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सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में 4G सर्विस शुरू करने पर फिलहाल नहीं दी राहत, समिति बनाने का आदेश

By विनीत कुमार | Updated: May 11, 2020 12:38 IST

जम्मू-कश्मीर में 4G इंटरनेट सर्विस शुरू करने के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम सुनवाई के दौरान उच्चस्तरीय समिति के गठन का आदेश दे दिया। कोर्ट ने कहा कि इसकी अगुवाई गृह मंत्रालय के सचिव करेंगे।

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ठळक मुद्देजम्मू-कश्मीर में 4G सर्विस को शुरू करने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने उच्चस्तरीय समिति बनाने का निर्देश दिया, समिति गौर करेगी याचिकाकर्ताओं के मामलों पर

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में 4G इंटरनेट सर्विस शुरू करने के मामले में आज सुनवाई के दौरान एक उच्चस्तरीय समिति के गठन का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये समिति याचिकाकर्ताओं की ओर से रखी गई चिंताओं पर गौर करेगी। साथ ही कोर्ट ने ये भी साफ किया कि इस समिति की अगुवाई गृह मंत्रालय के सचिव करेंगे। जस्टिस एन वी रमण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि इस समिति में जम्मू कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश प्रदेश के मुख्य सचिव और संचार सचिव भी शामिल होंगे। यह समिति 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने के याचिकाकर्ताओं के अनुरोध पर विचार करेगी।

कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि उसे सुनिश्चित करना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवाधिकार संतुलित रूप से बना रहे। जस्टिस एनवी रमण ने कहा, 'हम जानते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश में अभी कई मुश्किलें हैं। इसी घड़ी में कोर्ट जारी महामारी और उससे पैदा हुए हालात से भी चिंतित है।' कोर्ट ने कहा कि तत्काल हाई पावर्ड कमिटी का गठन किया जाए जो याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर करे।

बता दें कि पूर्व में सुनवाई के दौरान जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र शासित प्रदेश में 4जी इंटरनेट सेवा बहाली का विरोध किया था। प्रशासन ने कहा था कि आतंकी और सीमा पार से उनके हैंडलर्स लोगों को फेक न्यूज के जरिए भड़काने का काम करते हैं।

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने 4जी इटरनेट सेवा बहाल करने का विरोध करते हुये कहा था कि आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने और भड़काऊ सामग्री, विशेष रूप से फर्जी खबरों तथा फोटो और वीडियो क्लिप के प्रसारण से लोगों को उकसाने के लिये इंटरनेट सेवा के दुरूपयोग की आशंका है जो सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिये खतरा है। 

प्रशासन का कहना है कि 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने से वीडियो क्लिप और दूसरी प्रचार सामग्री अपलोड करने और उसे डाउनलोड करने के लिये सोशल मीडिया और दूसरे ऑनलाइन प्लेटफार्म का इस्तेमाल काफी हद तक बढ़ जायेगा। इस तरह की सामग्री का तेजी से प्रसारण होने से कश्मीर घाटी में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ेगी। 

प्रशासन ने न्यायालय से कहा है कि जब सिर्फ व्हाइट सूचीबद्ध यूआरएल इंटरनेट सेवायें बहाल की गयी थी तो भी यह पता चला था कि उग्रवादी अलग अलग वीपीएम का इस्तेमाल कर रहे थे लेकिन मोबाइल डाटा की धीमी गति के कारण वे आपत्तिजनक सामग्री से भरपूर मोटी फाइलें अपलोड नहीं कर पा रहे थे। दरअसल, फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रफेशनल्स ने कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन को देखते हुए 4जी इंटरनेट सर्विस की बहाली के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी।

(भाषा इनपुट)

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