26/11 Mumbai Terror Attack 10th Anniversary:अजमल कसाब के बचाव में उतरे थे दो वकील, अब है ऐसे हाल में
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 26, 2018 08:29 AM2018-11-26T08:29:38+5:302018-11-26T08:38:56+5:30
मुंबई, 26 नवंबर: बंबई उच्च न्यायालय के निर्देश पर 2008 मुंबई हमला मामले में अजमल कसाब का बचाव करने वाले दो वकीलों को महाराष्ट्र सरकार से अभी तक अपनी फीस नहीं मिली है. हालांकि राज्य सरकार का कहना है कि उन्होंने (वकीलों) कोई बिल जमा नहीं कराए हैं. वकीलों का कहना है कि राज्य अभियोजकों को ऐसा करना ही नहीं था.
बंबई उच्च न्यायालय के तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जे. एन. पटेल द्वारा दो वकीलों अमीन सोलकर और फरहाना शाह को नामांकित किए जाने के बाद महाराष्ट्र राज्य कानूनी सेवा विभाग ने इन वकीलों को कसाब का बचाव करने का काम सौंपा था. मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में 166 लोग मारे गए थे. इस हमले के लिए दोषी ठहराए गए कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी पर लटका दिया गया था.
आठ जून 2010 को उनकी नियुक्ति संबंधी एक अधिसूचना जारी की गई थी. अधिसूचना के अनुसार, सोलकर को लोक अभियोजक के लिए स्वीकृत पारिश्रमिक मिलना था और शाह को सहायक अभियोजक के बराबर शुल्क प्राप्त होना था. सोलकर और शाह ने बंबई उच्च न्यायालय में मौत की सजा के खिलाफ लगभग नौ महीनों तक कसाब के लिए दिन प्रतिदिन के आधार पर बहस की थी. इसके एक साल बाद उच्चतम न्यायालय में उसकी सजा को बरकरार रखा गया था और 2012 में उसे पुणे की येरवड़ा जेल में फांसी पर लटका दिया गया था.
संपर्क किए जाने पर दोनों वकीलों सोलकर और शाह ने बताया कि उन्हें अभी अपनी फीस प्राप्त नहीं हुई है. उन्होंने मामले को प्राथमिकता दी थी क्योंकि उच्च न्यायालय इसकी दिन-प्रतिदिन के आधार पर सुबह 11 से शाम पांच बजे तक सुनवाई कर रहा था. सोलकर ने कहा,''मैं नहीं जानता हूं कि राज्य सरकार ने हमारी फीस का भुगतान करने के लिए कोई प्रयास क्यों नहीं किए. उच्च न्यायायल द्वारा फैसला दिए सात वर्ष हो गए हैं. उच्चतम न्यायालय ने मौत की सजा की पुष्टि की थी और कसाब भी मर चुका है. लेकिन हम अभी भी (अपनी फीस के लिए) इंतजार कर रहे है.'' उन्होंने कहा कि वह राज्य सरकार से अपनी फीस प्राप्त करने के लिए कानूनी कार्रवाई करने पर विचार कर रहे हैं.
दूसरी वकील शाह ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मामले में पेश होने के लिए उन्हें उनका पारिश्रमिक मिलेगा. इस बीच राज्य सरकार के विधि और न्यायपालिका विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार दो वकीलों द्वारा अपने बिल जमा कराने के बाद ही उनकी फीस का भुगतान करेगी. निचली अदालत में कसाब का बचाव करने वाले एक वकील अब्बास काजमी ने दावा किया कि सरकार ने उनकी सेवाओं के लिए उनकी फीस का भुगतान कर दिया है. काजमी ने कहा,''सुनवाई पूरी होने के तुरंत बाद ही सरकार ने मेरा पारिश्रमिक दे दिया था.''