फाइजर को लेकर आई भयावह रिपोर्ट, इस कोरोना वैक्सीन को लगाने वाली 44 फीसदी महिलाओं का हुआ गर्भपात
By रुस्तम राणा | Published: August 18, 2022 08:58 PM2022-08-18T20:58:13+5:302022-08-18T21:19:42+5:30
डॉ. नाओमी वुल्फ ने दावा किया है कि फाइजर की कोरोना वैक्सीन के ट्रायल्स के दौरान 44 फीसदी महिलाओं का गर्भपात हुआ है। द फ्लोरिडा स्टैडर्ड ने इसे 'नरसंहार' बताया है।
Pfizer vaccine: द फ्लोरिडा स्टैडर्ड नाम की अमेरिकी वेबसाइट में एक लेख छपा है। जिसमें डॉ. नाओमी वुल्फ ने दावा किया है कि फाइजर की कोरोना वैक्सीन के ट्रायल्स के दौरान 44 फीसदी महिलाओं का गर्भपात हुआ है। द फ्लोरिडा स्टैडर्ड ने इसे 'नरसंहार' बताया है।
लेख के अनुसार, 50 गर्भवती महिलाओं में से 22 ने अपने बच्चों को खो दिया। नारीवादी लेखिका और पत्रकार डॉ. नाओमी वुल्फ ने स्टीव बैनन के वॉर रूम पॉडकास्ट पर इस बात का खुलासा किया है। ध्यान देने वाली बात है कि वुल्फ अपनी वेबसाइट डेली क्लाउट के माध्यम से फाइजर दस्तावेजों के अनुसंधान और विश्लेषण का नेतृत्व कर रही हैं। पॉडकास्ट के दौरान, वुल्फ ने कहा कि गर्भपात दिखाने वाली प्रतिकूल घटना कटऑफ रिपोर्ट 13 मार्च, 2021 थी, और खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने 1 अप्रैल, 2021 को रिपोर्ट प्राप्त की।
इस चौंकाने वाले खुलासे की खबर को ट्वीट करते हुए RSS की संस्था प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय समन्वयक जे नंदकुमार ने कहा कि 'भारत के लिबरल और लुटियंस मीडिया इसी वैक्सीन को आयात किए जाने का दबाव प्रधानमंत्री पर बना रहे थे। शुक्र है कि भारत ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन पर भरोसा किया।
Pfizer documents ordered by a US judge to be released showed that 44% of pregnant women in the COVID-19 vaccine trial lost their babies.
— J Nandakumar (@kumarnandaj) August 17, 2022
This is the drug many of Liberals in India & the Lutyens Media wanted PM Modi to import.
Thank God India went for Covidshield and Covaxin pic.twitter.com/dltfvxlgDn
डॉ वुल्फ ने कहा, इस सच्चाई को जानने के बावजूद चुप रहने के लिए एफडीए पर निशाना साधा। "एफडीए अप्रैल 2021 की शुरुआत तक भ्रूण की मृत्यु की भयावह दर से अवगत थी और चुप थी," । वुल्फ ने आगे यह भी बताया कि फाइजर परीक्षण डेटा वैक्सीन रोलआउट के बाद से दुनिया भर में देखे गए गर्भपात में भारी वृद्धि से संबंधित है। चौंकाने वाली बात यह है कि सीडीसी ने पिछले महीने की तरह अभी भी गर्भवती और स्तनपान कराने वाले 'लोगों' के लिए प्रयोगात्मक एमआरएनए टीकों की सिफारिश की है।
आपको बता दें कि बीते साल मार्च में आई कोरोना की दूसरी लहर के बाद फाइजर ने अपनी कोरोना वैक्सीन भारतीय बाजार में उतारने के लिए मोदी सरकार से अनुमति मांगी थी। लंबे समय तक फाइजर और मोदी सरकार के बीच बातचीत चलती रही, लेकिन अगस्त, 2021 में ये बात सामने आई कि भारत सरकार फाइजर/बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी देने से इनकार कर दिया।