पटना में ‘गांधी’ फिल्म की शूटिंग के 40 साल पूरे हुए

By भाषा | Updated: October 3, 2021 18:56 IST2021-10-03T18:56:42+5:302021-10-03T18:56:42+5:30

40 years of shooting of 'Gandhi' film completed in Patna | पटना में ‘गांधी’ फिल्म की शूटिंग के 40 साल पूरे हुए

पटना में ‘गांधी’ फिल्म की शूटिंग के 40 साल पूरे हुए

पटना, तीन अक्टूबर वह साल 1981 था, जब गंगा नदी पर ऐतिहासिक गांधी सेतु नहीं बना था और जाने-माने फिल्मकार रिचर्ड एटनबरो महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित फिल्म के कुछ अहम दृश्यों की शूटिंग के लिए पटना में थे।

इस फिल्म ने कई ऑस्कर पुरस्कार और लोगों के दिलों को जीता।

‘गांधी’ फिल्म ने 'बापू' और पटना के सदियों पुराने कलेक्ट्रेट की ऐतिहासिक इमारतों को अमर कर दिया क्योंकि 40 साल पहले आई इस फिल्म में गांधी जी के जीवनकाल में बिहार में घटित घटनाओं के लिए इन इमारतों में शूटिंग की गई थी।

महात्मा गांधी की 152वीं जयंती शनिवार को थी और पटना में गांधी संग्रहालय के सचिव राज़ी अहमद (80) ने पटना में एटनबरो के दिनों को याद किया। अहमद ने पीटीआई-भाषा से कहा, “ उनके (एटनबरो के) पास जबर्दस्त मालूमात थी और वह चाहते थे कि हर दृश्य इस तरह से फिल्माये जाए कि वह गांधी जी के जीवन और उनके समय का दिखे। पटना पहुंचने के बाद, उन्होंने शहर और दानापुर का चक्कर लगाया, पुरानी इमारतों और स्थानों की खोज की, जो पर्दे पर जहां तक मुमकिन हो सके, उस युग को दर्शाने में मदद करे।”

उन्होंने पटना कलेक्ट्रेट में हुई शूटिंग को भी याद किया, जहां 'चंपारण सत्याग्रह के दृश्यों' की शूटिंग की गई थी।

उन्होंने कहा, “एटनबरो के उपकरण गांधी संग्रहालय के परिसर में रखे जाते थे। और, वह वहां से इधर-उधर जाया करते थे। पटना की ओर से गंगा नदी पर कोई पुल नहीं था, प्रसिद्ध गांधी सेतु एक साल बाद बना। उनके पास बड़े कैमरे और अन्य उपकरण थे, इसलिए पटना से चंपारण जाना बहुत मुश्किल था।”

अहमद ने बताया कि इसलिए, बहुत सोच-विचार के बाद, "एटनबरो साहब ने मोतिहारी के अहम दृश्यों को शूट करने के लिए पटना कलेक्ट्रेट को चुना।”

फिल्म में कलेक्ट्रेट के डच काल के रिकॉर्ड कक्ष को ‘मोतिहारी जेल’ में तब्दील किया गया, जबकि ब्रिटिश काल के जिलाधिकारी कार्यालय को अदालत कक्ष के दृश्य के तौर पर फिल्माया गया, जिस क्षण ने गांधी को महात्मा के रूप में तब्दील किया था।

पटना में रहने वाले गांधीवादी ने अफसोस जताया कि इस ऐतिहासिक कलेक्ट्रेट इमारत को विरासत के रूप में संजोने के बजाय, बिहार सरकार ने विकास के नाम पर इसे नष्ट करने का प्रस्ताव किया।

इसे ध्वस्त करने का प्रस्ताव 2016 किये जाने के बाद से इतिहासकारों, विद्वानों, संरक्षण वास्तुकारों, गांधीवादियों और कई अन्य लोगों ने सरकार से यह कदम नहीं उठाने की अपील करना जारी रखा।

यह फिल्म में 1982 में रिलीज हुई थी और इसने कई ऑस्कर पुरस्कार जीते थे। फिल्म की रिलीज के बाद स्थापित की गई ब्रिटेन स्थित गांधी फाउंडेशन ने 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पटना कलेक्ट्रेट को नष्ट नहीं करने की अपील की थी।

फिल्म की शूटिंग के समय पटना में भारतीय खाद्य निगम में पदस्थ रहे सुशांत सेनगुप्ता (73) ने ऐतिहासिक दीघा घाट रेलवे हॉल्ट पर फिल्माये गये दृश्यों को याद करते हुए कहा, ‘‘फिल्म निर्माण से जुड़ी एक टीम इस स्थान पर पहुंची थी, हालांकि पहले यह खुलासा नहीं किया गया था कि यहां किसी फिल्म की शूटिंग होनी है।’’

फिल्म में गांधी और कस्तूरबा के किरादार स्टेशन पर आते दिखते हैं, जहां बोर्ड पर मोतिहारी लिखा हुआ है तथा उनका स्थानीय लोग माला पहना कर स्वागत करते हैं।

फिल्म के दृश्य 19 वीं सदी के प्रसिद्ध कोइलवर पुल पर भ फिल्माये गये थे।

फिल्म निर्माण टीम के 1981 में पटना पहुंचने के समय महज 17 वर्ष के रहे अतुल आदित्य पांडे ने कहा, ‘‘जब कभी टीम शूट के बाद लौटती थी, मुझे गांधी मैदान के सामने स्थित होटल मौर्या के आसपास मौजूद लोगों का उत्साह याद है।’’ पांडे वर्तमान में पटना विश्वविद्यालय में भूगर्भ विज्ञान के प्राध्यापक हैं।

फिल्म निर्माण टीम कलेक्टरेट स्थल के नजदीक स्थित मौर्या होटल में ठहरी हुई थी।

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Web Title: 40 years of shooting of 'Gandhi' film completed in Patna

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