पास पकड़े गए हैं। सूत्रों ने बताया कि ये पांचों पुलवामा व शोपियां जिले के रहने वाले हैं। इनकी आयु 14-15 साल है।

ये उड़ी सेक्टर के रास्ते उस कश्मीर जा रहे थे और एलओसी से सटी सेना की एक चौकी तक पहुंच गए थे। इनके पास से सिर्फ कपड़े और खाने का कुछ सामान मिला है। पुलिस से जुड़े लोगों के मुताबिक, यह पांचों उड़ी कस्बे में एक होटल में थे।

पूछताछ में इन्होंने बताया कि उन्हें कहा गया था कि सड़क के रास्ते उड़ी चले जाएं। वहां एक पुल और एक दरिया है। अगर पुल से मौका नहीं मिला तो दरिया के रास्ते सीमा पार चले जाएं। उन्हें कोई नहीं रोकेगा। फिलहाल, इन पांचों को काउंसलिंग की जा रही है। अधिकारियों ने उनके नाम जाहिर करने से इंकार कर दिया है।

पिछले महीने सेना की चिनार कोर ने ऑपरेशन मां शुरू किया था। इस ऑपरेशन में चिनार कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग केजेएस ढिल्लो के निर्देश पर घरों से गायब हो चुके युवाओं का पता लगाना और उनके परिजनों से संपर्क कर उन्हें वापस घर लाना था। पुलवामा हमले के बाद सेना ने घाटी में सभी माताओं से अपने बच्चों को वापस लौटने के लिए अपील करने को कहा था।

सेना ने कहा था कि मां एक बड़ी भूमिका में होती है और वे अपने बच्चों को वापस बुला सकती है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे मारे जाएंगे। इस साल करीब 50 ऐसे युवा आतंकी संगठनों को छोड़कर वापस लौटे हैं। कई आतंकी आत्मसमर्पण करने के बाद पढ़ रहे हैं। कुछ अपने पिता का हाथ बंटा रहे हैं तो कुछ खेतों में काम कर रहे हैं। पाकिस्तान का प्रयास रहता है कि ऐसे युवाओं को निशाने बनाए। ऐसे में इनकी पहचान छुपाई जाती है।

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